स्टोरी हाइलाइट्स
Through effort, the person himself remains active and is also connected to the dynamics of the social system.
भारतीय समाज- गतिशील सामाजिक संबंध (Dynamic Social Relation)
पुरुषार्थ के माध्यम से व्यक्ति स्वयं तो क्रियाशील रहता ही है साथ ही सामाजिक व्यवस्था की गतिशीलता से भी जुड़ा रहता है। अवधारणा के रूप में ही पुरुषार्थ की धारणा एक गतिशील धारणा है। धर्म रूपी पुरुषार्थ के निर्वाह में व्यक्ति सामान्य के साथ-साथ विशिष्ट और आपद धर्म से भी सम्बन्धित होता है। अर्थात् अकस्मात आए व्यवस्थागत परिवर्तनों में व्यक्ति अपने सामाजिक संबंधों में परिवर्तन कर सकता है। दुर्भिक्ष की स्थिति में यदि सामान्य धर्म और विशिष्ट धर्म का निर्वाह व्यक्ति नहीं कर पाता तो वह अपनी परिस्थिति में परिवर्तन करते हुए भूमिका को भी बदल सकता है। इसी प्रकार मोक्ष रूपी पुरुषार्थ के भक्ति, ज्ञान और कर्म तीनों में से किसी का भी अनुसरण कर व्यक्ति अपने सामाजिक सम्बन्धों को तदानुरूप बना सकता है।
[caption id="attachment_51800" align="alignnone" width="352"] Dynamic Social Relation[/caption]
अर्थ और काम रूपी पुरुषार्थों के पालन में भी वह व्यवस्था के साथ सम्बन्ध और सामंजस्य स्थापित करने में गतिशीलता का परिचय देता है। अर्थ रुपी साधनों के एकत्रीकरण या काम रूपी पुरुषार्थ के पालन में काल और परिस्थिति के अनुरूप गतिशील सम्बन्धों के पर्याप्त अवसर होते है।