माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विवि की दो नियुक्तियां निरस्त, रीडर संजय द्विवेदी और पवित्र श्रीवास्तव को झटका


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स्टोरी हाइलाइट्स

हाई कोर्ट ने पाया कि नियुक्ति प्रक्रिया में चयन समिति के गठन के मानदंडों का विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुरूप पालन सुनिश्चित नहीं किया गया था..!!

भोपाल: हाई कोर्ट जबलपुर ने राजधानी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय अंतर्गत डिपार्टमेंट आफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में पदस्थ रीडर संजय द्विवेदी और पवित्र श्रीवास्तव की नियुक्ति को नियम विरुद्ध पाते हुए निरस्त कर दिया। दोनों की नियुक्ति 2009 में हुई थी। हाई कोर्ट ने पाया कि नियुक्ति प्रक्रिया में चयन समिति के गठन के मानदंडों का विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुरूप पालन सुनिश्चित नहीं किया गया था।

जनसंचार और जनसंपर्क एवं विज्ञापन विभाग के प्रमुख को चयन समिति-साक्षात्कार पैनल में शामिल नहीं किया गया था, जो अनिवार्य था। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिए कि डिपार्टमेंट आफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में रीडर के पद पर भर्ती के लिए नए सिरे से विज्ञापन जारी कर साक्षात्कार आयोजित करें।दरअसल, पंजाब के मोहाली में रहने वाले डा. आशुतोष मिश्रा ने वर्ष 2015 में याचिका दायर कर उक्त रीडरों की नियुक्ति को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि विश्वविद्यालय ने 11 अप्रैल, 2008 को विभिन्न विभागों में भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था।

उन्होंने दलील दी कि माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय अधिनियम 1990 की धारा 33(2)(डी) का पालन नहीं किया गया। इसके तहत चयन समिति में संबंधित विभाग के विभागाध्यक्षों को शामिल करना अनिवार्य था। संचार विभाग की तत्कालीन अध्यक्ष प्रो दविंदर कौर उप्पल तथा जनसंपर्क एवं विज्ञापन विभाग के अध्यक्ष शशिकांत शुक्ला विवि में उपस्थित थे, लेकिन फिर भी उन्हें शामिल नहीं किया गया। हाई कोर्ट ने नियुक्तियों को अवैधानिक पाते हुए निरस्त कर दिया।