स्टोरी हाइलाइट्स
एक संत गंगा किनारे आश्रम में रहकर शिष्यों को पढ़ाते थे। एक दिन उन्होंने रात होते ही अपने एक शिष्य को एक पुस्तक दी तथा बोले, "इसे अंदर जाकर मेरे तख्त पर रख आओ।"
एक संत गंगा किनारे आश्रम में रहकर शिष्यों को पढ़ाते थे। एक दिन उन्होंने रात होते ही अपने एक शिष्य को एक पुस्तक दी तथा बोले, "इसे अंदर जाकर मेरे तख्त पर रख आओ।"
शिष्य पुस्तक लेकर लौट आया था कांपते हुए कहा, "गुरुदेव, तख्त के पास तो सांप है।"
संत जी ने कहा, "तुम फिर से अंदर जाओ। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना, सांप भाग जाएगा।"
शिष्य फिर अंदर गया, उसने मंत्र का जाप किया, उसने देखा कि काला सांप वहीं है। वह फिर डरते-डरते लौट आया। अब गुरुदेव ने कहा, वत्स! इस बार तुम दीपक हाथ में लेकर जाओ। सांप दीपक के प्रकाश से डरकर भाग जाएगा।"
छात्र दीपक लेकर अंदर पहुंचा, तो प्रकाश में उसने देखा कि वह सांप नहीं रस्सी का टुकड़ा था। अंधकार के कारण उसे सांप दिखाई दे रहा था। संत जी को जब उसने रस्सी होने की बात बताई, तो वे मुस्कराकर बोले, "वत्स. संसार गहन भ्रमजाल का नाम है । ज्ञान के प्रकाश से ही इस भ्रमजाल को काटा जा सकता है। अज्ञानतावश ही हम बहुत-से भ्रम पाल लेते हैं। उन्हें दूर करने के लिए हमेशा ज्ञान रूपी दीपक का सहारा लेना चाहिए।"