क्यों हो रही हैं टाइगर स्टेट में बाघों की मौत ? अब तक हुई 30 से अधिक मौत..


स्टोरी हाइलाइट्स

Since the tiger state status, the tiger's death cycle is not taking the name of stoppage. On Wednesday, the young tigress died.

क्यों हो रही हैं टाइगर स्टेट में बाघों की मौत ? अब तक हुई 30 से अधिक मौत.. गणेश पाण्डेय टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने के बाद से बाघों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बुधवार को कान्हा नेशनल पार्क के बफर जोन एरिया में युवा बाघिन की क्लच वायर फंदे से फंस कर मौत हो गई. असमय हो रही बाघों की मौत पर सवाल उठने लगे हैं. पार्क प्रबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती इन्हें बचाने की है. विभागीय सूत्रों के अनुसार, प्रदेश के नेशनल पार्क और सेंचुरीओं में करीब 100 शावक भी है. जिनकी सुरक्षा के लिए बाघ संरक्षण हर साल काफ़ी  बजट जारी करता है. तमाम संगठन और सरकार खुद बाघों को बचाने के लिए बड़े-बड़े नियम और दावे करती है. लेकिन बाघों की मौत से टाइगर रिजर्व में बढ़ता सन्नाटा यह बताने के लिए काफी है कि पाक और सेंचुरीओं में काम किस तरीके से हो रहा है ? आखिर क्या वजह है कि, तमाम इंतजामों के बाद भी बाघों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. इससे यह पता चलता है कि बाघों का संरक्षण तो बातों और कागजों पर ही हो रहा है. विभाग के कुछ अफसर बाघों की मौत का सबसे सीधा कारण आपसी संघर्ष बताते हैं. इसके अलावा करंट देकर, पानी में जहर घोल कर और तार का फंदा बनाकर बाघों का शिकार हो रहा है. राष्ट्रीय बाग प्राधिकरण ने 3 माह पहले एक पत्र लिखकर प्रदेश को आगाह किया था कि बांधवगढ़, पेंच, पन्ना और कान्हा नेशनल पार्क के आसपास शिकारी सक्रिय हो गए हैं. प्रदेश के अफसरों ने एनटीसीए की रिपोर्ट को सही तौर पर लिया. लेकिन इसके बाद भी नेशनल पार्क और सेंचुरीयों के प्रबंधकों ने वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए विशेष सतर्कता नहीं दिखाई, जिसके परिणाम स्वरूप उनकी मौत हो रही है. ये आंकडे हैरान कर देने वाले हैं कि प्रदेश में बीते 7 सालों में 900 करोड़ से ज्यादा की राशि बाघों की सुरक्षा में खर्च हो चुकी है. लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में बाघों की संख्या कम हो चुकी हैं. इनमें कुछ बाघों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई, जो चिंता का विषय नहीं है. लेकिन चिंता का विषय ये है कि इन बाघों में ज्यादातर की मौत अप्राकृतिक कारणों और शिकार के कारण हुई. * वर्ष के हिसाब से बाघों की मौत की संख्या जनवरी 2021- 8, 2020 -30, 2019- 29, 2018- 29, 2017 -25, 2016 - 32 ( इसमें शावकों की मौत की संख्या शामिल नहीं है ) * नेशनल पार्क [ क्षेत्रफल और  संख्या ] कान्हा 2117 {104}, बांधवगढ़ 1530 {124}, पेंच 1179 {87}, पन्ना 1597 {31}, सतपुड़ा 2133 {47}, संजय 1644 {06} * विशेष बाघ सुरक्षा बल का अभाव वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने बताया कि, मध्यप्रदेश में विशेष बाघ सुरक्षा बल का अभाव है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने विशेष बाघ सुरक्षा बल गठन के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है जो लंबित है. कर्नाटक में इस तरह का एक विशेष बल है जो इस प्रकार वहां पर बाघों की रक्षा करते है. दुबे ने कहा कि, केंद्र सरकार ने वर्ष 2006 में राज्यों से विशेष बाघ सुरक्षा बल बनाने के लिए कहा था और इसका खर्च वहन करने की पेशकश भी की थी. लेकिन मध्यप्रदेश ने अब तक इसका गठन नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि, कर्नाटक में पांच बाघ अभयारण्य हैं और वहां बाघों की संख्या मध्यप्रदेश से महज दो कम थी, जबकि मध्यप्रदेश में करीब छह बाघ अभयारण्य हैं. दुबे ने कहा, ‘‘मध्यप्रदेश को इससे सीखना चाहिए.