सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना ने सागर जोन के आईजी प्रमोद वर्मा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया। इसमें विशेष सशस्त्र बल के डीआईजी कल्याण चक्रवर्ती और डिंडौरी एसपी वाहिनी सिंह भी शामिल हैं।
कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि एसआईटी में ऐसे आईपीएस अफसर होने चाहिए जो मध्य प्रदेश कैडर के हों, लेकिन मूल रूप से बाहर के हों। टीम में दो अफसर राजस्थान और एक आंध्र प्रदेश का है। फिलहाल मंत्री शाह की गिरफ्तारी नहीं होगी, लेकिन जांच में सहयोग करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने जांच में सहयोग करने की शर्त पर विजय शाह की गिरफ्तारी पर अस्थायी रोक लगा दी है, लेकिन उनकी टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताई है। सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि उनके बयान से पूरा देश शर्मिंदा है। कोर्ट ने सजा से बचने के लिए जिस तरह से उन्होंने माफी मांगी थी, उस पर भी आपत्ति जताई और उसे खारिज कर दिया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन.कोटीश्वर सिंह की बेंच ने सोमवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के FIR दर्ज करने के आदेश को चुनौती देने वाली विजय शाह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
आपको बता दें, कि मंत्री विजय शाह ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में मीडिया को जानकारी देने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में आपत्तिजनक बयान दिया था। इसके बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए FIR दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ विजय शाह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सोमवार 19 मई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को आदेश दिया कि वे मंगलवार सुबह 10 बजे तक मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करें। एसआईटी में तीन आईपीएस अधिकारी होंगे और ये अधिकारी मूल रूप से मध्य प्रदेश के नहीं होंगे।
एसआईटी का मुखिया महानिरीक्षक (आईजी) रैंक का होगा और बाकी दो अधिकारी एसपी या उससे ऊपर के रैंक के होंगे। इनमें से एक अधिकारी महिला होगी। पीठ ने कहा कि वह मामले की निगरानी नहीं करना चाहती, लेकिन एसआईटी 28 मई को सुप्रीम कोर्ट में अपनी पहली स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेगी।