• India
  • Wed , Mar , 19 , 2025
  • Last Update 08:52:AM
  • 29℃ Bhopal, India

पाकिस्तान खंड-खंड पीओके भी छोड़ेगा संग

सार

कर्म फल भुगतना ही पड़ता है. पाकिस्तान आज बर्बादी के जिस कगार पर है वह उसके कर्मों का ही फल है. नकारात्मकता का सांप थोड़े समय तक तो पड़ोसी को नुकसान पहुंचा सकता है लेकिन जब पड़ोसी सुरक्षित हो जाएगा तो फिर सांप उसे ही डसेगा. आज पाकिस्तान के साथ यही हो रहा है..!!

janmat

विस्तार

    महंगाई, बेरोजगारी, कर्ज के तो हालात ऐसे बन गए हैं कि वहां जीवन मुहाल हो गया है. विश्व में पाकिस्तान की बेइज्जती का भी रिकॉर्ड बन रहा है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री को अमेरिका ने अपने देश में घुसने नहीं दिया. 

    पाकिस्तान खंड-खंड होने की तरफ बढ़ रहा है. पाकिस्तान में राजनीतिक सत्ता तो नगण्य होती है और सारा पावर सेना के हाथों में होता है. पाक आर्मी के हाथ से पश्चिम के दो बड़े सूबे बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा पूरी तौर से फिसल गए हैं. बलूचों ने पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक कर ली है. बलूचों का हमला पाकिस्तान की बुनियाद हिला देगा. यह दोनों सूबे पाकिस्तान से अलग होकर नया राष्ट्र बन कर रहेंगे. अभी भी इन दोनों सूबों ने पाकिस्तानी सेना की हुकूमत नहीं चलती. दोनों सूबों में बागियों की अपनी समानांतर सरकारें हैं.

   पाकिस्तान ने आतंक को पनाह देकर जो नकारात्मकता भारत में फैलाने की कोशिश की थी, उसी का शिकार पाकिस्तान अब स्वयं हो गया है. पाक अधिकृत कश्मीर भी पाकिस्तान के हाथ से छूटने की तरफ बढ़ रहा है. उसकी नैतिक शक्ति तो पहले ही समाप्त हो गई थी, अब पाकिस्तान में न तो आर्थिक शक्ति है, ना सैन्य शक्ति और ना ही राजनीतिक शक्ति है. जो कि वह भारत का मुकाबला कर सके.

   पाकिस्तान में आंतरिक विद्रोह की स्थितियां भारत को बड़ी सावधानी के साथ लेनी पड़ेगी. पाकिस्तान में जो हालात बन रहे हैं वह जीने के लिए रहने योग्य नहीं बचे हैं. हर तरफ आतंकवादी है. हर तरफ आतंक की घटनाएं हैं. सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि, आतंक की यह फौज को पाकिस्तान की हुकूमत ने हीं तैयार किया है.

    पाकिस्तान में लोकतंत्र तो आर्मी की कठपुतली है. जो भी राजनेता है वह तभी तक सत्ता में रह सकता हैं, जब तक उन्हें आर्मी का समर्थन है. इमरान खान भी प्रधानमंत्री का पद से आर्मी का समर्थन खोने के बाद हटा दिए गए थे. वर्तमान पीएम शाहबाज खान भी आखिरी सियासी सांसें गिन रहे हैं. पाक में जिस तरह का विद्रोह हो रहा है. चाहे वह बलूचिस्तान में हो या फिर पीओके में, इन दोनों सूबों में तो अब पाकिस्तान आर्मी अपना नियंत्रण बनाने में शायद ही सफल होगी.

    कश्मीर को लेकर पाकिस्तान ने भारत को बहुत परेशान किया है. आतंक के नाम पर घुसपैठिए भेज कर स्लीपर सेल से हाथ मिलाकर पाकिस्तान ने भारत का बहुत नुकसान किया. बलूचिस्तान तो अब खुलकर विद्रोह में उतर गया है. इस सूबे में पाकिस्तान ने चीन को जिस तरह से घुसने और पैर जमाने का मौका दिया है, उसके कारण भी विद्रोह की चिंगारी आग में  बदल गई है. अंतरराष्ट्रीय हालात ऐसे बन गए हैं कि, चीन भी पाकिस्तान की कोई मदद नहीं कर पाएगा.

