स्टोरी हाइलाइट्स
हर बार जब बिजली गिरती है, वह कड़कती है और बादल गरजते हैं। लेकिन बिजली के साथ कड़कने-गरजने की आवाज़ें हमें हमेशा सुनाई नहीं देती हैं
ज्ञान विज्ञान: बिजली के साथ कड़कने-गरजने की आवाज़ें हमें हमेशा क्यों सुनाई नहीं देती?
हर बार जब बिजली गिरती है, वह कड़कती है और बादल गरजते हैं। लेकिन बिजली के साथ कड़कने-गरजने की आवाज़ें हमें हमेशा सुनाई नहीं देती हैं। कभी-कभी बिजली बहुत दूर गिरती है और वह दिख तो जाती है लेकिन उसके साथ हो रही आवाज़ें हम तक पहुँचती नहीं। कभी-कभी कड़कने-गरजने की आवाजें तो हमें डरा देती हैं, लेकिन बादलों के कारण हमें बिजली दिखती नहीं।
आसमानी बिजली से बचना … बादल गरजें, बिजली कड़कड़ाये तब ये करें.. वरना जा सकती है जान …………
बिजली के साथ कड़कने की आवाज़, बादल के गरजने की आवाज़ क्यों सुनाई देती हैं इसके बारे में लोगों ने काफी विचार किया है। माना जाता है कि बादल में ऋणात्मक आवेश बादल की निचले हिस्से की तरफ और छोटे धनात्मक आवेश ऊपर की ओर जमा हो जाते हैं।
अब बादल को हम एक बैटरी की तरह सोच सकते हैं यानी कि बादल के ऊपरी और नीचे के हिस्सों को हम बैटरी के दो टर्मिनल की तरह सोच सकते हैं। इस स्थिति में होता क्या है- एक से दूसरे टर्मिनल के बीच करंट या बिजली बहती है। ये बिजली एक बादल के दो हिस्सों के बीच, एक बादल के ऋणात्मक हिस्से से दूसरे के धनात्मक की तरफ या फिर बादल और धरती के बीच बह सकती है।
चूँकि हवा बिजली की अच्छी चालक नहीं है, इसलिए जब आवेश की मात्रा काफी ज़्यादा हो जाती है तब ही बादलों के बीच या फिर बादल और धरती के बीच बिजली बहती है। जब यह बिजली बहती है तो आसपास की हवा का तापमान 30,000 डिग्री सेल्शियस तक हो जाता है। हवा का दबाव खूब बढ़ जाता है और वह अचानक फैलती है। आवाज़ इसी फैलाव की वजह से आती है। जैसे कार का टायर फटता है तो आवाज़ आती है, वैसे ही।
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