भोपाल: प्रदेश के चार आईएफएस ऐसे हैं, जिनकी जांच प्रतिवेदन अंतिम निर्णय के लिए अपर मुख्य सचिव वन के पास 6 माह से अधिक समय से लंबित है। इसके कारण उनकी पदोन्नति नहीं हो पाई है। उनके बैच के आईएफएस वन संरक्षक के पद प्रमोट हो गए है। ये अफसर मानसिक त्रासदी झेल रहें है।
यह तथ्य विधायक आतिफ़ अकील के सवाल के जवाब से वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार द्वारा दी गई जानकारी से उभरकर प्रयास में आया है। विधानसभा में पूछे गए सवाल के उत्तर भी आधे अधूरे हैं। विभाग की सतर्कता शाखा और प्रशासन एक के दस्तावेजों के अनुसार जंगल महकमे के सेवानिवृत्ति सहित 34 दागी आईएफएस और 11 राज्य वन सेवा के अधिकारियों के खिलाफ जांच प्रचलित है।
लेकिन विधायक के सवाल पर वन विभाग की ओर से विधानसभा में दिए गए उत्तर के अनुसार सात रिटायर्ड समेत 15 आईएफएस अधिकारियों और 12 राज्य वन सेवा अफसर विभागीय जांच चल रही है। विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार वीएस होतगी, किरण बिसेन, प्रशांत कुमार सिंह और देवांशु शेखर में सिर्फ होतगी को छोड़कर अन्य तीन आईएफएस पर एसीएस की विशेष कृपा है, जिसके कारण उनके अंतिम जांच प्रतिवेदन पर निर्णय नहीं हो पा रहा है। पदोन्नति नहीं मिलने की वजह से यह तीनों अवसर वर्किंग प्लान बना रहे हैं।
जिनके खिलाफ विभागीय जांच
वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार के लिखित जवाब के अनुसार जिन अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में विभागीय जांच चल रही है, उनमें सेवानिवृत्ति आईएफएस अधिकारी व्हीएन प्यासी, निजाम कुरैशी, आरएस सिकरवार, ओपी उचाड़िया, डीएस कनेश, सेवानिवृत्ति सीसीएफ एम कालीदुर्रई, रिटायर्ड सीसीएफ आरपी राय और सीसीएफ सीएस निनामा, सेवानिवृत्ति डीएफओ शैलेंद्र कुमार गुप्ता के अलावा डीएफओ व्हीएस होतगी, डीएफओ किरण बिसेन, प्रशांत कुमार सिंह, देवांशु शेखर और नरेश कुमार दोहरे का नाम है।
रावसे के इन अफसरों पर भी आरोप
भ्रष्टाचार के आरोप में राज्य वन सेवा (एसीएफ) अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है, उनमें सहायक वन संरक्षक आरके गुरूदेव, कैलाश वर्मा, आरएन द्विवेदी, मनीषा पुरवार, सुरेश कुमार अहिरवार, मनोज कटारिया, सुधीर सिंह, वाय एस परमार, सुधीर पाठक, केबी गुप्ता, अंतर सिंह ओहारिया तथा आईबी गुप्ता का नाम शामिल है।