4 दिन बाद होगी जोरदार बारिश, बोवनी के लिए ऐसे तैयारी करें किसान तो होगा लाभ


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स्टोरी हाइलाइट्स

मौसम विभाग के अनुसार अगले तीन चार दिन में जोरदार बारिश होगी. ऐसे में किसान अगर बोवनी करना चाहते हैं, तो दो चार दिन और रूके, ताकि खेतों में पर्याप्त नमी होने से फसलों का उत्पादन भी बेहतर होगा..!

कृषि वैज्ञानिकों की माने तो फिलहाल बोवनी करना किसानों के लिए फायदेमंद नहीं है।

भोपाल। प्रदेश में 4 दिन बाद जोरदार बारिश का अनुमान जताया जा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो फिलहाल किसानों को बोवनी के लिए रुकना अच्छा रहेगा। अभी प्रदेश में कहीं भी बोवनी लायक बारिश नहीं हुई है, ऐसे में बोवनी करना किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं है। मौसम विभाग के अनुसार अगले तीन चार दिन में जोरदार बारिश होगी। ऐसे में किसान अगर बोवनी करना चाहते हैं, तो दो चार दिन और रूके, ताकि खेतों में पर्याप्त नमी होने से फसलों का उत्पादन भी बेहतर होगा।

राज्य में खरीफ की फसलों की बोवनी की तैयारियों में लगे किसान तेज बरसात का इंतजार कर रहे हैं। अभी तक प्रदेश के कई जिलों में इतनी बारिश नहीं हुई है कि फसलों की बोवनी की जा सके। कृषि विशेषज्ञ भी इसी कारण अभी बोवनी नहीं करने की सलाह दे रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार अगले तीन-चार दिन तेज बारिश की संभावना नहीं है। ऐसे में बोवनी का इंतजार करना ही बेहतर होगा। भोपाल जिले में अभी औसत 87.1 मिमी बारिश हुई है जबकि 100 से 125 मिमी बारिश होने पर ही बोवनी करना उचित होगा। गैरतगंज, बेगमगंज क्षेत्र में ही अभी सौ मिमी से अधिक बारिश हुई है जबकि बाड़ी, बरेली, सुलतानपुर, देवरी आदि क्षेत्रों में कम बारिश हुई है।

बोवनी से पहले किसान करें ये तैयारी

  • - अच्छे उत्पादन के लिए मेढ़ नाली पद्धति का उपयोग करें।
  • - सोयाबीन, उड़द, मूंग को पीला मोजेक रोग से बचाव के लिए बीज को उपचारिक करें। 
  • — इन्हें थायोमिथाक्जाम 30 एफ.एस. मात्रा 10 मिली/किलो बीज या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ.एस. 1.25 मिली/किलो बीज से उपचारित करें।
  • - धान के बीज को जैविक बीज उपचार के अन्तर्गत उपचारिक करें।
  • — धान को ट्राइकोडर्मा विरिडी 10 ग्राम/किला बीज तथा स्यूडोमोनास फ्लोरसेन्स जीवाणुनाशक 5 मिली/किग्रा बीज से बीजोपचार करें।
  • - धान के बीज को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम, थिरम 1 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन & ग्राम/किलो बीज की दर से उपचारित करके ही बोवनी करेें।
  • — -भूमि जनित रोगों से उपज के बचाव व उच्च अंकुरण क्षमता के लिए फफूंदनाशक दवा थायरम, कार्बेन्डाजिम या कार्बोक्सीन दवा से 3 ग्राम/किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें।