समुद्र में उतरने के बाद गगनयान को कैसे पुनर्प्राप्त किया जाए, इस पर भारतीय नौसेना और इसरो द्वारा कोच्चि में एक जल ग्रीवा परीक्षण किया गया। इस परीक्षण में गगनयान के एक क्रू मॉडल को पानी की तेज लहरों में तैरने के लिए छोड़ दिया गया था। ताकि उसकी तैरने की क्षमता को नापा और परखा जा सके।
चालक दल के मॉड्यूल को पुनर्प्राप्त करना मानव अंतरिक्ष यान में अंतिम परीक्षण माना जाता है
क्रू मॉड्यूल रिकवरी मॉडल परीक्षण के दौरान गगनयान के वजन, गुरुत्वाकर्षण केंद्र, बाहरी डिजाइन आदि की जांच की गई। यह चेक इस तरह से किया गया था कि लैंडिंग के बाद इसे रिकवर किया जा सके। चालक दल के मॉड्यूल को पुनर्प्राप्त करना मानव अंतरिक्ष यान में अंतिम परीक्षण माना जाता है। इसलिए सबसे पहले यह टेस्टिंग की जाती है।
पहले यह मिशन सात दिन का था, लेकिन अब इसे तीन दिन का कर दिया गया है
वाटर सर्वाइकल टेस्टिग के लिए बने ब्रिज में गगनयान को प्रकाश तरंगों में छोड़ा जाता है। इसके अलावा प्लवों और अप-राइटिंग फ्लोट्स से गिराकर इसकी जांच की जाती है। ताकि यह पता चल सके कि प्रकाश तरंगों में कौन सा तरीका सबसे सुरक्षित है। आपको बता दें कि गगनयान की योजना में कुछ सकारात्मक बदलाव किए गए। पहले यह मिशन सात दिन का था। लेकिन अब इसे तीन दिन कर दिया गया है।
पृथ्वी की चारों भुजाएं 400 किमी की ऊंचाई पर निचली सतह का चक्कर लगाएंगी
इससे पहले आइए जानते हैं कि गगनयान किसे कहते हैं इसका क्रू मॉड्यूल क्या है और यह कैसे काम कर रहा है। यह क्रू मॉड्यूल वह जगह है जहां भारतीय अंतरिक्ष यात्री यानी गगनॉट्स बैठकर पृथ्वी के चारों ओर 400 किमी की ऊंचाई पर निचली सतह का चक्कर लगाएंगे। क्रू मॉड्यूल में दोहरी दीवारों वाला आधुनिक केबिन है। जिसमें विशेष प्रकार की नेविगेशन प्रणाली, स्वास्थ्य प्रणाली, फूड हीटर, खाद्य भंडारण, शौचालय आदि शामिल हैं।