Ujjain: खुल गए नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट, 365 दिनों में 24 घंटे ही खुलता है मंदिर


Image Credit : X

Nag Panchmi 2024: पूरे देश सहित मध्य प्रदेश में भी नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे हैं। हर साल नागपंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट खुलने का इंतजार होता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि इसके दरवाजे साल में एक बार 24 घंटे खुले रहते हैं। गुरुवार रात 12 बजे नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खोले गए। जो शुक्रवार रात 12 बजे तक खुले रहेंगे। 

Image

महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष पर स्थित और साल में एक बार नाग पंचमी के पावन पर्व पर खुलने वाले भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट परंपरानुसार रात 12 बजे खोले गए।  मंदिर के पट साल में एक बार नाग पंचमी के दिन 24 घंटे खुले रहते हैं। इस दिन भगवान नागचंद्रेश्वर भक्तों को दर्शन देते हैं। इस बार भी नाग पंचमी के दिन ही कपाट खोले गए हैं। मंदिर के कपाट खुलने से पहले ही दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें लग गईं। नागपंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है।

सीएम मोहन यादव ने भी मंदिर के पट खुलने के बाद अपने X हैंडल पर पोस्ट शेयर करके मंगलकामना की है। सीएम ने लिखा है..

श्री महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष पर स्थित एवं वर्ष में एक बार नाग पंचमी के पावन पर्व पर खुलने वाले भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट परंपरानुसार रात 12 बजे खोले गए। नागचंद्रेश्वर महादेव की कृपा सभी पर सदैव बनी रहे।

 दरअसल, नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। इसी के चलते उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर में नापंचमी के दिन भक्तों का तांता लगा जाता है। महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में मध्य भाग में ओंकारेश्वर मंदिर स्थापित है और उसके ऊपर श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थापित है।

रात 12 बजे मंदिर खुलने के बाद परंपरा के अनुसार सबसे पहले महंत विनीत गिरी महाराज ने पंचायती महानिर्वाण अखाड़े की ओर से नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की। यह पूजा करीब 1 घंटे तक चली। जिसमें आरती और भोग लगाया गया।। इसके बाद रात 1 बजे से आम जनता दर्शन कर सकी। शुक्रवार को रात 12 बजे तक दर्शन का सिलसिला जारी रहेगा।

श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर की मूर्ति 11वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा की खास बात यह है कि इसमें भगवान शिव और माता पार्वती फन फैलाए हुए नाग के आसन पर विराजमान हैं। इसमें उनके साथ नंदी और सिंह भी मौजूद हैं। पूरे विश्व में भोले नागा की शय्या पर विराजमान भगवान शिव की यह अनोखी प्रतिमा है। इस अद्भुत मूर्ति के साथ-साथ मंदिर में सप्तमुखी नाग देव की भी मूर्ति है।

Image

नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा में शिव-पार्वती के अलावा उमा और कार्तिकेय के दाहिनी ओर गणेश की ललितासन प्रतिमा है। साथ ही मूर्ति के शीर्ष पर सूर्य और चंद्रमा भी उकेरे हुए हैं। इस प्रकार नागचंद्रेश्वर की मूर्ति अपने आप में भव्य कलात्मकता का उदाहरण है।

भगवान नागचंद्रेश्वर की मूर्ति में भगवान के गले और हाथों में भुजंग लिपटा हुआ है। कहा जाता है कि यह मूर्ति नेपाल से यहां लाई गई थी। यह भी माना जाता है कि उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी मूर्ति नहीं है। इस प्रतिमा के दर्शन के बाद अंदर प्रवेश करते ही नागचंद्रेश्वर की मुख्य प्रतिमा के दर्शन होते हैं।

साल में एक बार क्यों खोले जाते हैं मंदिर के पट?

नागचंद्रेश्वर मंदिर को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं हैं। इसके अनुसार, सांपों के राजा तक्ष ने भगवान शिव की घोर तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर भगवान ने तक्षक नाग को अमरता का वरदान दिया। इस वरदान के बाद नागराज तक्षक बाबा महाकाल की शरण में रहता है। अमरता के साथ-साथ नागराज चाहते थे कि उनका एकांत अबाधित रहे। इसलिए यह मंदिर साल भर बंद रहता है और नागपंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर महादेव की पूजा की जाती है।