J&K: रियासी में सलाल डैम के सभी गेट बंद, चिनाब का जलस्तर घटा, सामने आईं सूखे पाकिस्तान की तस्वीरें


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स्टोरी हाइलाइट्स

जम्मू-कश्मीर में सलाल डैम के गेट बंद होने के बाद रियासी जिले में चिनाब नदी के जलस्तर में बड़ी गिरावट देखी गई, इसकी तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं..!!

जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। चिनाब नदी पर बने सलाल डैम के सभी गेट बंद कर दिए गए हैं। इससे नदी का जलस्तर काफी कम हो गया है। रामबन में चिनाब नदी पर बने बगलिहार हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट बांध से पानी बहता हुआ देखा गया।

सलाल डैम जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में है। इसके गेट 4 मई 2025 को बंद कर दिए गए थे। जिससे चिनाब नदी का पानी कम हो गया। हालांकि भारत सरकार ने पाकिस्तान का पानी पूरी तरह बंद नहीं किया है। रविवार को जम्मू के रामबन में बने बगलिहार बांध से चिनाब का पानी रोक दिया गया। सोमवार को रियासी जिले में सलाल बांध के गेट पूरी तरह से बंद कर दिए गए।

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस कदम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि भारत के हित में कड़े फैसले लेने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होती है और प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यों से यह दिखाया है। यह मोदी का मजबूत सिद्धांत है, जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दृढ़ और अडिग है। पानी और हमारे नागरिकों का खून एक साथ नहीं बह सकता। यह स्पष्ट होना चाहिए।

वहीं स्थानीय नागरिकों का कहना है, कि हमें खुशी है कि सरकार ने पाकिस्तान की ओर पानी का बहाव रोक दिया है। जिस तरह से उन्होंने पाकिस्तान के पहलगाम में हमारे पर्यटकों को मारा, उसका मुंहतोड़ जवाब मिलना चाहिए। सरकार जो भी फैसला लेगी, हम उसके साथ हैं। एक अन्य स्थानीय नागरिक ने कहा कि यह एक बड़ी उपलब्धि है। सरकार का यह कदम बहुत अच्छा है। हमारी सरकार कई तरह से पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रही है। हम सब सरकार के साथ हैं। 

आपको बता दें, कि जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में भारी बारिश के बाद 2 मई को चिनाब नदी का जलस्तर बढ़ गया था। इससे पहले 28 अप्रैल को सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसला लिया गया।

आपको बता दें, कि भारत और पाकिस्तान के बीच नौ साल की बातचीत के बाद 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। इन वार्ताओं को विश्व बैंक ने भी सुगम बनाया था, जो संधि का एक हस्ताक्षरकर्ता भी है। विश्व बैंक के पूर्व अध्यक्ष यूजीन ब्लेक ने वार्ता की पहल की थी। इस संधि को दुनिया की सबसे सफल संधियों में से एक माना जाता है।

इसने कई तनावों और संघर्षों का सामना किया है, लेकिन यह अभी भी आधी सदी से अधिक समय से सिंचाई और जलविद्युत विकास के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है। इस संधि के अनुसार, पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का पानी पाकिस्तान को दिया जाता है और पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का पानी भारत को दिया जाता है। हालाँकि, संधि दोनों देशों को एक-दूसरे की नदियों का कुछ हिस्सा इस्तेमाल करने की अनुमति देती है। संधि सिंधु नदी प्रणाली का 20% पानी भारत को और शेष 80% पाकिस्तान को देती है।