जनवरी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में हुई पहली बारिश ने तमाम प्रशासनिक दावों की पोल खोल दी है। रामपथ, जिसे अयोध्या के विकास के लिए एक मॉडल बनाने का इरादा था, पहली बारिश के चलते कई स्थानों से बह गया।
दरअसल प्राण प्रतिष्ठा से पहले सआदतगंज से नयाघाट लता चौक तक करीब 13 किमी लंबा राम पथ बनाया गया था। इसका निर्माण पीडब्ल्यूडी ने कराया था, जबकि सीवर लाइन का काम जल निगम ने कराया था। प्री-मानसून की पहली बारिश ने दोनों विभागों के बेहतर काम के दावों की पोल खोल दी।
बारिश के कारण रामपथ पर 12 से ज्यादा जगहों पर सड़क बह गई। इस सड़क पर बड़े-बड़े चैंबर भी बनाए गए हैं। सड़क पर पानी भर जाने से यातायात भी प्रभावित हो रहा है। हालांकि बारिश थमने के बाद लोक निर्माण विभाग ने आनन-फानन में सभी गड्ढों को भरने का काम भी शुरु कर दिया।
रिकाबगंज चौक से लेकर बलरामपुर हाउस तक सड़क में जगह-जगह गड्ढे हो गए। वहीं रामपथ पर बने नाले से हो रहे रिसाव के कारण गहरी सीवर लाइन के मैनहोल के पास भी सड़क टूट गई।
आपको बता दें, कि प्राण प्रतिष्ठा के दौरान जल्दबाजी में बने रामपथ पर दिन-रात निर्माण कार्य किया गया। वहीं प्री-मानसून की पहली बारिश के बाद शहर की कई सड़कों और इलाकों में पानी भर गया। इसी पथ और कॉलोनियों से होकर रामनगरी आने वाले श्रद्धालु होटलों और सरायों में ठहरने के लिए जाते हैं। वहां से लोग रामलला के दर्शन करने आते हैं।
बारिश के बाद लोगों के घरों में भी पानी घुस गया। इससे लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। जल निकासी की व्यवस्था न होने से रेलवे स्टेशन रोड पर पानी भर गया। सड़के धंसने से रामपथ निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल भी उठ खड़े हुए हैं।
सवाल ये भी हैं, कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बारिश के दौरान अयोध्या कितनी तैयार है। सवाल ये भी क्या रामपथ श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित है। पहली बारिश में ये हाल है, तो आगे तो राम ही जाने।