• India
  • Wed , May , 07 , 2025
  • Last Update 10:29:AM
  • 29℃ Bhopal, India

राम पर ऐसे विचारों से जलती कांग्रेस की लंका

सार

भगवान राम को कोई माने या नहीं, उससे देश को कोई फर्क नहीं पड़ता. आश्चर्यजनक यह है कि, जो कांग्रेस भारत में सत्ता पाना चाहती है वह बार-बार हिंदुओं के आराध्य का अपमान करती है..!!

janmat

विस्तार

    राहुल गांधी ऐसा जानबूझकर करते हैं या उन्होंने इसे वोट बैंक को खुश करने का तरीका बना लिया है. सनातन धर्म जिन राम को भगवान मानता है उसे राहुल गांधी माइथोलॉजिकल पात्र मानते हैं. इसका मतलब है कि राम की सत्यता पर उनका भरोसा नहीं है. वह राम को केवल एक काल्पनिक पात्र ही मानते हैं. 

    राम के अस्तित्व पर पहली बार कांग्रेस की ओर से सवाल नहीं उठाया है बल्कि इसके पहले भी कांग्रेस राम के अस्तित्व को काल्पनिक बताती रही है. 

    भारतीय राजनीति में कांग्रेस सोने की लंका मानी जाती थी. इस लंका में आग तभी लगी जब राम जन्मभूमि आंदोलन को नकारा गया. जन्मभूमि का ताला भले ही शाहबानो केस को संसद में पलटने से बढ़ी नाराजगी को दूर करने के लिए राजीव गांधी ने खुलवाया हो लेकिन राम जन्मभूमि आंदोलन ने ही कांग्रेस की सत्ता की लंका को जलाकर रख दिया.

    इस आंदोलन के पहले राष्ट्रीय सरकार और राज्यों की अधिकांश सरकारें कांग्रेस की ही हुआ करती थी. जैसे-जैसे राम मंदिर आंदोलन बढ़ता गया वैसे-वैसे कांग्रेस सिमटती गई. राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के समय तो कांग्रेस ने हद ही पार कर दी, जब उन्हें ट्रस्ट की ओर से ससम्मान निमंत्रण दिया गया तो पार्टी की ओर से उसमें शामिल होने की बजाय विधिवत्त लिखित रूप से आमंत्रण को ठुकरा दिया.

    अब तो ऐसा लग रहा है कि, सब कुछ भगवान राम की मर्जी से ही हो रहा है. राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान भी उनकी मर्जी से ही मिली है. राहुल गांधी भगवान राम के बारे में जो कुछ भी कह रहे हैं, यह भी भगवान की मर्जी है. भगवान राम शायद चाहते हैं कि राहुल गांधी और कांग्रेस ऐसा ही आचरण और व्यवहार करें जिससे भारत के हिंदू अपमानित हो. सनातन संस्कृति तो मानती है कि जो कुछ भी हो रहा है वह सब ईश्वर की मर्जी से हो रहा है.

    राहुल गांधी भले ही राम को माइथोलॉजिकल पात्र मानते हो लेकिन कम से कम उन्हें यह तो पता होगा कि भारत के लोग राम को भगवान मानते हैं. भारतीय जीवन राम से शुरू हो और राम पर ही खत्म होता है. अगर किसी को भारत में राजनीति करना है तो ना चाहते हुए भी उसे राम को मानने वालों के अपमान करने से बचना होगा.

    लोकसभा चुनाव के टाइम इसी कांग्रेस द्वारा यह प्रयोजित प्रचार कराया गया कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लोकसभा का नॉमिनेशन भरने के पहले अयोध्या में जाकर रामलला के दर्शन करेंगे.अब तो ऐसे लगने लगा है कि, रामलला शायद स्वयं नहीं चाहते कि, गांधी परिवार से कोई उनका दर्शन कर सके. हिंदू और सनातन धर्मी तो यही मानते हैं कि बिना ईश्वर की मर्जी से ना कोई तीर्थ यात्रा हो सकती है और ना ही कोई देवी देवता के दर्शन.

