आवश्यकता 372 वनरक्षक की, आवेदन 65000 और भर्ती हुए केवल 95


स्टोरी हाइलाइट्स

विज्ञापन के आधार पर वन विभाग को 65000 आवेदन मिले. यानी प्रमाण पत्र दिखाओ और नियुक्ति पत्र ले जाओ के आधार पर भर्ती की जानी थी..!

भोपाल. बढ़ती बेरोजगारी के जमाने में इस आंकड़े पर आपको विश्वास नहीं हो रहा होगा, पर सच्चाई यही है. वन विभाग ने विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया और भारिया वर्ग के युवाओं के लिए यह भर्ती निकाली थी. इस वर्ग से केवल 95 युवा ही वनरक्षक के लिए चयनित हुए. 

जंगल महकमे ने विशेष भर्ती अभियान के तहत मप्र की विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के बेरोजगार युवाओं के लिए 372 वनरक्षक पद के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू किया था. इस भर्ती में न तो कोई शैक्षणिक योग्यता की शर्त थी और न ही कोई लिखित परीक्षा होनी थी. बस केवल जाति प्रमाण पत्र के आधार पर विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के युवाओं को वनरक्षक के पद पर भर्ती करना था.

विज्ञापन के आधार पर वन विभाग को 65000 आवेदन मिले. यानी प्रमाण पत्र दिखाओ और नियुक्ति पत्र ले जाओ के आधार पर भर्ती की जानी थी. लेकिन जब विभाग ने युवाओं को जाति प्रमाण पत्र को लेकर चयन के लिए ऑफिस बुलाया तो 100 बेरोजगार युवा भी नहीं पहुंचे.

गौरतलब यह है कि 372 वनरक्षक पद के लिए 65000 आवेदनकर्ताओं ने अधिकतर फर्जी आवेदनकर्ता थे. विभाग ने 372 वन रक्षकों के पदों में से 95 वनरक्षक के पद पर पिछड़ी जनजाति वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए. बेरोजगार युवाओं की कम संख्या देखकर फॉरेस्ट अफसर भी दंग रह गए.

इनका कहना
मुझे स्वयं विश्वास नहीं हो रहा था कि विशेष पिछड़ी जनजातीय वर्ग के युवाओं में बेरोजगारों की संख्या इतनी कम है कि 100 वनरक्षक भी नहीं मिल पाएंगे. या फिर यह हो सकता है कि इस वर्ग के युवा वनरक्षक बनना नहीं चाहते होंगे. आवेदन तो बड़ी संख्या में आए थे किंतु जब वे नहीं आए तो लगा कि अधिकतर आवेदनकर्ता के पास विशेष पिछड़ी जनजाति के जाति प्रमाण पत्र नहीं होंगे.
हरिशंकर मोहंता
एपीसीसीएफ प्रशासन-दो