भोपाल: मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक चेतना और प्राकृतिक सौंदर्य की धरती — संस्कारधानी जबलपुर — अब एक नई पहचान गढ़ने जा रही है। मदन महल की ऐतिहासिक पहाड़ियों और संग्राम सागर के रमणीय तट पर एक आधुनिक एवं भव्य चिड़ियाघर (ज़ू) की परिकल्पना साकार होने जा रही है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 280 करोड़ रुपये तय की गई है।
इस परियोजना को साकार करने की दिशा में पर्यावरण विभाग के अधीन पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संस्थान (एप्को) ने निर्णायक कदम बढ़ाते हुए डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करने हेतु कंसल्टेंट नियुक्ति के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) जारी कर दिया है। इच्छुक कंपनियाँ आगामी 10 नवम्बर तक अपनी वित्तीय प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकेंगी।
डीपीआर तैयार करने वाले कंसल्टेंट को कुल परियोजना लागत के 1.75 प्रतिशत के बराबर पारिश्रमिक प्रदान किया जाएगा। इस रिपोर्ट में चिड़ियाघर की समग्र योजना के साथ-साथ संग्राम सागर झील के सौंदर्यीकरण का विस्तृत खाका भी सम्मिलित होगा — ताकि जबलपुर का यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य, जैव विविधता और पर्यटन के त्रिवेणी संगम के रूप में उभर सके।
प्रस्तावित ज़ू केवल पशु-पक्षियों का दर्शनीय स्थल नहीं होगा, बल्कि यह एक पर्यावरणीय शिक्षा और अनुसंधान केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा। यहाँ रेस्क्यू सेंटर, सफारी जोन, एनीमल हेल्थ केयर यूनिट, इन्टरप्रिटेशन सेंटर, स्टाफ क्वार्टर, तथा आगंतुक सुविधाएँ आधुनिक तकनीक और पर्यावरण-संवेदनशील दृष्टिकोण से निर्मित की जाएँगी।
परियोजना में इको-टूरिज़्म, जैव विविधता संरक्षण, जल-संरक्षण तथा विकेन्द्रित इंटरप्रिटेशन सेंटर्स की संकल्पना को भी प्रमुखता दी गई है। विशेष रूप से यह योजना आगामी 25 वर्षों की दीर्घकालिक दृष्टि के साथ तैयार की जा रही है, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ भी इस प्राकृतिक धरोहर का अनुभव कर सकें।
यह चिड़ियाघर न केवल जबलपुर की भौगोलिक सुंदरता को निखारेगा, बल्कि प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर भी एक नई रोशनी बिखेरेगा। यह वही धरती है जहाँ नर्मदा की लहरें सभ्यता से संवाद करती हैं — अब यहाँ प्रकृति और प्राणी के सहअस्तित्व का एक नया अध्याय लिखा जाएगा।
डॉ. नवीन आनंद जोशी