सोशल मीडिया से रहें सावधान : नफरत भरी पोस्ट कहीं अस्पताल न पहुचा दें | How Rumors and Gossip Can Actually Make You Sick?


स्टोरी हाइलाइट्स

यदि अपने दिमाग को दुरुस्त रखना चाहते हैं तो सोशल मीडिया से तौबा कर लें| हाल ही में एक आईपीएस अधिकारी ने सोशल मीडिया से तौबा कर ली|  दरअसल सोशल मीडिया पर नफ..

सोशल मीडिया से रहें सावधान : यदि अपने दिमाग को दुरुस्त रखना चाहते हैं तो सोशल मीडिया से तौबा कर लें| हाल ही में एक आईपीएस अधिकारी ने सोशल मीडिया से तौबा कर ली|  दरअसल सोशल मीडिया पर नफरत भरे पोस्ट बढ़ने से यह अधिकारी परेशान थे| ऐसे ही अनेक बुद्धिजीवी लोग हैं जो लगातार सोशल मीडिया से दूरी बना रहे हैं|  दरअसल सोशल मीडिया न सिर्फ लोगों में आपसी वैमनस्य बढ़ा रहा है बल्कि ये लोगों का व्यक्तिगत मानसिक संतुलन भी खराब कर रहा है | फेक न्यूज़, अफवाह और नफरत भरी  सोशल मीडिया आपको गंभीर रूप से बीमार कर सकती है| न्यूरोसाइंटिस्ट के मुताबिक आप  एंजाइटी, डिप्रेशन, क्लीनिकल डिप्रेशन, Post-traumatic स्ट्रेस डिसऑर्डर, पैनिक अटैक, गिल्ट और सुसाइड के शिकार हो सकते हैं|’ अक्सर हम रयूमर्स, गॉसिप और फेक न्यूज़ को हार्म-लेस समझते हैं, लेकिन क्लीनिकल एक्सपोर्ट के मुताबिक छोटी छोटी बातें दिमाग पर गहरा असर डालती हैं|  आप यह समझते हुए भी कि ये सूचनाएं सच नहीं है उन्हें अपने दिमाग की गहराइयों में बैठा लेते हैं| यह नकारात्मक जानकारियां धीरे-धीरे आपके दिमाग को फ्रीज़ करने लगती हैं और एक दिन बड़ी मानसिक बीमारी का स्वरूप ले लेते हैं| आमतौर पर लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल मनोरंजन के लिए करते हैं|  सोशल मीडिया के जरिए लोग न सिर्फ अपनी बातें रखते हैं बल्कि अपनी इमेज, वीडियोस ,और उपलब्धियों को शेयर कर आत्म संतुष्टि हासिल करते हैं| मनोचिकित्सक मानते हैं कि सोशल मीडिया पर नफरत भरी पोस्ट बढ़ने के कारण लोग गंभीर दिमागी समस्याओं का शिकार हो रहे हैं| दरअसल कोई भी व्यक्ति किसी ना किसी समाज धर्म मत या संप्रदाय का हिस्सा होता है|  हर व्यक्ति को अपनी जाति, समाज, और धर्म से लगाव होता है| सोशल मीडिया पर हर जाति और धर्म के खिलाफ कुछ ना कुछ मौजूद है|  जाने अनजाने में व्यक्ति जब अपनी विचारधारा के विपरीत किसी ग्रुप या पोस्ट पर पहुंच जाता है तो उसका दिमाग अस्थिर होने लगता है| मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि लगातार अपनी जाति समाज और धर्म के विपरीत अपमानजनक पोस्ट पढ़ते रहने से व्यक्ति मानसिक विकार का शिकार हो जाता है|  सोशल मीडिया पर विशेष जाति और धर्म विशेष पर खतरे को लेकर भी पोस्ट डाली जाती है| अलग-अलग जाति-धर्मों के गिरोह ऐसी पोस्ट निर्मित करते हैं और उन्हें वायरल करते हैं| जिसमें अपने धर्म या जाति को दूसरे धर्म या जाति से खतरा बताया जाता है|  ऐसी पोस्ट में हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत फैलाने वाली सामग्री सबसे ज्यादा है| दूसरे नंबर पर दलित और सवर्ण के बीच नफरत की दीवार खड़ी करने वाली मनगढ़ंत या गयी-बीती सामग्रियां हैं| गुजरात कैडर के आईपीएस विजय वर्धन ने सोशल मीडिया से दूरी बना ली,  विजय वर्धन सोशल मीडिया पर नफरत भरी पोस्ट देख देख कर परेशान हो रहे थे,वर्धन ने अपने फेसबुक पर लिखा -- "इन दिनों व्हाट्सएप पर मुझे हिन्दू-मुस्लिम, हम-तुम, भारत-पाकिस्तान, अपने-गैर, कश्मीर-बंगाल, हिंसा, नफरत एवं घृणा के मैसेज ही देखने को मिलते हैं. ऐसे में मैंने सोशल मीडिया से अलविदा लेने का मन बना लिया है. क्योंकि अब मेरा मानना है कि सोशल मीडिया में कुछ सोशल बचा ही नहीं है. सोशल मीडिया से अलविदा लेने के बाद मैं अपने असली जीवन को खोजता हूं, क्योंकि अब सोशल मीडिया पर सकारत्मकता और प्रेम अब बचा ही नहीं. उन्होंने अंत में लिखा- जय हिंद, भारत अपना ख्याल रखना." सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले पोस्ट एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत तैयार किए जाते हैं|  न सिर्फ यहां पर नफरत भरे टेक्स्ट मैसेज सिर्फ सर्कुलेट किए जाते हैं, बल्कि कुछ खास तरह के वीडियोज़ भी तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर बनाकर वायरल किए जाते हैं|  कई साल पुरानी किसी हिंसा नफरत फैलाने वाली या जाति-संघर्ष की घटना को नए स्वरूप में पिरोकर प्रस्तुत किया जाता है|  यह सब एक आम व्यक्ति के मानस पर गहरा असर डालते हैं| उसे अपने धर्म और जाति पर खतरा मंडराते नजर आने लगता है| वो एक तरह का अघोषित मानसिक फिदायीन  बन जाता है और हमेशा बदला लेने के बारे में सोचने लगता है| मानसिक द्वंद में फंसे व्यक्ति जीवन का आनंद खो देता है| काम से उसका फोकस हट जाता है| दिन रात ऐसी पोस्ट देखता रहता है जिसमें उसे अपने विचार के प्रति समर्थन और विपरीत विचार के प्रति घृणा देखने को मिले| इस चक्रव्यूह में फंसा हुआ व्यक्ति खुद भी ऐसी पोस्ट तैयार करने लगता है जो उसे आत्मिक संतुष्टि देती हैं और समाज में नफरत बढ़ाती हैं| इस तरह की पोस्ट से सबसे ज्यादा प्रभावित वो होते हैं जो मानसिक रूप से कमजोर होते हैं, सही और गलत का निर्णय नहीं ले पाते और अपने जीवन से पहले से ही परेशान होते हैं| यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है और आपको हर जगह हिंसा, नफरत, घृणा नजर आने लगी है तो सचेत हो जाएँ और अपने आप को सोशल मीडिया से दूर कर लें| याद रखें आपके ईएसआई पोस्ट फ़ैलाने या पढने से दुनिया नहीं बदलने वाली,  जाती धर्म से खुद को उपर उठायें|