सुशांत Vs रिया……. "FILM" तैयार बस क्लाइमैक्स का इंतजार ........P ATUL VINOD
Sushant Vs Riya ……. "FILM" ready ONLY waiting for climax ........ P ATUL VINOD
सुशांत सिंह की आत्महत्या या हत्या? कौन है जिम्मेदार? ……... बस क्लाइमैक्स का इंतजार है और फिर पिक्चर तैयार|
डायरेक्टर फिल्म की पटकथा लिख चुके हैं….. यदि सुशांत सिंह की हत्या या आत्महत्या में रिया की भूमिका साबित हुई तो फिल्म सुशांत पर बेस्ड होगी और यदि रिया निर्दोष साबित हुई तो पिक्चर रिया पर बेस्ड होगी|
दरअसल फिल्म के लिए एक हीरो और एक विलन की जरूरत होती है| यदि सुशांत सिंह की मौत में रिया की भूमिका निकली तो जाहिर तौर पर सुशांत इस फिल्म के मुख्य किरदार होंगे और रिया विलन की भूमिका में होगी| यदि रिया की भूमिका साबित नहीं हुई…. तो इस फिल्म के केंद्र में रिया होगी… और विलेन की भूमिका में मीडिया होगा|
फिल्म में ये दिखाया जाएगा कि किस तरह से एक नवोदित अभिनेत्री मीडिया ट्रायल का शिकार होती है….. कैसे अदालत का फैसला आने के पहले ही उसे मीडिया द्वारा दोषी करार दिया जाता है………. इस कहानी में रिया को एक ऐसे किरदार के रूप में पेश किया जाएगा जो…. अपने लिव-इन पार्टनर की मौत की जिम्मेदार न होने पर भी सुशांत के परिजन, मित्र और मीडिया के टारगेट पर आ जाती है…. फिर शुरू होता है एक सीधी-सादी लड़की के ट्रायल का दौर ….तब इस फिल्म में रिया को सहानुभूति का केंद्र बनाने के लिए तमाम तरह के सीन क्रिएट किये जायेंगे …. जो वर्तमान में दिख रहे वास्तविक दृश्यों से हटकर नहीं होंगे… फिल्म में रिया एक नायक के तौर पर उभरेगी … एक ऐसी नायिका जिस पर निर्दोष होने के बावजूद जुल्म पर जुल्म ढाए जाते हैं |
पूरा परिवार उस पर लगे इन आरोपों का शिकार बनता है| उनका जीना दूभर हो जाता है| और कैसे हो इन सारे दबाव और आरोपों के बीच तमाम जांच एजेंसियों का सामना करके एक विजयी योद्धा के तौर पर सामने आती है| यह फिल्म के मूल में होगा|
यदि रिया सुशांत की मौत की जिम्मेदार पाई जाती है तो फिल्म की पटकथा बदल जाएगी…. रिया चक्रवर्ती तब विलेन की भूमिका में होगी और मीडिया सुशांत की मौत की इस आरोपी को सलाखों के पीछे पहुंचाने वाला हीरो बनकर उभरेगा…. तब सुशांत की बहनें …. और उसके वह संगी- साथी जो रिया के विरोधी हैं, भी एक्टिविस्ट की तरह पेश किए जाएंगे|
दुर्भाग्य ये है कि सुशांत की मौत फिलवक्त तमाशा बन चुकी है…. तथाकथित चैनल मदारी की भूमिका में है और जनता तमाशा देख रही है|
बच्चे, जवान और बूढ़े दिन रात रिया और सुशांत रट रहे हैं….. हर एक की जुबां पर रिया रिया इतना हो चुका है ...यदि इतना राम का नाम होता तो शायद सारे पाप धुल जाते|
सुशांत अब इस दुनिया में नहीं है… उसे नहीं मालूम होगा कि उसकी मौत इस तरह से एक सर्कस का खेल बन जाएगी….
यह सुशांत की गलती है कि यदि उसने आत्महत्या की है तो उसे मरने से पहले इसके कारणों का खुलासा करके जाना था … एक पत्र ही लिख जाता ….
