उच्च शिक्षा विभाग की आंखों में धूल झोंक कर बनी प्राचार्य ने 6 माह में ही कर दिए कई घोटाले


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स्टोरी हाइलाइट्स

करीब 6 माह बाद उच्च शिक्षा विभाग ने उक्त प्राचार्य को हटा कर नई पदस्थापना तो कर दी है लेकिन इन गड़बड़ियों पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है..!!

भोपाल: संभागीय मुख्यालय सागर में एक प्रोफेसर ने उच्च शिक्षा विभाग की आंख में धूल झोंकते हुए वरिष्ठता सूची में हेरफेर कर प्राचार्य का पद हासिल कर लिया और मनमानी करते हुए कई आर्थिक अनियमितताओं और पद का बेजा दुरुपयोग किया है। करीब 6 माह बाद उच्च शिक्षा विभाग ने उक्त प्राचार्य को हटा कर नई पदस्थापना तो कर दी है लेकिन इन गड़बड़ियों पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

सागर के अग्रणी कॉलेज शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में पदस्थ हिंदी विभाग की प्रोफेसर डॉ सरोज गुप्ता ने प्राचार्य बनने के लिए दस्तावेजों में हेर फेर कर वरिष्ठता सूची को ही बदल दिया और उच्च शिक्षा विभाग की आंखों में धूल झोंक कर प्राचार्य का पद हासिल कर लिया।

प्राचार्य पद हासिल करने के बाद उनकी पहली नजर यहां के खजाने पर रही। कॉलेज की फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में इंडियन ओवरसीज बैंक में एफडी के तौर पर जमा 2 करोड रुपए की रकम को खुर्द बुर्द करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग की अनुमति लिए बगैर ही इस 2 करोड रुपए की रकम की एफडी को तुड़वाकर प्राइवेट एचडीएफसी बैंक के चालू खाते में जमा कर दी। 

डॉ सरोज गुप्ता ने इन 6 महीनो मे बड़े पैमाने पर इस रकम को जनभागीदारी समिति के अनुमोदन या किसी सक्षम अनुमति के बिना लाखों रुपए की खरीदी मोटे कमीशन के आधार पर कर सरकारी जमा धन को खर्च किया गया। इस सरकारी पैसे से कई निजी कार्यक्रम और सामग्री की भी खरीदी की गई। 

अनुकंपा नियुक्ति के शासन के नियम और निर्देश का दुरुपयोग कर निजी फायदा उठाते हुए डॉ सरोज गुप्ता ने सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी के हक का निर्ममता से गला घोंटते हुए आरक्षण नियमों तथा रोस्टर के विरुद्ध इस पद पर अन्य पिछड़ा वर्ग के आवेदक को नियम विरुद्ध रूप से नियुक्त कर दिया।

6 महीने के महज छोटी से कार्यकाल में मनमानी भ्रष्टाचार और घोटाले के कई बड़े कीर्तिमान हासिल कर लिए हैं जिनकी जांच उच्च स्तर से की जाने पर अन्य कई घोटालों का पर्दाफाश हो सकेगा।

* इनका कहना

मेरे संज्ञान में ये बात आई है कि डॉ सरोज गुप्ता ने उच्च शिक्षा विभाग को गलत वरिष्ठता सूची भेजकर प्राचार्य का पद हासिल किया गया था। जनभागीदारी मद से 2 करोड़ रुपए की एफडी इंडियन ओवरसीज बैंक में जमा थी जिसे तोड़कर प्राइवेट बैंक एचडीएफसी में चालू खाता खोलकर जमा की गई है। चतुर्थ श्रेणी  की अनुकम्पा नियुक्ति में सामान्य वर्ग के पद को ओबीसी से भरा गया है।

             डॉ जी एस रोहित 

 प्राचार्य, कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, सागर