भोपाल. आदिवासी बहुल मंडला में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा होने के डेढ़ साल बाद भी भूमि को लेकर उपजा विवाद अभी तक सुलझ नहीं पाया है. यानी वन विभाग से लेकर रीजनल एंपावर्ड कमेटी की आपत्तियों का शासन अभी तक निर्णय नहीं कर सका है. मंडला में मेडिकल कॉलेज खुलने से न केवल मंडला बल्कि बालाघाट सिवनी डिंडोरी जिले के मरीजों को भी लाभ मिल सकेगा.
वर्ष 2021 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजा ह्रदय शाह के नाम से मंडला जिला मुख्यालय माझी गांव में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी. मेडिकल कॉलेज के लिए 10000 हेक्टेयर वन भूमि की डिमांड की गई. कलेक्टर ने मेडिकल कॉलेज के लिए 10000 हेक्टेयर भूमि वन विभाग से हासिल करने के लिए वन संरक्षण अधिनियम 1980 (एफसीए) के तहत एक प्रस्ताव बनाकर क्लीयरेंस के लिए डीएफओ के माध्यम से भोपाल भेजा.
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (भू प्रबंध) सुनील अग्रवाल ने मेडिकल कॉलेज को भूमि देने संबंधित प्रस्ताव को केंद्र सरकार की रीजनल ऑफिस भोपाल को भेज दिया. रीजनल एंपावर्ड कमिटी ने ढेर सारी आपत्तियां लगाकर प्रस्ताव को वापस वन विभाग को भेज दिया. इसमें प्रमुख आपत्ति थी कि वन भूमि के बदले दी गई राजस्व भूमि उपयुक्त नहीं पाई गई. तब से अब तक मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन का मामला फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए अधर में अटका हुआ है. क्षेत्रीय सीसीएफ कार्यालय भारत सरकार ने मेडिकल बनाने के लिए यूजर एजेंसी मध्य प्रदेश भवन विकास निगम 14 बिंदुओं में आपत्तियां लगाकर भेज दी है.
जबलपुर मुख्य वन संरक्षक कमल अरोड़ा ने रीजनल एंपावर्ड कमेटी की आपत्तियों के अनुसार जानकारी दुरुस्त कर प्रस्ताव अप्रैल के अंतिम सप्ताह में भोपाल भेज दी है. सूत्रों के अनुसार रीजनल एंपावर्ड कमेटी के संतुष्ट होने के बाद मामला भारत सरकार को भेजा जाएगा. फिलहाल राजा ह्रदय शाह मेडिकल कॉलेज की जमीन आवंटन का मामला भारत सरकार के अनुमति के लिए अटका हुआ है.
फैक्ट फाइल
* नवंबर 21 में कैबिनेट में निर्णय लिया गया कि मंडला, श्योपुर, राजगढ़, नीमच, सतना और मंदसौर में मेडिकल कॉलेज खोलने का निर्णय लिया गया.
* अप्रैल 22 में 10000 हेक्टेयर वन भूमि आवंटित करने के संबंधित प्रस्ताव वन संरक्षण अधिनियम के तहत भोपाल में भेजा.
* नवंबर 22 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंडला की एक सभा में दूसरी मर्तबा मेडिकल कॉलेज की घोषणा की.
* फरवरी 23 में रीजनल एंपावर्ड कमेटी (REC) की बैठक हुई. बैठक में कॉलेज के प्रस्ताव पर तमाम सारी आपत्तियां लगा दी गई.
* आरईसी ने वन भूमि को हस्तांतरित की जाने वाली राजस्व भूमि को लेकर सवाल उठाया कि एक हेक्टेयर में 1000 पौधे लगाने की गुंजाइश कम दिख रही हैं.
* अप्रैल 23 में आपत्तियों को सुधारते हुए पुनः प्रस्ताव केंद्र सरकार की रीजनल मुख्य वन संरक्षक कार्यालय को भेजी गई.