हाई प्रोफाइल मामला: कटनी के ग्राम झिन्ना एवं हरैया में वन भूमि पर खनन पट्टे का केस वापस लेने का निर्देश निरस्त


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स्टोरी हाइलाइट्स

17 माह बाद वन विभाग का बड़ा फैसला — मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 16 अप्रैल 2024 के विवादित आदेश को बताया नियम-विरुद्ध, सुप्रीम कोर्ट में लंबित विशेष अनुमति याचिका (SLP) अब वापस नहीं ली जाएगी..!!

भोपाल: राज्य शासन के वन विभाग ने लंबे समय से विवादों में रहे कटनी जिले के ग्राम झिन्ना और हरैया की वन भूमि पर जारी खनन पट्टों से जुड़े मामले में बड़ा निर्णय लिया है।विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित विशेष अनुमति याचिका (SLP) को वापस लेने के 16 अप्रैल 2024 के निर्देश को निरस्त कर दिया है।

यह निर्देश तत्कालीन वन मंत्री नागर सिंह चौहान की नोटशीट पर तत्कालीन अपर मुख्य सचिव वन जे.एन. कंसोटिया द्वारा जारी किया गया था। अब 17 माह बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव, जो वर्तमान में वन विभाग के प्रभारी भी हैं, ने इसे विधिक रूप से त्रुटिपूर्ण मानते हुए निरस्त कर दिया है।

निरस्तीकरण आदेश का आधार

वन विभाग के नवीन आदेश के अनुसार —प्रकरण में वन व्यवस्थापन अधिकारी का आदेश अपील योग्य था,यह मामला कटनी कलेक्टर के समक्ष अभी भी विचाराधीन है।जब तक अपील प्रक्रिया पूरी नहीं होती, सुप्रीम कोर्ट से केस वापस लेना विधिक रूप से अनुचित है।यदि वन व्यवस्थापन अधिकारी का आदेश अंतिम भी माना जाता, तब भी शासन को संशोधित अधिसूचना जारी करनी आवश्यक थी , जो अब तक नहीं की गई।इन्हीं कारणों से 16 अप्रैल 2024 का निर्देश नियम-विरुद्ध घोषित करते हुए उसे पूर्णतः निरस्त कर दिया गया है।

विवाद की पृष्ठभूमि

यह विवाद दो दशक पुराना है, जिसमें वन भूमि बनाम राजस्व भूमि का प्रश्न केंद्र में है।

13 जनवरी 1999 को यह खनन पट्टा मेसर्स सुखदेव प्रसाद गोयनका (प्रो. आनंद गोयनका) के पक्ष में हस्तांतरित किया गया था।

डीएफओ कटनी ने वर्ष 2000 में इस पर आपत्ति दर्ज कर खनन पर रोक लगा दी थी।

2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्रीय सशक्त समिति (CSE) ने जांच की और भूमि को राजस्व भूमि घोषित किया।

इसके विरोध में डीएफओ ने सितंबर 2019 में कलेक्टर के समक्ष अपील दायर की, जो 2021 में वापस ले ली गई।

बाद में 16 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट से SLP वापस लेने का निर्देश जारी हुआ, जिसे अब रद्द कर दिया गया है।

वन विभाग का मानना है कि 16 अप्रैल 2024 का आदेश तकनीकी रूप से दोषपूर्ण था और उसका उपयोग सुप्रीम कोर्ट में शासन के विरुद्ध किया जा सकता था।इस संभावित खतरे को देखते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कानूनी सलाह और समीक्षा के बाद उस आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द कराया।

अब मामला पुनः कानूनी प्रक्रिया में सक्रिय रहेगा।कटनी कलेक्टर के समक्ष लंबित अपील और संबंधित अभिलेखों के आधार पर आगे की सुनवाई होगी।विभागीय सूत्रों के अनुसार, शासन की मंशा यह सुनिश्चित करने की है कि वन भूमि पर किसी भी प्रकार की खनन गतिविधि केवल वैधानिक अनुमति और पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप ही हो।

निर्देश जारी: 16 अप्रैल 2024

निरस्तीकरण तिथि: सितंबर 2025 (17 माह बाद)

नया आदेश: मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रभारी मंत्री वन विभाग

विवादित क्षेत्र: ग्राम झिन्ना एवं हरैया, जिला कटनी

खनिज पट्टा: लेटराइट एवं फायर क्ले

पट्टाधारी: मेसर्स सुखदेव प्रसाद गोयनका (प्रो. आनंद गोयनका)

विवाद: वन भूमि या राजस्व भूमि की स्थिति पर मतभेद

यह निर्णय न केवल एक पुराने विवाद को पुनः सक्रिय करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राज्य सरकार अब वन भूमि से जुड़े मामलों में प्रक्रिया-विरुद्ध या प्रभाव-आधारित निर्णयों को किसी भी स्तर पर स्वीकार नहीं करेगी।