BJP की कांग्रेस को क्लीन स्वीप करने की तैयारी? कांग्रेस को सीटें बढ़ने की आस


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स्टोरी हाइलाइट्स

पहले चरण में एमपी में 19 अप्रेल को वोटिंग होनी है। दोनों ही दलों ने इस चरण में  8 नए चेहरों को मौका दिया है..!!

इन दिनों कांग्रेसी बड़े ही हैरान परेशान से दिख रहे हैं। कांग्रेसियों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ऐसे में आमसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर भी कांग्रेसियों का उत्साह ठंडा सा ही नज़र आ रहा है। मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस में आया राम और गया राम जैसी स्थिति बनती दिख रही है। 

एक ओर जहां भाजपा कांग्रेस को पूरी तरह से क्लीन स्वीप करने की तैयारी कर रही है, तो वहीं कांग्रोस को आम चुनाव में सीटें बढ़ने की उम्मीद है।

मध्यप्रदेश में चार चरणों में सभा लोकसभा चुनाव होने हैं। पहले चरण में एमपी में 19 अप्रेल को वोटिंग होनी है। दोनों ही दलों ने इस चरण में  8 नए चेहरों को मौका दिया है। 

इनमें विध्य क्षेत्र की सीधी, शहडोल और महाकौशल क्षेत्र की जबलपुर, मंडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा लोकसभा सीटें शामिल हैं।

सीधी, जबलपुर और बालाघाट सीटों पर दोनों ही दलों ने नए चेहरों को मैदान में उतारा है। बालाघाट से बीजेपी की भारती पारधी और कांग्रेस के सम्राट सरसवार दोनों ही प्रत्याशियों ने अभी तक एक भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है।
मंडला सीट को लेकर काफी हो-हल्ला है, यहां से बीजेपी ने 2023 का विधानसभा चुनाव हार जाने के बावजूद आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते पर भरोसा जताया है। यहां पर उनका मुकाबला कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे ओमकार सिंह मरकाम से है। वे लगातार चार बार डिंडौरी से विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं।

वहीं कांग्रेस के पास की एकमात्र सीट छिंदवाड़ा पर भी सबकी नजरें टिकी हुई हैं। यहां पर विवेक बंटी साहू कांग्रेस सांसद नकुल नाथ को कड़ी टक्कर देने को तैयार हैं। हालांकि साहू पिछले दो विधानसभा चुनावों में हार का मुंह देख चुके हैं, लेकिन छिंदवाड़ा में कई कांग्रेसियों के पार्टी छोड़ बीजेपी के साथ आ जाने से यहां किसी बड़े उलट-फेर से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

शहडोल में मुकाबला वर्तमान सांसद हिमांद्री सिंह और कांग्रेस के फुंदेलाल मार्को के बीच है। यहां भी कांटे की टक्कर रहने की उम्मीद की जा रही है।

अब ये देखना दिलचस्प होगा, कि आम चुनाव में कांग्रेस अपनी वर्तमान एक सीट से ज़्यादा सीटें जीतने में कामयब हो पाती है, या फिर बीजेपी कांग्रेस के सभी दावों को धता दिखाते हुए क्लीन स्वीप करने में कामयाब हो पाती है।