किसानों के लिए बड़ी सुविधा, बीमा के लिए खुद ही एप में भर सकेंगे फसलों की जानकारी


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स्टोरी हाइलाइट्स

हर साल खरीफ और रबी सीजन में फसलों की गिरदावरी की जाती है. प्राकृतिक आपदा से फसलों को नुकसान की स्थिति का आकलन इस सरकारी गिरदावरी के आधार पर ही किया जाता है..!

आपदा से हुए नुकसान की भरपाई की कवायद

भोपाल: मध्यप्रदेश में फसल बीमा योजना के लिए किसानों को बड़ी सुविधा दी जा रही है। अब किसान खुद ही अपनी फसलों की जानकारी भर सकेंगे. इसके लिए एप में किसानों के लिए सुविधा शुरु कर दी गई है। राजस्व विभाग के फसल गिरदावरी एप की मदद से अब किसान खुद ही खरीफ सीजन में अपनी फसलों की जानकारी इसमें दे सकेंगे। किसान इस बार खरीफ मौसम में बोई जा रही सभी फसलों की गिरदावरी स्‍वयं कर सकेंगे। प्रदेश के अधिकांश जिलों में गिरदावरी 20 जुलाई से शुरू होने वाली है जिसकी तैयारी भी शुरु की जा रही है। गौरतलब है कि हर साल खरीफ और रबी सीजन में फसलों की गिरदावरी की जाती है। प्राकृतिक आपदा से फसलों को नुकसान की स्थिति का आकलन इस सरकारी गिरदावरी के आधार पर ही किया जाता है। अब एप के जरिए ही ये गिरदावरी की जा रही है जबकि पहले यह काम संबंधित पटवारी और कृषि विभाग के कर्मचारी गांव-गांव खेतों में जाकर करते थे।

किसान गिरदावरी भरने का काम इस बार 15 अगस्‍त तक कर सकेंगे। इस तिथि के बाद बाकी बचे या जानकारी में भिन्‍नता पाए जाने पर हल्‍का पटवारी के द्वारा गिरदावरी की जाएगी। इसके अलावा किसानों के लिए एक और सुविधा है. फसलों के संबंध में जानकारी गलत दर्ज होने पर किसान 5 सितंबर तक इसी एप से अपनी बोई गई फसलों को सही कराने के लिए दावा या आपत्ति प्रस्‍तुत कर सकेंगे। किसानों के इन दावों या आपत्तियोें का निराकरण हर हाल में 10 सितंबर तक कर दिया जाएगा।

ऐसे भरें फसलों की गिरदावरी
किसान अपने एंड्राइड मोबाइल फोन पर एमपी किसान एप डाउनलोड कर लागिन करें। इसके बाद किसानों को अपने खेत में बोई गई फसलों का नाम दर्ज कर उसका एक फोटो खींचकर इसमें अपलोड करना होगा। किसान एक ही मोबाइल से अपने अलग—अलग खेतों या खसरों की फसलों को इसमें दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा किसान अपने ही परिवार के अन्‍य सदस्‍य या अन्य किसानों की गिरदावरी भी दर्ज कर सकते हैं। जानकारी अपलोड करने के बाद एप पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस—एआइ यानि सैटेलाइट से बोई गई फसल की जानकारी 31 जुलाई से दिखाई देने लगेगी। किसान द्वारा दर्ज की गई फसलों और सैटेलाइट में दर्शाई गई फसलें एक ही होने पर वह सर्वर पर अपने आप अपलोड हो जाएगी। यदि दोनों जानकारियां अलग—अलग होगी तो किसानों को खेत पर जाकर दोबारा वास्‍तविक जानकारी दर्ज करना होगी।

SEEMAA DIWAN

SEEMAA DIWAN

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