यदि रिया दोषी है तो उसकी आत्मा इस बात से दुखी होगी कि वह कैसे अब तक सलाखों से दूर है? और यदि रिया निर्दोष है तब तो आत्मा और ज्यादा द्रवित
होगी… क्योंकि निर्दोष का इस तरह से चरित्र हनन उसके साथ पति की तरह रहने वाले सुशांत की आत्मा को कतई रास नहीं आ रहा होगा|
सुशांत के समर्थक और मीडिया इतनी जल्दबाजी में क्यों है? देश के सामने और भी मुद्दे हैं?
मैंने पहले भी एक लेख में लिखा था कि रोज कितने लोग आत्महत्या करते हैं| आज ही मैंने अखबार में कई लोगों की आत्महत्या की खबरें पढ़ी लेकिन खबर आई और कब चली गई पता ही नहीं चलता| बाद में अखबार फॉलोअप तक नहीं देते कि आखिर इन्वेस्टिगेशन में उसकी आत्महत्या की क्या वजह सामने आई?
क्या हम बहुत ज्यादा संवेदनशील है जो सुशांत मौत से इतने द्रवित हो गए हैं ? क्या हमारा मीडिया वाकई किसी युवा की मौत का इन्साफ दिलाने के लिए इतनी मशक्कत कर रहा है?
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एक अभिनेता की मौत की इतनी चीरफाड क्यों?
क्या मीडिया और समाज को किसी की मौत के बाद उसकी निजी जिंदगी की बखिया उधेड़ने का लाइसेंस हासिल हो जाता है?
कभी सुशांत की मौत के पीछे उनके कथित गैर वाजिब संबंधों को उजागर किया जाता है?
कभी उनकी खुदकुशी को उनकी बहनों का संपत्ति हड़पने का खेल बताया जाता है?
एक दिवंगत अभिनेता की प्राइवेसी का हक छीन लिया गया है .. मरने के बाद भी उसकी आत्मा को चैन नहीं … कानून के काम करने का अपना तरीका है| जांच
एजेंसियां आपके चीखने-चिल्लाने से किसी को आरोपी करार नहीं दे सकतीं | और अदालत को तो तमाम सबूत और गवाहों के आधार पर ही फैसला देना होता है|
सच ही कहा कृति सेनन ने सोशल कि मीडिया सबसे ज्यादा फेक और जहरीला स्थान हैं। जहां लोग सिर्फ परवाह करने का ढोंग करते हैं। यहां ट्रोलिंग, तमाम तरह के गॉसिप्स और बातें बनाईं जाती हैं, लेकिन जब आप इस दुनिया में नहीं रहते तो अचानक यहां के लोगों का प्यार बरसाना शुरू हो जाता है। कुछ इसी तरह का हाल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का है|
बतौर टीवी पत्रकार मैंने साल 2000 से 2015 तक करीब एक दर्जन मीडिया संस्थानों में ग्राउंड रिपोर्टिंग की… संवेदनशील मसलों पर कई बार इनपुट डेस्क से ऐसी डिमांड आती थी … जिसे करने की आत्मा गवाही नहीं देती थी… किसी तरह उन्हें करना टाल देता था| लेकिन अब रिपोर्टर को नौकरी बचाने वो सब कुछ करना ही होता है जो वो नहीं करना चाहता… 90 फीसदी रिपोर्टर तमाशा नहीं करना चाहते लेकिन चैनल पालिसी के आगे वे बेबस होते हैं|
रिया के मामले में कुछ टीवी मीडिया की भूमिका अब तक के ऐसे कैसेस में सबसे ज्यादा आक्रामक, तमाशाई, मायावी ,ड्रामेटिक, उत्तेजक,ह्यपोथिटिक,धृष्ट,दुस्साहसी है|
मीडिया को अपनी खबर चलाने के लिए किसी को टारगेट करना ही है .. पहले मीडिया के निशाने पर दिशा सालियान की मौत, उसके पीछे खड़े कथित नेता और
अभिनेता थे, लेकिन अचानक उसकी बन्दूक की दिशा बदल गयी .. सूरज का आदित्य न जाने क्यूँ ओझल हो गया और बच गयी रिया …. फिल्म वालों को अच्छा मसाला मिल
गया
एक लेखक मित्र फिल्म की पटकथा लिख रहा है … उसे समझ नहीं आ रहा कि किसे हीरो बनाये किसे विलन ? फिर भी उसने तीन तरह की स्क्रिप्ट तैयार कर ली
है| यदि ऐसा हुआ तो ये स्टोरी वैसा हुआ तो वो .. जो भी होगा कहानी हिट होगी|