हरेक बात तो चुटकी.....दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

हरेक बात तो चुटकी मे हल नहीं होती .....जितनी लगती है अमूमन सरल नहीं होती।

हरेक बात तो चुटकी.....दिनेश मालवीय "अश्क"

हरेक बात तो चुटकी मे हल नहीं होती

जितनी लगती है अमूमन सरल नहीं होती।

किसी की बात ही दोहराते लोग हैं ज़्यादा

सभी के पास तो अपनी अक़ल नहीं होती।

दौड़ आते थे फ़रिश्ते भी दुआ करने पर

बात ऐसी तो कहीं आजकल नहीं होती

जिसमे नाकामी का कोई निशां नहीं बाक़ी

किसी की ज़िन्दगी इतनी सफल नहीं होती।

चाहिए फिक्र, बड़ी सोच, औ' ज़ज़्बा गहरा

इल्मे- फ़न से ही तो पुख़्ता ग़ज़ल नहीं होती।