स्टोरी हाइलाइट्स
जीवन में एक वक्त ऐसा आता है जब हमें हमारे काम से बोरियत होने लगती है| ऊब हमें तब भी होती है जब हम किसी नए काम को शुरू करते हैं|
...अतुल विनोद:-
जीवन में एक वक्त ऐसा आता है जब हमें हमारे काम से बोरियत होने लगती है| ऊब हमें तब भी होती है जब हम किसी नए काम को शुरू करते हैं|
नये काम में बहुत मेहनत होती है| मेहनत से खीज आती है| हमें खीज क्यों आती है? क्योंकि हमसे इतनी मेहनत नहीं बनती| इतनी मेहनत क्यों नहीं बनती? क्योंकि हमें वह काम सही ढंग से करना आता नहीं है? जो काम हमें अच्छे ढंग से करना नहीं आता, उस काम में हमें बोरियत होने लगती है| वह काम हमें बोझिल नजर आने लगता है|
कोई भी काम जब तक हमें बोझिल लगेगा, तब तक उस काम में हम कभी भी सफलता हासिल नहीं कर पाएंगे|
बेहतर यह है या तो हम अपने मनपसंद काम को ही करने के लिए चुने या फिर जो काम हमें मिला है उसे अपनी पसंद बना लें|
हमें मिला हुआ काम हमारी पसंद तब बनता है जब हम बोरियत की प्रवाह किये बिना लगातार उस काम में जुटे रहते हैं| जैसे हम पहली बार ड्राइविंग सीट पर बैठते हैं| पहले दिन हमारे हाथ पैर कांपते हैं| गाड़ी चलाने में घबराहट होती है| लेकिन धीरे-धीरे हम गाड़ी चलाने में माहिर बन जाते हैं| और घंटों की ड्राइविंग भी हमें थकाती नहीं है|
इसी तरह से जो काम शुरुआत में कठिन नजर आता है| यदि उसे करते रहा जाए तो 1 दिन आप उसमें सिद्धहस्त हो जाते हैं| और आपकी बोरियत खत्म हो जाती है| जिस काम में हम महारत हासिल कर लेते हैं| वह काम मजेदार हो जाता है| वही हमारी पसंद बन जाता है| क्योंकि वहां पर हमारा कॉन्फिडेंस होता है| जहां कॉन्फिडेंस होता है| वहां हमारा मनोबल ऊंचा होता है| इसलिए अपने काम को करते जाएं| भले ही वह कठिन नजर आए|
मन हमेशा भटकाने की कोशिश करता है| लेकिन मन की बात न सुने| करते जाए न्यूटन की गति का नियम कहता है एक बार पहिया गति पकड़ ले तो फिर उसे इतनी आसानी से रोका नहीं जा सकता| वह अपने आप चलता रहेगा| कुम्हार के चाक का पहिया एक बार घुमाने के बाद बहुत देर तक यूं ही अपने आप चलता रहता है|
जिंदगी में कोई भी काम शुरू करने में थोड़ी मेहनत लगती है| शुरुआत थोड़ी कठिन होती ही है, लेकिन उसके बाद यात्रा आसान हो जाती है|अपनी प्रेरणा का दिया खुद बने, आज कल से बेहतर करें, खुद का खुद से कंपटीशन रखें| शुभमस्तु: