मैं अभी जिंदा हूँ…..राजस्थान की शर्मसार करने वाली कुकड़ी प्रथा… कुकड़ी प्रथा के बारे में सुन होश उड़ जाएंगे आपके
आज हम बात करेंगे एक ऐसी प्रथा जो मानवता को शर्मसार करती है| भारत में यूं तो कुप्रथाएं धीरे-धीरे खत्म हो रही है लेकिन कुछ आज भी समाज के किसी वर्ग में जिंदा हैं|
"Violence against women and girls continues unabated in every continent, country and culture. It takes a devastating toll on women’s lives, on their families, and on society as a whole. Most societies prohibit such violence – yet the reality is that too often, it is covered up or tacitly condoned - Ban Ki-Moon, UN
Secretary-General, 8 March 2008"
दोस्तों न्यूज़ पुराण के "मैं अभी जिंदा हूं" कॉलम में हम ऐसी सभ्यता, संस्कृति और परंपरा की बात करते हैं जिसे बचाने की जरूरत है, साथ ही ऐसी कुप्रथा की चर्चा भी करते हैं जिसे पूरी तरह से खत्म किया जाना जरूरी है|
वर्जिनिटी टेस्ट की रोंगटे खड़े करने वाली परंपरा
आज हम बात कर रहे हैं राजस्थान की कुकड़ी प्रथा की| ऐसी प्रथा है जो एक नव दंपत्ति की सुहागरात से जुड़ी हुई है| इसमें लड़की ससुराल आती है, पति के हाथ में सफेद चादर ये धागे का एक गुच्छा होता है, सुहागरात का समय है, लड़की घबराई हुई है पता नहीं क्या होने वाला है? क्योंकि इस धागे की मदद से पति चेक करेगा की पत्नी वर्जिन है या नहीं?
यदि पत्नी वर्जिन नहीं निकलती तो पति धागा लेकर बाहर आता है और चीख-चीखकर कर सबको बताता है| कि उसकी पत्नी बदचलन है|
सफेद धागे या चादर पर पड़े खून के धब्बों से महिला के कोमार्य की परीक्षा की जाती है. खून के धब्बे ही सुबूत देते हैं कि लड़की कैसी है. धब्बे हैं तो दूल्हा जवाब देता है 'मेरा माल खरा-खरा-खरा' और धब्बे नहीं हैं तो 'मेरा माल खोटा-खोटा-खोटा'
विज्ञान भी कई बार कह चुका है कि शारीरिक संबंध न बनाने पर भी वर्जिनिटी का सबूत देना हर एक के लिये संभव नहीं है| क्योंकि कई बार स्वाभाविक कारणों से भी अवरोध(Hymen) क्षतिग्रस्त हो जाता है|
बताते हैं कि दुल्हन के Hymen टूटी पाए जाने पर ससुराल वाले लड़की से उस लड़के का नाम उगलवाने की कोशिश करते हैं जिससे उसने संबंध बनाए थे|
हैरान कर देने वाली बात यह है कि फिजिकल रिलेशन ना होने के बावजूद भी दुल्हन को किसी न किसी लड़के का नाम लेना पड़ता है|
ससुराल वाले उस लड़की के पिता और लड़के से जमकर वसूली करते हैं|
जब तक लड़की नहीं मानती तब तक उसकी पिटाई की जाती है थक हार कर एक दिन लड़की ऐसा करने पर मजबूर होती है|
पैसा मिलते ही वह लड़की ससुराल वालों की दुलारी हो जाती है| इसी घटिया प्रथा को कुकरी प्रथा कहते हैं| यह प्रथा 100 साल से ज्यादा पुरानी है|
कैसे शुरू हुई यह कुप्रथा?
विजय एंड शंकर की किताब शैडो बॉक्सिंग विद द गॉड्स में इस कुप्रथा का जिक्र है| यह कुप्रथा राजपूत घरानों से सीखी गई और सांसी समाज में कहीं कहीं आज भी जारी है|
महाराष्ट्र में एक समाज है कंजारभाट, महाराष्ट्र के बाहर इस समाज को सांसी समाज और गुजरात में छारा समाज कहा जाता है. जहां प्रथा के नाम पर वर्जिनिटी टेस्ट किया जाता है. राजस्थान में भी ये परीक्षण होता है, जिसे कुकड़ी प्रथा कहा जाता है|
इस प्रथा की शुरुआत तब हुई जब विदेशी भारत आए| विदेशी भारतीय औरतों के साथ दुष्कर्म करके फेंक जाते थे| कहते हैं राजपूत दुल्हन की वर्जिनिटी चेक करने के लिए धागे का इस्तेमाल करते थे|
वे ये जानने की कोशिश करते थे कि कहीं दुल्हन के साथ कभी कोई रेप तो नहीं हुआ| हालांकि राजपूतों ने यह प्रथा उतार कर फेंक दी लेकिन सांसी समुदाय ने इसे अपना लिया|
अब तो इस कुप्रथा के चलते समुदाय के लोग यह कामना करते हैं कि उनकी होने वाली बहू वर्जिन ना हो ताकि वो उसके ससुराल वालों से जमकर लूट कर सकें|
इस मामले में पंचायत भी लड़के वालों की ही तरफदारी करती है| इससे पंचायतों को भी आमदनी हो जाती है|
In this article a gloomy picture had been depicted upon centuries-old custom of "Kukari ki Rasam" (thread ritual), which being a curse for the women, where a skein of thread is used to detect the presence of an intact hymen of the newlywed bride. The custom had its birth in troubled times in Rajasthan when the state was ravaged by the foreign intruders and marauding armies who indulged in mass rape. Even the Rajputs conducted virginity tests for a while. Now it isn't just used to torture women, but is often used so that the groom's family can make money. "Impure" brides are beaten to reveal the names of their "lovers" and then these lovers are forced to pay large amounts of money to the bride's family. In ‘Sansi’ tribal community this practice still exists and receiving a menacing position among the women of the society. The government even failed to interfere in this ‘culturing’ violence as Sansi people feel that whatever happens within the home between husband and wife is private, so education is probably the best route to invoke any change in the cultural practice. The matter of conflict ‘traditionality and modernity’ also gives a rise in Gender Based Violence in the Society, which need to be ameliorated.