    जो सनातन के लिए सत्य है वह राहुल गांधी के लिए केवल एक पात्र है. राहुल गांधी सनातन धर्म और विभिन्न भारतीय महापुरुषों का उल्लेख राजनीतिक दृष्टि से करते हैं. उनको जितना बताया जाता है उतना वह बोल देते हैं. लोकसभा में तो उन्होंने देवी देवताओं के चित्र बताकर सनातन धर्म और दर्शन को बताने की कोशिश की थी. चाहे शास्त्र का ज्ञान हो और चाहे किसी के द्वारा दिया गया उधार का ज्ञान हो, उसका तब तक कोई मतलब नहीं है, जब तक कोई भी व्यक्ति स्वयं अनुभूति नहीं करता.

    राहुल गांधी की अनुभूति और सनातन धर्म के दर्शन में जमीन आसमान का अंतर है. इसलिए हर बार जब भी वह सनातन धर्म से जुड़े किसी भी विषय पर बात रखते हैं तो विवाद पैदा हो जाता है.

    राजनेताओं को हमेशा यह कोशिश करना चाहिए कि, धर्म के प्रति कोई भी बात ना कहीं जाए. राहुल गांधी मनुस्मृति की भी आलोचना करते हैं. बद्रिका आश्रम के शंकराचार्य राहुल गांधी को हिंदू धर्म से निष्कासित करने तक की बात अगर कह रहे हैं तो राहुल गांधी को इसे गंभीरता से लेना चाहिए.  राहुल गांधी जो वोट बैंक को खुश करने के लिए सनातन धर्म पर टिप्पणी करते हैं उन्हें वोट बैंक के धर्म पर भी नजर डालनी चाहिए. धर्म के नाम पर हिंदुओं के कत्ल का जो अपराध किया गया है, उस पर भी धार्मिक प्रवचन राहुल गांधी की ओर से देश को जरूर देना चाहिए.

    जिस वीडियो में राहुल गांधी राम को माइथोलॉजिकल पात्र बता रहे हैं, उसी वीडियो की पूरी चर्चा में राहुल गांधी कांग्रेस की गलतियों पर माफी की भी बात करते हैं. एक सिख दर्शक ने उनसे पूछा कि वर्ष 1984 में सिख दंगे क्या कांग्रेस की गलती थी. राहुल गांधी कहते हैं कि 80 के दशक में कांग्रेस की ओर से बहुत सारी गलतियां की गई हैं, जिसके लिए वह माफी मांगने को भी तैयार हैं.

    राहुल गांधी अपने पूर्वजों के गलतियों के लिए तो माफी मांग सकते हैं लेकिन वह स्वयं जो हर रोज गलतियां कर रहे हैं इसके लिए भविष्य में माफ़ी कौन मांगेगा? 

    कांग्रेस के लोग तो राहुल गांधी की हर बात से सहमत हो नहीं सकते. कांग्रेस के भीतर यह तनाव हमेशा बना रहता है. जो राहुल गांधी की वैचारिक अराजकता को बर्दाश्त नहीं कर पाते वह तो पार्टी छोड़ देते हैं लेकिन जो कांग्रेस के नेता इतना साहस नहीं दिखा पाते वह सब राहुल गांधी के वैचारिक विस्फोट के तनाव में जीते हैं. 

    राहुल और राम दो अलग-अलग विचारधारा हैं. दो अलग-अलग संस्कृति हैं. दो अलग-अलग धर्म हैं. राम सनातन के आराध्य हैं. राहुल को राम पर बोलने का ना तो कोई नैतिक अधिकार है और ना ही उन्हें कोई धार्मिक अवसर है.जब राहुल को राम पर विश्वास ही नहीं है तो फिर उन्हें अपने राजनीतिक काम में जीवन व्यतीत करना चाहिए .

    राम राजनीति नहीं आस्था का विषय हैं. जिसको आस्था नहीं उसे उसकी नास्तिकता में जीने का पूरा अधिकार है लेकिन राम में आस्था रखने वाले को अपमानित करने का  कोई अधिकार नहीं है.