मोहब्बत की नई मशीन... पार्टनर की जरुरत ही खत्म!


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स्टोरी हाइलाइट्स

समांथा, रेप्लिका, हार्मनी रोबोट सुंदरियों के चर्चे..!

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने कई ऐसे लोगों को सहारा दिया है जो अकेलेपन का शिकार हैं या अपनों के बीच बेगाने हैं और कहीं लगाव, केयर या प्यार की तलाश कर रहे हैं। इसलिए इन दिनों समांथा, रेप्लिका, हार्मनी नामक सुंदरियों ने दुनिया के एक खास तबके को दीवाना बना दिया है। हालांकि यह हाडमांस की नहीं बल्कि चैटबॉट और रोबोट हैं जिनमें जान महसूस होती है। इन्हें पसंद करने वाले लोग इनके साथ सैर पर भी निकल रहे हैं और हर पल साथ रख रहे हैं उनसे अपने मन की बात भी कर रहे हैं और 'संबंध' भी बना रहे हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने कई ऐसे लोगों को सहारा दिया है जो अकेलेपन का शिकार हैं या अपनों के बीच बेगाने हैं और कहीं लगाव, केयर या प्यार की तलाश कर रहे हैं। इसलिए इन दिनों समांथा, रेप्लिका, हार्मनी नामक सुंदरियों ने दुनिया के एक खास तबके को दीवाना बना दिया है। हालांकि यह हाडमांस की नहीं बल्कि चैटबॉट और रोबोट हैं जिनमें जान महसूस होती है। इन्हें पसंद करने वाले लोग इनके साथ सैर पर भी निकल रहे हैं और हर पल साथ रख रहे हैं उनसे अपने मन की बात भी कर रहे हैं और 'संबंध' भी बना रहे हैं।

दरअसल यह चैटबॉट आर्टिफिशियल

इंटेलिजेंस से लैस हैं। लेकिन इंसानों का अकेलापन दूर करने और उनसे मोहब्बत करने के लिए एडल्ट चैटबॉट भी बनाए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इनसे चैटिंग के अलावा बोलकर बात हो सकती है और अपनी फीलिंग्स भी व्यक्ति शेयर कर सकता है। यूजर अपनी पसंद के मुताबिक इनके संग गर्लफेंड, बॉयफ्रेंड, दोस्त, पति या पत्नी, भाई, बहन से लेकर गाइड तक कोई भी रिश्ता बना सकते हैं। यूजर के तय किए गए रिश्ते के आधार पर ही चैटबॉट व्यवहार करता है। सबंधित को अपना रिश्ता खुद इसके सिस्टम में फीड करना होता है।

अकेलेपन का खतरा

हालांकि एआई से लैस रोबॉट इंसानों का बेहतर इंटीमेट पार्टनर बन रहा है। मगर आगाह किया जा रहा है कि इसके साथ से व्यक्ति समाज व दुनिया से कट सकता है। मगर इसके सिर्फ नुकसान ही नहीं हैं। क्योंकि गंभीर बीमारियों के शिकार, चलने-फिरने में लाचार लोगों के लिए एआई चैटबॉट एक ऐसा साथी है, जो उनकी सारी बातें सुनता है। अपने दिल की बातें करने के लिए उन्हें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।

नकली स्किन भी असली जैसी !

बताया जाता है कि अब तक तो सिलिकॉन और थर्मोप्लास्टिक इलास्टोमर यानि एक तरह की रबर से रोबॉट्स के अंग तैयार किए जाते थे, ताकि वे देखने और छूने पर इंसानों जैसे लगें। लेकिन, अब कंपनियां सेंसर स्किन, एरोहैप्टिक्स और प्रिंटेबल स्किन जैसे मैटेरियल यूज कर रही हैं। ये मैटेरियल एक्ट्यूएटर, सेंसर और होलोग्राम जैसी चीजों से लैस होते हैं। रोबॉट में लगी इस स्किन के कारण उसे छूने और गले लगाने पर वैसा ही अहसास होता है जैसा किसी इंसान को छूने पर होता है।