Kanpur IT Raid: नए मामले में फंसा पीयूष जैन, घर में मिले सोने के बिस्कुटों पर लगी विदेशी मुहर


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स्टोरी हाइलाइट्स

कानपुर और कन्नौज में व्यवसायी पीयूष जैन के घरों पर छापेमारी की गई, अब तक कुल 195 करोड़ रुपये नकद मिले, वहीं कई किलो विदेशी सोना और काफी मात्रा में बेहिसाब कच्चा माल भी मिला, अभी तक किसी भी प्रवर्तन एजेंसी को एक भी छापेमारी में इतनी नकदी नहीं मिली है....

कानपुर और कन्नौज में व्यवसायी पीयूष जैन के घरों पर छापेमारी की गई. 120 घंटे की जांच और 50 घंटे की पूछताछ में कुल 195 करोड़ रुपये नकद मिले. बेहद सादा जीवन जीने वाले पीयूष जैन के घर से न सिर्फ नगदी मिली बल्कि वहां से करीब 10 करोड़ का विदेशी सोना और 6 करोड़ की चांदी भी बरामद हुई है.

अब प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार पीयूष जैन के कानपूर वाले घर से 177.45 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई है. वहीं कन्नौज में एक ठिकाने (पैतृक निवास) से 19 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए. इन दोनों को मिला दिया जाए तो छापेमारी में कुल 196 करोड़ रुपये से अधिक नकद बरामद किया गया. अकेले कानपुर छापे की बात करें तो अभी तक किसी भी प्रवर्तन एजेंसी को एक भी छापेमारी में इतनी नकदी नहीं मिली है.

कन्नौज में मंगलवार दोपहर को जांच पूरी हुई :

पीयूष जैन के कन्नौज स्थित घर पर छापेमारी मंगलवार दोपहर खत्म हो गई. वहां से 17 करोड़ नकद बरामद किया गया. फिर दो करोड़ रुपये और मिले. वहीं,23 किलो विदेशी सोना और काफी मात्रा में बेहिसाब कच्चा माल वहां से मिला. इसका उपयोग पान मसाला और गुटखा के सुगंधित यौगिक बनाने के लिए किया जाना था. इसमें 600 किलो चंदन का तेल भी था जो बेसमेंट में छिपा हुआ था. इसकी बाजार कीमत 6 करोड़ रुपये के लगभग है.

पीयूष ने पहले एक डिटर्जेंट फैक्ट्री में किया था काम : 

पीयूष जैन के पिता कैलाश चंद जैन, जिन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में एमएससी किया था, उनका कन्नौज में एक छोटा कपड़ा व्यवसाय था. लेकिन अपने पिता के व्यवसाय में शामिल होने के बजाय, पीयूष जैन ने मुंबई में एक डिटर्जेंट फैक्ट्री में काम करके अपनी किस्मत बदलनी शुरू कर दी.

एक साबुन कारखाने में काम करते हुए पीयूष जैन को रासायनिक यौगिकों के व्यवसाय के बारे में पता चला. अपने जिला कन्नौज लौटने के बाद, पीयूष जैन ने इत्र व्यवसाय के लिए एक रासायनिक परिसर का निर्माण शुरू किया. इसके लिए कंपनी का रजिस्ट्रेशन ओडोकेम केमिकल्स के नाम से कर विभिन्न परफ्यूम के केमिकल कंपाउंड बनाने लगे.

केमिकल कंपाउंड के कारोबार से लाभ उठाकर उन्होंने अपना कारोबार कानपुर के गुटखा व्यापारियों तक फैला दिया. गुटखा व्यवसाय में जहां सुगंध के लिए इत्र बहुत महंगा साबित होता है, पीयूष जैन के रासायनिक यौगिक ने गुटखा की लागत कम की, लेकिन सुगंध भी बढ़ा दी. यही कारण था कि पीयूष जैन के रसायन विज्ञान के ज्ञान से बनाई गई रासायनिक संरचना ने उन्हें कुछ ही वर्षों में इस ऊंचाई तक पहुंचा दिया.

कन्नौज के चिपट्टी इलाके के लोगों का कहना है कि पीयूष की जीवनशैली बेहद सामान्य थी. पीयूष के पास एक स्कूटर था और वह उसका खूब इस्तेमाल करता था. पड़ोसियों का तो यहां तक ​​कहना है कि पीयूष जैन जमीन से जुड़े और नेकदिल इंसान हैं.