सास बहू के झगड़े की असल वजह क्या है | Saas Bahu Ka Jhagde


स्टोरी हाइलाइट्स

सास बहू का जब भी नाम आता है सबकी एक ही मानसिकता होती है,सास बहू की नोंक-झोंक, सास बहू की ...saas bahu ka jhagda........ Saas Bahu Ke Jhagde

सास बहू के झगड़े की असल वजह क्या है | Saas Bahu Ka Jhagde
सास बहू का जब भी नाम आता है सबकी एक ही मानसिकता होती है, सास बहू की नोंक-झोंक, सास बहू की तू-तू मैं-मैं।saas bahu fight

आखिर क्यों होते हैं सास बहू में झगड़े (saas bahu ka jhagda)?

एक पहलू :-

एक लड़की जिसका नाम प्रिया है मेरी पड़ोसी है, उसकी शादी हुई, बड़ा प्यार था दोनों पति पत्नी में , प्रीती जब ससुराल गयी तो वहां उसे सारे काम करने पड़ते थे जैसे की किसी भी सामान्य बहू को करना पड़ता है लेकिन प्रिया को वो बर्दाश्त नहीं हुआ वो अपने मायके आयी और अपनी माँ को सारा हाल कह सुनाया। माँ भी बड़ी काबिल, दोनों माँ बेटी और छोटे भाई ने योजना बनायीं लड़के को गावं के बाहर एक मंदिर पर बुलाया और खूब मारा उसकी बाइक भी छीन ली।

बेचारा पति आया था अपनी बीवी से मिलने और क्या दशा कर दिया बीवी ने अपने पति का। और समय तो देखो उन दोनों की एक बेटी भी है जो की ननिहाल में अपनी माँ के साथ रहती है कोर्ट का केस चल रहा है प्रिया अब ससुराल जाने को तैयार है लेकिन लड़के ने साफ़ इंकार कर दिया है। देखो अब जाने कब तक कोर्ट के चक्कर लगेंगे ? अगर लड़की के खुद के माता-पिता ने कुछ बोल दिया तो वो मनमुटाव सही हो सकता है लेकिन अगर सासू माँ ने कुछ बोल दिया फिर तो खैर नहीं! वो बात दिल में घर कर जाएगी और पति से लेकर सहेली और मायके हर जगह तक वो बात फ़ैल जाती है।

आखिर क्यों?

आखिर ससुराल में लड़कियां एक प्रतिशत भी समायोजन करने को तैयार नहीं है। मायके में पूरे दिन किचन में रहना मंजूर है लेकिन ससुराल में एक गिलास पानी देना भी पहाड़ की तरह प्रतीत होता है। अगर लड़की की खुद की बहन की कोई समस्या है तो पति को दस बार बोल कर उसको सही तरह से सुलझाना है , लेकिन जहाँ बात ननद की है फिर भाई पहले लड़ाई होगी फिर ननद की समस्या सुलझायी जाएगी। ससुराल में आकर लड़कियां ये क्यों भूल जाती हैं की लड़के का भी अपना परिवार है और शादी के बाद दोनों की जिम्मेदारी होती है परिवार को मिलकर संभालना । 

मैं इस तरह का आरोप तो हर लड़की पर नहीं लगा सकती मुझे क्षमा करना अगर आपको मेरी बात बुरी लगे तो लेकिन कुछ लोगो के घर की यही कहानी हो गयी है। मेरी तो यही सलाह है जैसे आप अपने माँ की बात सुनते है ठीक वैसे अपने सासु माँ को भी माँ समझे और अच्छी बुरी हर बात को चुप रहकर सुने।
दूसरा पहलू:-

१. महिलाएं अपने बेटे को किसी से बाँट नहीं सकती. उन्हें लगता है कि वह सिर्फ उन्ही की सुने. बेटे माताओं के बहुत करीब होते हैं. विवाह के बाद बेटा थोडा ध्यान अपनी पत्नी पर भी देता है. जो विवाद का कारण बनता है. जहाँ बेटे विवाह के बाद भी माँ की तरफ ही झुकते हैं, वहां भी विवाद होता है. क्यों कि, उनकी पत्नी यह बर्दाश्त नहीं कर पाती.

२. महिलाएं को अपनी रसोई में किसी की भी दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं होती. सास हर काम अपनी तरह करवाना चाहती है, बहु का अपना तरीका होता है. अगर बहु अपना तरीका बदल भी ले तब भी उसके दिल में खटास उत्पन्न हो जाती है. जो कभी न कभी निकल जाती है. यहीं अगर सास बहुत का तरीका स्वीकार कर ले तब भी उसके मन में बहु को लेकर खटास उत्पन्न हो जाती है.

सास बहु की इस लड़ाई में ससुर और बेटे की हालत ' दो पाटन के बीच में …' जैसी हो जाती है.
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विभा-जया

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