हवा में उड़ रहे पटवारी और कांग्रेस को लग रहे हैं झटके पर झटका


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स्टोरी हाइलाइट्स

इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने लिया नामांकन वापस, रावत भी थाम सकते हैं बीजेपी का दमन..!!

भोपाल: इन दिनों प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी उड़ान खटोला पर सवार है और उनके प्रभाव वाले इलाके से राजनीतिक जमीन खिसकती जा रही है। पटवारी ने छानबीन कमेटी की बैठक में लड़-झगड़ कर जिस अक्षय कांति बम को इंदौर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनवाया था, उसने सोमवार को नामांकन वापस लेकर कांग्रेस हाई कमान खासकर राहुल गांधी को शर्मसार कर दिया। बम के नामांकन भरने के साथ ही बीजेपी में जाने की अटकलें लगने लगी थी किंतु उसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पटवारी ने गंभीरता से नहीं लिया। बताया जाता है कि तीन दिन पहले ही नामांकन वापसी की पटकथा लिखी जा चुकी थी और इसकी खबर भी कुछ अखबारों में प्रकाशित भी हुई थी। इसके बाद भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पटवारी को हवा तक नहीं लगी। इससे यह साबित हो गया कि वे राजनीति के अपरिपक्व नेता हैं। राजनीतिक पंडित मानते हैं कि  प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पटवारी का चयन करना राहुल गांधी का एक भयानक गलती है।

इंदौर की प्रत्याशी अक्षय कांति बीजेपी विधायक रमेश मेंदोला के साथ जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष पेश होकर अपना नामांकन वापस ले लिया। इसके पहले खजुराहो संसदीय सीट पर मीरा यादव समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी का नामांकन पर से निरस्त हो चुका है। यानि अब मप्र में भाजपा के सामने कांग्रेस और संयुक्त विपक्ष के केवल 27 प्रत्याशी शेष रह गए हैं। दिलचस्प पहलू यह है कि नामांकन वापसी के चंद घंटे पहले तक कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम बाजार में चुनाव प्रचार कर रहे थे। नामांकन वापस लेने के पहले उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी से भी चर्चा की। चर्चा का ब्यौरा तो नहीं मिल सका किंतु कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बम को प्रत्याशी बनाकर अकेला छोड़ दिया था। 

यही नहीं, इंदौर कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी ने भी उनसे किनारा कर लिया था। इसके कारण उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना था कि उम्मीदवार के रूप में पटवारी का चयन ही गलत था। बम के नामांकन दाखिल होने के साथ ही यह चर्चा सुर्खियों में रही कि वे भी डॉ भागीरथ प्रसाद की तरह बीजेपी में जा सकते हैं और अपना नामांकन भी वापस ले सकते हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले कैलाश विजयवर्गीय से कांग्रेस प्रत्याशी से लगातार चर्चा हो रही थी। यह बात पटवारी को भी कांग्रेस नेताओं ने बताया था। तभी पटवारी ने इन बातों को गंभीरता से नहीं लिया। अब यह सवाल  उठना लाजिमी है कि जब इंदौर कांग्रेस नेताओं को अक्षय कांति के नामांकन वापस लेने की आशंका थी तो फिर जीतू पटवारी को खबर कैसे नहीं लगी? क्या इस खेल में परोक्ष रूप से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी शामिल थे? 

पटवारी के बनते ही पलायन शुरू

विधानसभा चुनाव में हुई शर्मनाक पराजय के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश के सबसे वरिष्ठ नेता और मैनेजमेंट गुरु कहे जाने वाले कमलनाथ को आनन-फानन में हटवाकर पराजित विधायक जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मनोनीत करवा दिया। पटवारी के प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा होने के साथ ही कांग्रेस में विरोध शुरू हो गया। राहुल गांधी और पार्टी हाई कमान ने पटवारी के खिलाफ उठ रहे विद्रोह को नजरअंदाज किया। परिणाम यह हुआ कि विधायक से लेकर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी समेत बड़ी संख्या में वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पटवारी असंतुष्ट नेताओं से बात करने के बजाय पार्टी छोड़ने पर व्यंग्यात्मक टिप्पणियां करने लगे। यही नहीं, दूर-दराज से आने वाले पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से पटवारी मिलते नहीं है। भले ही वह खाली बैठे गपशप कर रहे हो। उनके इसी व्यवहार के कारण वरिष्ठ नेता या तो घर बैठ गए हैं या फिर पार्टी छोड़-छोड़ कर बीजेपी में जा रहे हैं। 

वरिष्ठ विधायक रावत भी छोड़ सकते हैं पार्टी

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामनिवास रावत भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन पकड़ने जा रहे हैं। रावत समर्थकों का मानना है कि उनके विधायक की लगातार उपेक्षा हो रही है। उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई। यही वजह है कि उन्हें कांग्रेस छोड़ने के लिए विवश होना पड़ रहा है। यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि रावत सिंधिया समर्थक माने जाते हैं पर वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में नहीं गए। उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाने पर पार्टी हाई कमान उनके कद्र करेगी। 

कुछ और पचौरी समर्थक छोड़ सकते हैं पार्टी

कांग्रेस से पलायन अभी रुका नहीं है। सूत्रों का कहना है कि पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी के शेष रह गए समर्थक अगले महीने पार्टी छोड़ सकते हैं। अभी तक जो नाम चर्चा में है उनमें अवनीश भार्गव, अमित शर्मा और कुछ प्रदेश पदाधिकारी के नाम शामिल है।