अजब प्रदेश मध्य प्रदेश में आए दिन कुछ ना कुछ अजीबोगरीब वाक्ये सामने आते हैं। लेकिन इस बार जो मामाला उजागर हुआ है उसने ना सिर्फ शिक्षा विभाग बल्कि आम जनता को भी चौंका दिया है। यहां सरकार की मिलीभगत से, धोखाधड़ी के जरिए, एक स्कूल को सिर्फ कागजों पर सरकारी दिखाकर 23 साल तक सरकारी खजाने को लूटने का मामला सामने आया है।
प्रदेश में मिलीभगत से, 23 साल तक टीचरों के नाम पर सरकारी खजाने से सैलरी दी जाती रही, लेकिन असल में यह कभी सरकारी था ही नहीं। अब इस खुलासे के बाद, ₹15 करोड़ वसूलने का आदेश जारी किया गया है।
इस स्कूल का नाम शास्त्री हायर सेकेंडरी स्कूल है। निवाड़ी जिले के इस स्कूल को पिछले 23 सालों से स्कूल शिक्षा विभाग से सैलरी मिलती रही। इतना ही नहीं सरकारी टीचरों की तरह उन्हें भी 2002 से एरियर और प्रमोशन का फ़ायदा मिल रहा है।
इस घोटाले के ज़रिए सरकारी खजाने से स्कूल टीचरों को कुल ₹15 करोड़, 88 लाख, 88 हज़ार, 995 बांटे गए। लेकिन, स्कूल की पोल तब खुली जब उसी स्कूल के एक टीचर की मौत के बाद उसके परिवार ने मृतक के आश्रितों के कोटे के तहत नौकरी के लिए अप्लाई किया।
सागर डिपार्टमेंट के उस समय के इंचार्ज जॉइंट डायरेक्टर मृत्युंजय कुमार ने बताया, "निवाड़ी-टीकमगढ़ में 20 साल से ज़्यादा समय से चल रहे करीब ₹15 करोड़, 88 लाख के एजुकेशन स्कैम की जांच पूरी हो गई है और रिपोर्ट लोकायुक्त को भेज दी गई है।
मामला पहले से ही पेंडिंग था। 4 जुलाई, 2025 को चार्ज संभालने के बाद कमिश्नर ऑफिस के निर्देश पर जांच की थी। दोनों जिलों के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से तीन दिन में रिपोर्ट मांगी गई थी।
11 नवंबर को लोकायुक्त के लीगल एडवाइजर कोर्ट में पेश हुए। पूछा गया कि इतनी बड़ी रकम के गबन में कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया। डिपार्टमेंट को मौखिक रूप से निर्देश दिया गया है कि एक महीने के अंदर पूरी रकम वसूल की जाए, नहीं तो दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त डिसिप्लिनरी एक्शन लिया जाएगा।
इसमें तीन डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर, तीन से चार ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर, कुछ क्लस्टर प्रिंसिपल और प्राइवेट स्कूलों के टीचर शामिल हैं। सरकार तय कर रही है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। रिकवरी? सभी के खिलाफ नियम के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
सवाल उठ रहे हैं कि मध्य प्रदेश में 23 साल तक यह स्कैम क्यों अनजान रहा, जहां कमलनाथ के राज को छोड़कर लगातार BJP सत्ता में रही है? इस बारे में मोहन सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, "हमारे स्कूल एजुकेशन ऑफिसर ने यह मामला उठाया है। मुख्यमंत्री ने सख्त आदेश दिए हैं कि ऐसे किसी भी मामले पर कार्रवाई की जाएगी। जैसे ही यह मामला सामने आया, तुरंत कार्रवाई की गई। "जो लोग दोषी पाए जाएंगे, उन पर केस चलेगा, और यह पता लगाने के लिए जांच चल रही है कि क्या ऐसे और भी मामले हैं।
डिपार्टमेंट अब यह जांच कर रहा है कि क्या यह मामला निवाड़ी जिले के किसी एक स्कूल तक ही सीमित है या पूरे राज्य में ऐसे और भी मामले हैं। इस मामले में ₹15 करोड़ की रिकवरी का ऑर्डर तो जारी किया गया, लेकिन यह भी सच सामने आया है कि डिपार्टमेंट के अधिकारी और कर्मचारी लंबे समय से यह स्कैम चला रहे थे, और इसी वजह से प्राइवेट टीचर सालों से बिना किसी रुकावट के सरकारी खजाने से अपनी सैलरी ले रहे थे।
अब खुलासा होने पर 15 करोड़ की रिकवरी का आदेश जारी हुआ है. इस स्कूल का नाम है- शास्त्री हायर सेकेंडरी स्कूल. निवाड़ी जिले का यह स्कूल बीते 23 साल से स्कूल शिक्षा विभाग से सैलरी लेता रहा.
पुराण डेस्क