प्रमुख सचिव द्वारा भ्रष्टाचार की जांच के आदेश को ठेंगा, आरोपी प्रोफ़ेसर को फिर बनाया गया कॉलेज का प्राचार्य


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स्टोरी हाइलाइट्स

सबूतों को नष्ट करने की जताई आशंका..!!

भोपाल: उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अनुपम राजन द्वारा सागर के आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज की प्रोफेसर सरोज गुप्ता के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं व भ्रष्टाचार की जांच के आदेश को विभाग के ही आयुक्त निशांत बरबड़े ने ठेंगा दिखाते हुए आरोपी प्रोफ़ेसर सरोज गुप्ता को वित्तीय अधिकारों के साथ एक बार फिर उसी महाविद्यालय में प्राचार्य का प्रभार सौंप दिया है। पूर्व में आरोपी के चलते प्रोफेसर गुप्ता को प्राचार्य पद से हटाया गया था।

उच्च शिक्षा विभाग के ओएसडी संतोष भार्गव द्वारा उच्च शिक्षा आयुक्त के अनुमोदन से क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक सागर के नाम जारी आदेश के अनुसार डॉ सरोज गुप्ता, प्राध्यापक, हिन्दी, पं. दीनदयाल उपाध्याय शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, सागर को इसी महाविद्यालय में प्रभारी प्राचार्य एवं आहरण संवितरण अधिकारी के अधिकार सौपे जाने को निर्देशित किया है। 

जबकि प्रोफेसर सरोज गुप्ता के विरुद्ध महाविद्यालय की वरिष्ठता सूची में हेरफेर कर प्राचार्य पद हासिल करने, जन भागीदारी फंड की सरकारी बैंक में जमा फिक्स्ड डिपॉजिट राशि को तोड़कर बिना अनुमति प्राइवेट बैंक के चालू खाते में जमा कर इस राशि का दुरुपयोग करने, शासन के आरक्षण रोस्टर नियमों के विरुद्ध अनुकंपा नियुक्ति के मामले में सामान्य पद पर ओबीसी अभ्यर्थी को नियुक्ति देने, टेंडर द्वारा स्वीकृत दर को दरकिनार कर कार्यक्रमों के आयोजन में चहेते सप्लायर को बिना किसी कोटेशन के ऊंची दरों पर सामग्री का भुगतान करने, जनभागीदारी फंड का निजी कार्यक्रमों व खरीदी में दुरुपयोग करने जैसी आर्थिक अनियमितताओं, मनमानी और भ्रष्टाचार की कई गंभीर शिकायतें उच्च स्तर पर की गई थीं।

इन शिकायतों पर उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अनुपम राजन ने मकरोनिया बुजुर्ग के प्राचार्य डॉ एसी जैन की अध्यक्षता में गठित कमेटी से 13 बिंदुओं पर जांच कराई थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त कमेटी ने अपनी जांच को पूरा कर तथ्यों व साक्ष्यों समेत "आरोपों की पुष्टि संबंधी अपनी विस्तृत रिपोर्ट व निष्कर्ष" विभाग के समक्ष प्रस्तुत कर दिए हैं। लेकिन विभाग के ही कनिष्ठ अधिकारियों ने प्रमुख सचिव की जांच को दरकिनार करते हुए आरोपी प्रोफेसर डॉ सरोज गुप्ता के नाम से आदेश निकाल दिया है। 

इस आदेश के बाद  एक बार फिर प्राचार्य का प्रभार संभालने वाली प्रोफेसर सरोज गुप्ता द्वारा जांच कमेटी के सामने आए सबूतों को ताबड़तोड़ तरीके से नष्ट करने और शिकायतों व जांच को झूठा साबित करने की कवायद की जा रही है। इसके अलावा अपने पुराने कार्यकाल में बिना स्वीकृति के जारी किए गए विभिन्न खरीदी के भी आदेश कर जन भागीदारी मद में जमा धनराशि को तेजी से खर्च करना शुरू कर दिया है। 

उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा डॉ सरोज गुप्ता के कार्यकाल की जांच कराए जाने के बावजूद विभाग के अन्य अधिकारियों द्वारा उन्हें एक बार फिर प्राचार्य का प्रभार देने के हालिया आदेश को स्थानीय जन प्रतिनिधियों समेत अन्य स्तरों पर आश्चर्य के साथ देखा जा रहा है साथ ही शिकायतों संबंधी तथ्यों और सबूत को नष्ट करने की आशंका व्यक्त करते हुए विभाग के इस निर्णय पर नाराजगी जताई जा रही है।