प्रदेश की जेलों में कोरोना के साथ एड्स का भी खतरा: डॉ. नवीन जोशी


स्टोरी हाइलाइट्स

प्रदेश की जेलों में कोरोना के साथ एड्स का भी खतरा: डॉ. नवीन जोशी प्रदेश की जेलों में कोरोना के अलावा एड्स का का भी खतरा मंडरा रहा है। एचआईवी स्क्रीनिंग...

प्रदेश की जेलों में कोरोना के साथ एड्स का भी खतरा.... एचआईवी पाजीटिव पाये गये 33 प्रतिशत बंदियों को नहीं मिली इलाज की सुविधा डॉ. नवीन जोशी भोपाल। प्रदेश की जेलों में कोरोना के अलावा एड्स का का भी खतरा मंडरा रहा है। एचआईवी स्क्रीनिंग में पाजीटिव पाये गये 33 प्रतिशत बंदियों को उपचार की सुविधा ही नहीं मिली है। राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी ने अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के दौरान प्रदेश की जेलों में कुल 52 हजार 894 बंदियों की एचआईवी स्क्रीनिंग की गई जिसमें से 142 बंदी एचआईवी रिएक्टिव चिन्हित किये गये किंतु इनमें से मात्र 119 बंदियों की ही एचआईवी पुष्टिकरण जांच की गई तथा ये सभी एचआईवी पाजीटिव पाये गये। उद्यानिकी विभाग की योजनाओं का लाभ लेने के लिये अब आधार नंबर जरुरी हुआ: डॉ. नवीन जोशी एचआईवी पाजीटिव व्यक्ति का एन्टी रिट्रोवायरल थेरेपी केंद्र में पंजीकरण कराना होता है जिससे उनकी देखभाल की जा सके एवं उपचार किया जा सके और उन्हें स्वस्थ रखा जा सके। लेकिन जेल प्रशासन ने सिर्फ 82 बंदियों का ही इन केंद्रों में पंजीयन कराया तथा शेष 33 प्रतिशत यानि 37 बंदियों का पंजीयन कराया ही नहीं। ऐसे में इन एचआईवी पाजीटिव बंदियों से अन्य बंदियों के संक्रमित होने का खतरा बना हुआ है। पाजीटिव बंदी के जीवनसाथी एवं अन्य पार्टनर की भी एचआईवी जांच कराना आवश्यक होती है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, जबलपुर सेंट्रल जेल में 4, भोपाल सेंट्रल जेल में 3 तथा रीवा सेंट्रल जेल, शहडोल व सिंगरौली जिला जेल में 1-1 पाजीटिव बंदी को एन्टी रिट्रोवायरल थेरेपी केंद्र से लिंकेज नहीं दिया गया है। बुन्देलखण्ड पैकेज में घोटाला करने का मामला रफादफा: डॉ. नवीन जोशी विभागीय अधिकारी ने बताया कि जेलों में बंदियों की एचआईवी स्क्रीनिंग की गई थी तथा 33 प्रतिशत पाजीटिव मरीजों का उपचार केंद्रों से लिंकेज नहीं हो सका है। इसके लिये जेल डीजी को पत्र भी लिखा गया है। इसकी रिपोर्ट जेल डीजी से नहीं मिली है। चूंकि अभी कोरोना महामारी चल रही है, इसलिये हम भी इसकी मानीटरिंग नहीं कर पा रहे हैं। कोरोना पीक कम होने पर मानीटरिंग की जायेगी।