पन्ना टाइगर रिजर्व में देश की सबसे उम्रदराज मादा हाथी की मौत, अलविदा वत्सला!


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स्टोरी हाइलाइट्स

पन्ना टाइगर रिजर्व की गौरवशाली विरासत, लगभग 100 वर्षों तक वन्य जीवन का शानदार सफर तय करने वाली दुनिया की सबसे उम्रदराज मादा हाथी 'वत्सला' अब हमारे बीच नहीं रही..!!

पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनूता रेंज के अंतर्गत 100 वर्ष से अधिक आयु की सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला का मंगलवार, 8 जुलाई को निधन हो गया। वत्सला को एशिया की सबसे उम्रदराज मादा हाथी माना जाता है। पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियों और कर्मचारियों ने वत्सला का अंतिम संस्कार किया। वत्सला नामक हथिनी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। सबसे उम्रदराज होने के कारण, उसने हाथियों के पूरे समूह का नेतृत्व किया। एक अन्य हथिनी ने एक बच्चे को जन्म दिया और बच्चे को जन्म देते हुए उसने दादी की भूमिका निभाई।

पन्ना टाइगर रिज़र्व के क्षेत्र निदेशक ने बताया कि मादा वत्सला अपने अगले पैर के नाखून के टूटने के कारण हिनौता रेंज में खैरैया नाले के पास बैठी थी। वनकर्मियों ने उसे उठाने की कई कोशिशें कीं। दोपहर में वत्सला की मौत हो गई।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लिखा कि..

'वत्सला' का सौ वर्षों का साथ आज विराम पर पहुंचा। पन्ना टाइगर रिज़र्व में आज दोपहर 'वत्सला' ने अंतिम सांस ली। वह मात्र हथिनी नहीं थी, हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और मप्र की संवेदनाओं की प्रतीक थीं। टाइगर रिज़र्व की यह प्रिय सदस्य अपनी आंखों में अनुभवों का सागर और अस्तित्व में आत्मीयता लिए रहीं। उसने कैंप के हाथियों के दल का नेतृत्व किया और नानी-दादी बनकर हाथी के बच्चों की स्नेहपूर्वक देखभाल भी की। वह आज हमारे बीच नहीं है, पर उसकी स्मृतियां हमारी माटी और मन में सदा जीवित रहेंगी। 'वत्सला' को विनम्र श्रद्धांजलि!

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखा कि..

आज एक दु:खद समाचार ने हृदय को व्यथित कर दिया। पन्ना टाइगर रिजर्व की गौरवशाली धरोहर, हम सबकी अत्यंत प्रिय वत्सला अब हमारे बीच नहीं रहीं। वे दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनियों में शुमार थीं। दशकों तक उन्होंने दादी की तरह नन्हे हाथियों की देखभाल की। पन्ना टाइगर रिजर्व में उन्हें देखना और पुकारना, एक आत्मीय संवाद जैसा अनुभव होता था। वत्सला, तुम सदा हमारी स्मृतियों में जीवंत रहोगी। अलविदा!

हथिनी वत्सला को केरल से नर्मदापुरम लाया गया था और बाद में पन्ना टाइगर रिज़र्व लाया गया। वृद्धावस्था के कारण, वत्सला की आँखों की रोशनी चली गई थी और वह ज़्यादा दूर तक चल नहीं पाती थी, इसलिए उसे गश्त के काम में नहीं लगाया गया। उसे हिनौता हाथी शिविर में रखा गया था। उसे प्रतिदिन खैरैया नाले में नहलाने के लिए ले जाया जाता था और खाने में दाल दी जाती थी।

पन्ना टाइगर रिज़र्व प्रबंधन के वन्यजीव चिकित्सकों और विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर हथिनी वत्सला के स्वास्थ्य की जाँच की जाती थी। इसलिए, वत्सला पन्ना टाइगर रिजर्व के विरल और शुष्क वन क्षेत्र में लंबे समय तक जीवित रही। वत्सला ने बाघ अभयारण्य में बाघ पुनर्वास परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।