    चीन-भारत के बीच में संबंध हमेशा ही तनावपूर्ण रहे हैं और पाकिस्तान ने इस तनाव को बढ़ाकर चीन का समर्थन लेकर भारत के हितों पर हमेशा कुठाराघात किया है. 

    नकारात्मकता किसी राष्ट्र को बर्बादी की किस सीमा तक ले जा सकती है उसका सबसे जीवंत उदाहरण पाकिस्तान है. इस देश में अंधेरा इतना घना हो गया है, कि अब अपने ही बनाए कर्मज़ाल से निकलना पाकिस्तान को नामुमकिन लगने लगा है.

    भारत ने जम्मू कश्मीर में धारा 370 समाप्त कर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया है. कश्मीर में विकास की जो बयार बही है उसके कारण भारत सरकार के प्रति जन-विश्वास बना है. चुनाव में बढ़-चढ़कर मतदान यही  बताता है कि नई व्यवस्था में उन्होंने भरोसा जताया है.

    बीजेपी के केंद्र सरकार ने संसद में अपना यह रूख मजबूती के साथ रखा है कि, पीओके भारत का हिस्सा है. इस क्षेत्र  को सरकार भारत से अलग मानती ही नहीं है. अभी हाल ही में लंदन प्रवास के दौरान केंद्रीय विदेश मंत्री जयशंकर ने विश्व को स्पष्टता के साथ बताया है कि अब हमारा अगला कदम पीओके वापस लेना है. उस समय तो इसकी गंभीरता समझ नहीं आई थी, लेकिन पाकिस्तान के बलूचिस्तान में जिस तरह का विद्रोह भड़क गया है, उसके बाद भारत सरकार की भावी रणनीति को समझा जा सकता है.

    पीओके के मामले में भारत में भी राजनीतिक सहमति के हालात दिख रहे हैं कि वह भारत का हिस्सा है. यह प्रस्ताव कांग्रेस सरकार के समय ही सदन में आया था.  इसी प्रस्ताव को आधार बनाते हुए बीजेपी की केंद्र सरकार ने अपना यह मजबूत स्टैंड विश्व के सामने स्थापित किया है कि, पीओके हमारा  हिस्सा है. जम्मू कश्मीर के विधानसभा भवन में जितने सदस्यों की बैठने की क्षमता निर्मित की गई है उसमें पीओके से आने वाली विधानसभा सीटों के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की अनुमानित संख्या को भी समाहित किया गया है.

    पाकिस्तान के लिए तो बेहतर स्थिति यही होगी कि वह स्वयं पीओके भारत को सौंप दे. वहां रहने वाले नागरिक पाक आर्मी के खिलाफ जन आन्दोलन  छेड़े हुए हैं.

  आर्मी की संख्या बढाकर पाक इस क्षेत्र के लोगों का दमन कर रहा है. भारत की सेना भी इस बात के लिए तैयार है कि, जिस दिन भी भारत सरकार पीओके पर काबिज़ होने का निर्णय करेगी, तैयारियां ऐसी हैं कि,भारतीय सेना तुरंत इस आदेश को अमल में ला सकती है 

    नास्तिकता जैसे अधर्मी बनाती है, वैसे नकारात्मकता पाकिस्तान बनाती है. पाकिस्तान की सोच नकारात्मकता पर खड़ी हुई है. धर्म के नाम पर पाकिस्तान से दुनिया के समूह जुड़े हो सकते हैं, लेकिन राष्ट्र  के नाम पर इस देश के साथ कोई भी अच्छे ताल्लुकात नहीं रखना चाहता. 

  पाकिस्तान की नकारात्मकता धर्म के नाम पर भारत में नहीं घुसनी चाहिए. जो नफरत की इस दिशा में सोचते होंगे वह पाकिस्तान की बर्बादी के हालात देखकर अपनी बर्बादी की कल्पना कर सकते हैं.

    पाकिस्तान की बर्बादी हमें सिखाती है कि, नकारात्मकता में आत्मघात से बचना चाहिए. हमेशा सकारात्मकता व्यक्ति और राष्ट्र को प्रगति के रास्ते पर ले जाती है. भारत आज दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है, तो पाकिस्तान अपना अस्तित्व खोने की दिशा में बढ़ चला है.