MP News: भोपाल का बाघ विचरण क्षेत्र वाल्मी जैव विविधता विरासत स्थल बनेगा


स्टोरी हाइलाइट्स

उल्लेखनीय है कि वाल्मी परिसर में हरा-भरा जंगल खड़ा किया गया है..!!

भोपाल: राजधानी भोपाल के कलियासोत क्षेत्र में स्थित मप्र जल एवं भूमि प्रबंध संस्थान-वाल्मी जहां पर कि रातापानी अभयारण्य के बाघ आते जाते रहते हैं, अब जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया जायेगा। इसका निर्णय मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की अध्यक्षता में हुई जैव विविधता बोर्ड की बैठक में लिया गया है। दरअसल वाल्मी की गवर्निंग बाडी के अध्यक्ष भी मुख्य सचिव हैं तथा उन्हीं की पहल पर यह निर्णय लिया गया है।

उल्लेखनीय है कि वाल्मी परिसर में हरा-भरा जंगल खड़ा किया गया है। यहां 173 वनस्पति प्रजातियां हैं जिनमें औषधीय पौधे 53, दुर्लभ प्रजातियां 8, सुगंधित प्रजातियां 5 एवं शेष मौसमी प्रजातियां 107 हैं। यहां जीव जुतुओं की कुल 151 प्रजातियां हैं जिनमें पक्षी 71, सरीसृप 43, उभयचर 7, स्तनधारी जीव 13 एवं कीट पतंगे एवं तिलियां 17 हैं। 

वाल्मी फारेस्ट को बनाने में 5 गुना कम लागत आई है जबकि पौध बढ़वार 4 गुना तेज रही। यहां वन जापानी पध्दति से विकसित किया गया है। यहां नवीन पेड़ों की संख्या 89 हजार है जबकि कुल पेड़ों की संख्या डेढ़ लाख है। इससे प्रति वर्ष 16 हजार 250 टन ऑक्सीजन का उत्सर्जन हो रहा है जोकि ढाई लाख की आबादी के लिये वर्ष भर की आवयश्क्ता के लिये पर्याप्त है। इसी प्रकार, वाल्मी फारेस्ट 3 हजार टन कार्बन डाक्साईड अवशोषित करता है।

जैव विविधता बोर्ड अब तक छिन्दवाड़ा में पातालकोट, अमरकंटक एवं सतना जिले में नरो हिल को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित कर चुका है। इंदौर जिले की सिरपुर झील को भी विरासत स्थल बनाने का प्रस्ताव बोर्ड की बैठक में मंजूर हुआ है। विरासत स्थल घोषित होने पर जैव विविधता बोर्ड वन विभाग के सहयोग से वहां पाई जाने वाली प्राकृतिक वनस्पतियों एवं प्राणियों के संरक्षण हेतु प्रबंधन योजना तैयार करता है।