भोपाल। प्रदेश के दक्षिण शहडोल वनमंडल में डीएफओ ने पहले एक लकड़ी उद्योग (विनियर फैक्ट्री) को लायसेंस दिया लेकिन बाद में वहां के सीसीएफ की रिपोर्ट पर निरस्त कर दिया। इसकी शिकायत मिलने पर राज्य शासन ने जांच कराई तथा लायसेंस निरस्त करने की कार्यवाही को अनुचित बताया। नाराज सरकार ने वन बल प्रमुख विजय अम्बाड़े से कहा है कि वे सभी वन वृत्तों एवं वनमंडलों के अधिकारियों को परिपत्र जारी कर भविष्य में ऐसी कार्यवाही न करने की हिदायत दें।
यह है मामला :
काठ चिरान अधिनियम में लकड़ी उद्योग (विनियर फैक्ट्री) लगाने का प्रावधान है। दक्षिण शहडोल वनमंडल की तत्कालीन डीएफओ श्रृध्दा पेन्द्रे ने इसका लायसेंस स्वीकृत कर दिया। लेकिन बाद में शहडोल वन वृत्त के सीसीएफ के प्रतिवेदन पर दक्षिण शहडोल में स्थानांतरित होकर पदस्थ हुये दूसरे डीएफओ ने यह लायसेंस निरस्त कर दिया। मुकेश गायकवाड़ नामक व्यक्ति ने इस मामले की शिकायत एसीएस वन अशोक बर्णमाल से शिकायत की थी। जब इस मामले की जांच की गई तो ज्ञात हुआ कि विनियर फैक्ट्री लगाने का लायसेंस निरस्त करने की कार्यवाही उचित नहीं थी। इसलिये राज्य शासन ने वन बल प्रमुख को निर्देश जारी कर सभी वन वृत्तों एवं वनमंडलों के अधिकारियों को परिपत्र जारी कर कहें कि भविष्य में वे काष्ठ चिरान अधिनियम की भावना के विरुध्द ऐसा कोई कार्य न करें जिससे काष्ठ आधारित उद्योगों की स्थापना एवं संचालन में बाध पहुंचे और ईज आफ डूईंग बिजनेस तथा केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हो।
क्या होती है विनियर फैक्ट्री :
विनियर फैक्ट्री में लकड़ी के पतले, सपाट टुकड़े (विनियर) बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग प्लाईवुड, फर्नीचर, दरवाजे और अलमारियां जैसी कई चीजों के निर्माण में होता है। ये शीट लकड़ी के कोर पैनल पर चिपकाई जाती हैं ताकि प्राकृतिक लकड़ी का लुक और फिनिशिंग मिल सके।
डॉ. नवीन आनंद जोशी