2023 विधानसभा चुनाव में AAP का खराब प्रदर्शन जारी है। AAP ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 205 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकामयाब रही। यहां तक कि आप को नोटा से भी कम वोट मिले।
जी हां पंजाब को छोड़कर बाकी राज्यों में AAP का खराब प्रदर्शन जारी है। गुजरात और गोवा में भी AAP की यही कहानी रही थी। आप ने मध्य प्रदेश में 66 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे केवल 0.53% वोट मिले, जो नोटा को मिले वोट प्रतिशत से कम है। केजरीवाल ने हरियाणा से सटे राजस्थान में 85 उम्मीदवार उतारे, जहां उनकी पार्टी का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। आप के 85 उम्मीदवारों को सिर्फ 0.38% वोट मिले। यहां भी नोटा उनसे आगे निकल गया। इसी तरह, छत्तीसगढ़ में आप ने 54 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन यहां भी AAP को केवल 0.93% वोट मिले।
आप अपने इतने खराब प्रदर्शन का यह कहकर बचाव कर रही है कि बीजेपी कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी बुरी तरह हार गई। आप ने कहा कि वह अपने 'शुरुआती चरण' में है और एक संदेश देने के लिए इन राज्यों में चुनाव लड़ रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, ''कर्नाटक चुनाव में बीजेपी की 31 सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश में प्रचार किया, लेकिन बीजेपी सभी 173 सीटें हार गई और उसे नोटा से भी कम अंक मिले। "क्या इससे गुजरात में बीजेपी के वोट शेयर पर असर पड़ा?" चार राज्यों में केजरीवाल के खूबसूरत सपने के पतन का बचाव करने के लिए आम आदमी पार्टी का तर्क सामने आ रहा है।
एक रिपोर्ट में एक AAP नेता का बयान प्रकाशित हुआ था। जिसमें वह कह रहे हैं- ''देखिए, हम अभी भी एक युवा पार्टी हैं और इसे दूसरे राज्यों में फैलने में समय लगेगा। हम कांग्रेस की तरह नहीं हैं, जो 75 साल से चुनाव लड़ रही है और फिर भी हार रही है। हम अन्य राज्यों में विकास कर रहे हैं, लेकिन यह रातोरात नहीं हो सकता।
आप के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा- “राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन का मतलब है कि वह भारतीय जनता पार्टी के सीट-बंटवारे के फॉर्मूले के आगे नहीं टिक पाई। अगर कांग्रेस तीन राज्यों में जीतती तो सीट बंटवारे की शर्तें तय करती नजर आतीं। अब उन्हें अपने सहयोगियों की बात सुननी होगी और आम सहमति पर पहुंचना होगा। इसका असर न सिर्फ दिल्ली और पंजाब बल्कि अन्य राज्यों में भी सीटों के बंटवारे पर पड़ेगा