विशेष : गाय के गोबर से पर्यावरण की रक्षा करें..


स्टोरी हाइलाइट्स

अगर गाय के गोबर और मिट्टी को दीवारों पर लगाया जाता है, तो कई सालों तक मकड़ी के जाले नहीं लगते हैं। न तो छिपकलियों और न ही मच्छरों को कभी देखा जाता है..

विशेष : गाय के गोबर से पर्यावरण की रक्षा करें.. अगर गाय के गोबर और मिट्टी को दीवारों पर लगाया जाता है, तो कई सालों तक मकड़ी के जाले नहीं लगते हैं। न तो छिपकलियों और न ही मच्छरों को कभी देखा जाता है।   होली के दिन से एक रात पहले होलिका दहन किया जाता है। इस साल हमें होलिका दहन में पेड़ों को बचाने की पहल करनी चाहिए। सनातन धर्म को मानने वाले यह अच्छी तरह से जानते होंगे कि सनातन धर्म में हर जीव का सम्मान किया जाता है। हम पेड़ों की पूजा करते हैं। हम ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से अनजान नहीं हैं।ग्लेशियर के अचानक टूटने से बेमौसम बारिश हो रही है, समुद्र का स्तर बढ़ रहा है।   अत्यधिक ठंड या गर्मी एकमात्र बुरा परिणाम है। पेड़ों को बचाकर इस समस्या को हल किया जा सकता है। आइए हम संकल्प करें कि इस बार हम केवल गोबर का उपयोग करेंगे। लकड़ी का उपयोग बिल्कुल भी न करें, डंडे भी नहीं। तभी यह चेतना विकसित होगी।   गोबर के धुए से  से कीटाणु और मच्छर भी मारे जाते हैं। गोबर का प्रयोग करने से वातावरण शुद्ध होता है। न केवल गोबर का उपयोग खाद बनाने के लिए किया जाता है, बल्कि गाँव में गैस और बिजली संकट के समय में गोबर गैस संयंत्र भी स्थापित किए जा रहे हैं। जहां कोयला, एलपीजी, पेट्रोल, डीजल महंगे और प्रदूषणकारी स्रोत हैं, वहीं गोबर से बना बायोगैस कभी खत्म नहीं होने वाला स्रोत है। जब तक गौवंश है, तब तक हमें ऊर्जा मिलती रहेगी। प्रति वर्ष 2000 लीटर बायोगैस गोबर से प्राप्त किया जाता है|  हर साल 2000 लीटर बायोगैस गोबर से प्राप्त किया जाता है। बायोगैस के उपयोग से 68 मिलियन टन लकड़ी की बचत होती है और देश के पर्यावरण की भी रक्षा होती है। यह लगभग 30 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को भी रोक सकता है। यही नहीं, गोबर गैस प्लांट से गैस निकालने के बाद बची हुई सामग्री का इस्तेमाल कृषि के लिए जैविक खाद बनाने में किया जाता है। खाद खेती के लिए अमृत की तरह काम करता है। गोबर की खाद सबसे अच्छी मानी जाती है। जबकि उर्वरकों से उत्पन्न अनाज हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है।