पुलिस बल की तरह वन को फारेस्ट फोर्स घोषित करने हाई कोर्ट ने दिया आदेश


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स्टोरी हाइलाइट्स

उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को राज्य सरकार के परामर्श से अधिकतम 90 दिन की अवधि में कानून के बनाने के निर्देश दिया है..!!

भोपाल: उच्च न्यायालय जबलपुर मुख्य बेंच ने मैदानी वन कर्मचारियों एंव अधिकारियों को वन बल घोषित किये जाने का आदेश दिया है। इसके लिए उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को राज्य सरकार के परामर्श से अधिकतम 90 दिन की अवधि में कानून के बनाने के निर्देश दिया है। न्यायालय ने  कर्मचारी कांग्रेस संगठन को सरकार के निर्णय का इंतज़ार करने की हिदायत दी है। जंगलों की सुरक्षा प्रभावी ढंग से कर सकें और माफिया से निपट सकें, इसके लिए लंबे समय से वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा पुलिस के समान अधिकार देने की मांग की जा रही थी। 

वन विभाग के क्षेत्रिय वन कर्मचारियों एवं अधिकारियों को बन वल घोषित करने हेतु मध्य प्रदेश कर्मचारी कांग्रेस संगठन के अध्यक्ष मुनेंद्र सिंह परिहार ने उच्च न्यायालय जबलपुर रिट पिटीशन दाखिल किया था। इस याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय जबलपुर मुख्य बेंच के न्यायाधीश मनिंदर एस भट्टी ने 90 दिवस के भीतर केन्द्रं सरकार तथा मप्र शासन को स्पींकिग आदेश पारित कर बल घोषित किये जाने का आदेश दिया है। 

प्रांतांध्यक्ष मुनेन्द्र सिंह परिहार ने बताया है कि संगठन की ओर से दायर याचिका कर्ताओं ने वन बल प्रमुख के जारी  गजट नोटिफिकेशन को हाईकोर्ट जबलपुर में चुनौती दी थी कि वन बल की भांति सबसे पहले वनरक्षक से लेकर वन क्षेत्रपाल तक क्षेत्रिय अमले को भी वल घोषित किया जाए।  

उच्च न्यायालय के इस फैसले से क्षेत्रिय  वन कर्मचारियों एंव अधिकारियो बन वल घोषित करने का रास्ता साफ हो गया है। इस आदेश से वन विभाग के क्षेत्रिय वन कर्मचारियों को  पुलिस की तरह ही कारगर एंव सशक्त अधिकार मिलेगे। 

क्या थी कर्मचारी संगठनों की मांग..

* वन विभाग के कर्मचारी चाहते हैं कि उन्हें पुलिस के समान अधिकार दिए जाएं, ताकि वे जंगल की सुरक्षा और माफिया से निपटने में अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकें।

* जंगल की सुरक्षा करते समय बिना डरे गोली चलाने का अधिकार।

* संदिग्धों की कॉल डिटेल निकालने का अधिकार। 

* लकड़ी कटाई, शिकार, और वन भूमि पर अतिक्रमण जैसे अपराधों को गैर-जमानती घोषित करने का अधिकार।