प्रदेश में परिवहन विभाग ने टैक्स भार कम किया


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स्टोरी हाइलाइट्स

दरअसल इस टैक्स के लिये परिवहन विभाग को बार-बार एक-दो साल के लिये नोटिफिकेशन जारी करने पड़ते थे जिसे अब स्थाई कर दिया गया है..!

भोपाल: प्रदेश में परिवहन विभाग ने आम लोगों की सहुलियत हेतु टैक्स भार कम कर दिया है। इसके लिये मप्र मोटरयान कराधान अधिनियम 1991 में बदलाव किया गया है जो आगामी 19 जून के बाद पूरे राज्य में प्रभावशील हो जायेंगे।

अब आल इण्डिया परमिट वाली बसों जिनमें बैठक क्षमता 13 प्लस 1 या अधिक है और निजी सेवा वाहन के रुप में अन्य राज्य से जारी अनुज्ञा-पत्र पर मप्र में संचालित होने वाले वाहनों पर टैक्स 200 रुपये प्रति सीट होगा। पहले यह टैक्स 700 रुपये प्रति सीट था। इसी प्रकार, शैक्षणिक संस्था की बस/ स्कूल बस के रुप में अन्य राज्य से जारी अनुज्ञा-पत्र पर मप्र में संचालित होने वाले वाहन पर अब टैक्स 12 रुपये प्रति सीट प्रति वर्ष होगा।

इसके अलावा, अब 7500 किलोग्राम तक वाले माल वाहक वाहनों पर टैक्स उसके मानक मूल्य का 8 प्रतिशत होगा जबकि 7500 किलोग्राम से अधिक के माल वाहक वाहनों पर टैक्स उसके मानक मूल्य का 5 प्रतिशत होगा जोकि पहले 7 प्रतिशत था। वास्तविक कृषकों से भिन्न व्यक्तियों द्वारा कृषि प्रयोजनों के उपयोग के लिये आशयित ट्रेक्टर, ट्रेक्टर-ट्रेलर, ट्रेक्टर-अनुयान, कंबाईन-हारवेस्टर और पॉवर टिलर वाहन पर टैक्स उसके मानक मूल्य का 1 प्रतिशत होगा। दरअसल इस टैक्स के लिये परिवहन विभाग को बार-बार एक-दो साल के लिये नोटिफिकेशन जारी करने पड़ते थे जिसे अब स्थाई कर दिया गया है।

नीलामी में खरीदे सरकारी वाहन पर अब उसकी आयु के हिसाब से टैक्स :

अब सरकारी वाहन पर उसकी आयु के हिसाब से लाईफ टाईम टैक्स लिया जायेगा। पहले ऐसे सरकारी वाहन को नीलामी में खरीदने पर उसके पहले पंजीयन के समय के मूल्य पर लाईफ टाईम टैक्स देना पड़ता था। इसके अलावा, अन्य राज्यों से मप्र में लाये गये पुराने वाहनों पर भी 80 प्रतिशत तक टैक्स लिया जाता था। लेकिन अब 1 वर्ष पुराने वाहन पर 93, 1 से 2 वर्ष के वाहनों पर 86, 2 से 3 वर्ष के वाहनों पर 79, 3 से 4 वर्ष के वाहनों पर 72, 4 से 5 वर्ष के वाहनों पर 65, 5 से 6 वर्ष हेतु 58, 6 से 7 वर्ष हेतु 51, 7 से 8 वर्ष हेतु 44, 8 से 9 वर्ष हेतु 37, 9 से 10 वर्ष हेतु 30, 10 से 11 वर्ष हेतु 23 तथा 11 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों पर 16 प्रतिशत टैक्स लिया जायेगा।

डीलरों को अब स्लेब के अनुसार देना होगा शुल्क:

वाहन बेचने वाले डीलरों को भी व्यापार प्रमाण-पत्र लेने पर अब स्लेब के अनुसार शुल्क देना होगा।  पहले नगर निगम सीमा के अंदर मोटरसायकल हेतु 12 हजार रुपये एवं अन्य वाहनों हेतु 16 हजार रुपये एवं नगर निगम सीमा के बाहर क्रमश: 8 हजार एवं 10 हजार रुपये शुल्क लगता था। परन्तु अब स्लेब बनाकर इस श्राुल्क का निर्धारण कर दिया गया है। मसलन, अब मोटर सायकल हेतु 20 हजार रुपये प्रति वर्ष, दिव्यांगजनों के लिये रुपांतरित वाहन हेतु 500 रुपये प्रति वर्ष, हल्के मोटर वाहन हेतु 30 हजार रुपये प्रति वर्ष, मध्यम यात्री मोटर वाहन हेतु 40 हजार रुपये प्रति वर्ष, भारी यात्री वाहन एवं भारी माल वाहन हेतु 50 हजार रुपये प्रति वर्ष, ई-रिक्शा एवं ई-कार्ट हेतु 5 हजार रुपये प्रति वर्ष, तथा अन्य श्रेणी के वाहनों हेतु 30 हजार रुपये प्रति वर्ष शुल्क डीलरों को देना होगा।

मानक मूल्य तय किया :

परिवहन विभाग ने वाहनों के मानक मूल्य भी तय कर दिये हैं। भारत में निर्मित वाहन के मानक मूल्य में एक्स शोरुम मूल्य, जीएसटी एवं क्षतिपूर्ति उपकर भी शामिल रहेगा या डीलर द्वारा जारी वाहन के मूल्य का बीजक, इनमें से जो भी ज्यादा हो, मानक मूल्य रहेगा। विदेश से आयात कर भारत लाये वाहन के मानक मूल्य में सीमा शुल्क विभाग द्वारा दी लैंड वेल्यु जिसमें सभी कर शामिल हैं, सम्मिलित रहेगा।