ब्याज दरें बढ़ने पर शुरुआती दौर में बैंक उधारी दर बढ़ाकर और जमा दरें अपरिवर्तित रख कर मुनाफा अर्जित करते हैं..!
देश के आर्थिक स्वास्थ्य के लिए यह सूचना बेहतर है कि वित्त वर्ष 2023 के लिए 37 सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंक संयुक्त रूप से अपने बहीखाते की गुणवत्ता बरकरार रखने में सफल रहे हैं। उक्त वित्त वर्ष में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बावजूद ये बैंक ऋण आवंटन बढ़ाने के साथ ही तगड़ा मुनाफा भी कमाने में सफल रहे हैं। इसके बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों निदेशकों को अपने संस्थानों में संचालन और जोखिम प्रबंधन एवं आंतरिक अंकेक्षण से जुड़ी प्रक्रिया और चुस्त-दुरुस्त करने को कहा है। दास के इस निर्देश का अभिप्राय यह है कि बैंक किसी तरह के जोखिम की पहचान समय रहते कर उनका यथाशीघ्र समाधान खोज लें। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वित्तीय एवं परिचालन क्षमता भी मजबूत बनाने पर ध्यान देने के लिए कहा। ये निर्देश अपनी जगह ठीक हैं मगर इनसे ध्यान हटाकर देखा जाए तो मुश्किल समझे जाने वाले वर्ष में बैंकिंग क्षेत्र के प्रदर्शन से आरबीआई को खुश होना था ।
ऊंची महंगाई के बावजूद आर्थिक अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार इसका एक कारण हो सकता है। यह भी सच है कि ब्याज दरें बढ़ने पर शुरुआती दौर में बैंक उधारी दर बढ़ाकर और जमा दरें अपरिवर्तित रख कर मुनाफा अर्जित करते हैं। उनका शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम)- उधारी एवं जमा पर ब्याज दरों में अंतर- तब तक बढ़ता है जब तक जमा रकम पर ब्याज दरें नहीं बढ़ती हैं।इस तकनीकी पक्ष को छोड़ भी दें तो जिन 37 बैंकों के वित्तीय नतीजों का जिक्र किया गया है उनके प्रदर्शन शानदार रहे हैं। इनमें निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक शामिल हैं। इन बैंकों के ऋण आवंटन 21 प्रतिशत बढ़ कर यह सालाना आधार पर 14 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया।वित्त वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 11.92 लाख करोड़ रुपये था। फीस आधारित आय बहुत कम- मात्र 2 प्रतिशत- बढ़ी है जिससे स्पष्ट है कि मुनाफा निश्चित तौर पर ऋण कारोबार खंड से आया है। शुद्ध ब्याज आय 23 प्रतिशत बढ़ी है जिसका आशय है कि शुद्ध ब्याज मार्जिन अधिक रहा है ।
वैसे कुल जमा रकम में केवल 10 प्रतिशत इजाफा हुआ है इसलिए ऋण-जमा अनुपात (क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो) कम हुआ है। यह अनुपात इस समय 78 प्रतिशत है जो वित्त वर्ष 2022 में 74 प्रतिशत रहा था। चूंकि, बैंकों को ऋण आवंटन बढ़ाने के लिए अधिक रकम चाहिए इसलिए उन्होंने जमा पर ब्याज बढ़ाना शुरू कर दिया है। इससे लग रहा है अगली कुछ तिमाहियों में शुद्ध ब्याज मार्जिन कम रह जाएगा।अगर केंद्रीय बैंक मुद्रा आपूर्ति नीति में ढील देगा और ब्याज दरों में कटौती करेगा तो फिर ऐसा नहीं होगा। इन बैंकों का शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 41 प्रतिफल बढ़ गया मगर अच्छी बातें यहीं तक सीमित नहीं रहीं। बैंक संयुक्त रूप से सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (जीएनपीए) आवंटित ऋणों का लगभग 4 प्रतिशत तक रखने में सफल रहे हैं। वित्त वर्ष 2022 में इनका जीएनपीए 6.6 प्रतिशत था।
शुद्ध एनपीए भी वित्त वर्ष 2022 के 2 प्रतिशत की तुलना में ऋणों का 1 प्रतिशत तक रखने में बैंक सफल रहे हैं। वास्तव में जीएनपीए और एनपीए में खासी गिरावट आई है और इसका नतीजा यह हुआ है कि बैंक फंसे ऋणों के लिए प्रावधान भी निचले स्तर पर रखने में सफल रहे हैं।
बैंकों के इस प्रदर्शन से कई सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। ऋण आवंटन में मजबूत बढ़ोतरी इस बात का संकेत देती है कि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे अपनी दिशा पकड़ने लगी है। एनपीए में कमी इस ओर इशारा करती है कि अर्थव्यवस्था पर दबाव कम हो गया है क्योंकि ऋणों का भुगतान हो रहा है और बैंकों की निगरानी एवं ऋण वसूली प्रक्रिया भी सुधर गई है।आगे आर्थिक विस्तार को समर्थन देने के लिए वित्तीय क्षेत्र पूरी तरह तैयार है। कंपनियों द्वारा किए जाने वाले निवेश की चाल आने वाले समय में घरेलू एवं वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर निर्भर करेगी। आर्थिक गतिविधियों में दीर्घकालिक बढ़ोतरी के लिए उद्योगों द्वारा निवेश बढ़ाना जरूरी है।