नेता के लिए कांग्रेस के भीतर ही कई प्रतिपक्ष, जानिए रेस में शामिल हैं कौनसे नाम


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स्टोरी हाइलाइट्स

हाईकमान कराएगा संगठन की संपूर्ण नई रचना के लिए रायशुमारी..!!

करारी हार के बाद मप्र कांग्रेस के भीतर कोलाहल और कलह दोनों साथ कदमताल कर रहे हैं। अब नेता प्रतिपक्ष और प्रदेशाध्यक्ष के लिए घमासान छिड़ने लगा है। चूंकि मप्र में अब कांग्रेस को नये सिरे से गढ़ने के संकेत साफ हैं, इसलिये विधायकों की लॉबिंग तेज है। शुक्रवार रात दिल्ली में हार की समीक्षा बैठक में यह साफ हो गया है कि कांग्रेस विधायक दल की राय के मुताबिक संगठन की नयी सरंचना बनेगी और विधायक दल के नेता के लिये भी रायशुमारी कराई जाएगी। अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अगले कुछ दिन में मप्र के लिये पर्यवेक्षक नियुक्त करेंगे।

इधर मप्र में अनुभवी विधायक सदन के भीतर अपने कद के मुताबिक पद की आस में हैं। सूत्र बताते हैं कि नेता प्रतिपक्ष के लिये हाइकमान के सामने तीन नाम हैं, जिन पर प्रारंभिक विचार चल रहा है। इनमें अजय सिंह, रामनिवास रावत और बाला बच्चन शामिल हैं, यद्यपि जोर तो उमंग सिंघार भी लगाने लगे हैं। सूत्र कहते हैं कि हार के चलते हाईकमान की सख्त नाराजगी से जो हालात हैं, उसमें दावेदारों के ज्यादा दबाव की गुंजाइश नहीं है। सूत्र बताते हैं कि कमलनाथ खेमा चाहता है कि नेता प्रतिपक्ष उनकी पसंद का हो, लिहाजा बाला बच्चन के लिये कोशिशें चल रही हैं, मगर चुनावी पराजय के बाद नाथ अतिरिक्त प्रयास करेंगे, इसमें संदेह है क्योंकि उनकी भी भावी भूमिका अभी तय होना बाकी है। यदि वे पद छेड़ते हैं तो अध्यक्ष के लिये भी अपनी पसंद पर भी जोर देंगे, ऐसी स्थिति में उनके समर्थक तो खड़ाऊं राज की कल्पना कर रहे हैं। हालांकि खुद नाथ कमांडिंग पोजीशन के प्रयास में बताए जाते हैं। प्रभारी महासचिव सुरजेवाला के मुताबिक अध्यक्ष खरगे पर छोड़ दिया गया है कि संगठन की नई रचना कैसे हो।

दावेदारों के प्लस हैं तो माइनस भी

नेता प्रतिपक्ष के लिये यदि वरिष्ठता के आधार पर रामनिवास रावत पर अंतिम विचार हुआ तो विधायक दल राय जरूरी हो जाएगी। क्योंकि रावत की पहचान सिंधिया गुट के साथ थी, अब वे कांग्रेस में अपने तई संतुलन में चल रहे हैं। सूत्र मानते हैं कि ऐसे में नाथ दिग्विजय कैंप के समर्थक विधायक पहले विकल्प के तौर पर उनसे सहमत नहीं होंगे, मगर लगभग निर्गुट होने के चलते वे आखिरी विकल्प हो सकते हैं। अजय सिंह वरिष्ठता व पूर्व अनुभव के चलते स्वाभाविक दावेदार हैं, मगर उन्हें नाथ व दिग्विजय खेमा पूरी तरह मदद करेगा, इसमें संशय है। सिंह गुटीय तकाजों से यथासंभव दूर रहकर अकेले चलने की कोशिश करते रहे हैं। मगर एक जानकार सूत्र का कहना है- 'दिग्विजय खेमे को मजबूरी में पहले की ही तरह अजय सिंह का समर्थन करना पड़ सकता है।' आदिवासी विधायक उमंग सिंघार भी काफी सक्रिय हैं, लेकिन दिग्विजय व उनके खेमे से तल्खी सिंघार की बाधा बनेगी, इसीलिए हाल में सिंघार ने दिग्विजय से मिलकर व उन्हें पितातुल्य बताकर साधने की कोशिश की है।

66 विधायकों का गुटीय वजन

माना जा रहा है कि अभी कांग्रेस विधायकों का जो आंकड़ा है, उनमें कमलनाथ के समर्थक लगभग तीस हैं, जबकि दिग्विजय समर्थकों की संख्या करीब 27 है। अरूण यादव व सुरेश पचौरी के करीबी विधायकों की संख्या पांच छह है। तीन से चार विधायक ऐसे हैं जो किसी गुट के नहीं माने जाते और समय के मुताबिक एडजस्ट हो जाते हैं।