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आतंक पर ‘भारूद’, राजनीति में ठंडा दिमाग गरम लहू

सार

सिंदूर के सम्मान के लिए राम - रावण युद्ध और महाभारत देश का इतिहास है. यही इतिहास ऑपरेशन सिंदूर में दोहराया गया है. स्त्री के सम्मान की रक्षा और सिंदूर के बदले आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर  बारूद बन गया. सिर्फ बाईस मिनिट में सिंदूर के साथ मिलकर ‘भारुद’ के  बारूद ने आतंक के ठिकानों को धुंआ-धुंआ कर दिया..!!

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विस्तार

    यह ऑपरेशन अभी चल रहा है. पाकिस्तान के अनुरोध पर रुकी सैन्य कार्रवाई के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने बीकानेर में अपनी पहली आमसभा में भारत के सिंदूर को जो मान दिया वह आतंक को तो नेस्तनाबूद करेगी ही लेकिन भारतीय राजनीति की इससे दिशा भी बदलेगी. इस दिशा का पहला चरण बीकानेर में दिखा है और दूसरा चरण भोपाल में महिला सम्मेलन में दिखाई पड़ेगा.

    पीएम मोदी अगर कह रहे हैं कि, ऑपरेशन सिंदूर ने बारूद बनकर आतंकवादियों के ठिकाने को तबाह कर दिया, जो भारत का लहू बहाने निकले थे, वह घरों में दुबके हुए हैं. मोदी भारत के लोगों को तो संदेश दे ही रहे थे, लेकिन वह दुनिया को भी भारत का संकल्प बता रहे थे. पाकिस्तान तो निशाने पर था ही, चीन और अमेरिका भी उनकी सर्जिकल स्पीच पर नजर बनाए हुए हैं. 

    आतंक के विरुद्ध युद्ध भारत के न्याय का यह नया स्वरूप है. पीएम मोदी का आतंक के खिलाफ आक्रोश साफ झलक रहा था. उन्होंने कहा मोदी का दिमाग ठंडा लेकिन लहू गर्म रहता है. अब तो मोदी की नसों में सिंदूर बह रहा है. यह वाक्य हर भारतीय नारी की भावनाओं को छू गया है. कोई बात भारतीय भावनाओं से जुड़े और उस पर राजनीतिक विवाद ना हो, ऐसी तो कल्पना नहीं करना ही ठीक होगा.

      राहुल गांधी तुरंत सामने आए. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कह दिया कि मोदी का लहू मीडिया के सामने ही क्यों गर्म होता है. उनके वही पुराने सवाल, जो घुमा फिरा कर भारत की जीत पर संदेह उत्पन्न करते हैं. राहुल ने पोस्ट किया तो फिर सोशल मीडिया पर वार शुरू हो गया. कुछ कहा जाए और उस पर प्रतिक्रिया ना हो तो फिर कही गई बात असरकारी नहीं मानी जाती.

    सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग पब्लिक ऑपिनियन नहीं है. यह सब सोशल मीडिया मैनेजमेंट का हिस्सा होता है. इसके लिए राजनीतिक दल और नेता लाखों रुपए खर्च करते हैं. सोशल मीडिया कमेंट्स इंडिया को प्रतिबिम्बित करते हैं. भारत इससे पूरी तरह से कटा हुआ रहता है. जनता की समझ और सोशल मीडिया के कमेंटस में बहुत दूरी होती है. कांग्रेस सोशल मीडिया पर तो कभी भी हारती नहीं है लेकिन जनता के बीच में जीतना उसके लिए टेढ़ी खीर है. 

    संसद और विधानसभा में महिलाओं का आरक्षण अगले आम चुनाव के पहले लागू होना है. कानून बन चुका है. वूमेनलेड डेवलपमेंट की अवधारणा पर बीजेपी सरकार योजनावद्ध तरीके से काम कर रही है. ऑपरेशन सिंदूर नारी सम्मान के इसी प्रयास का एक चरण है. हर क्षेत्र में आज नारी शक्ति न केवल बराबरी के साथ खड़ी है बल्कि नेतृत्व प्रदान कर रही है. 

    ऑपरेशन सिंदूर ने इसे एक नया मुकाम दिया है. अब केवल सेना में ही ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा नहीं होगी बल्कि राजनीति और प्रशासन के दूसरे क्षेत्रों में भी ऑपरेशन सिंदूर के परिणाम दिखाई पड़ेंगे. एक नारी परिवार बनाती है, व्यक्तित्व गढ़ती है. जब वह हर क्षेत्र में नेतृत्व करेगी तो फिर देश का व्यक्तित्व भी सुधरेगा. 

        भोपाल में विशाल महिला सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी शामिल हो रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत के सिंदूर की प्रतीक महिला सम्मेलन में वह आ रहे हैं तो निश्चित रूप से ऑपरेशन सिंदूर की बात होगी. उसकी सफलता की बात होगी और भविष्य के आपरेशन की दिशा भी मिलेगी. ऐसा कहा जा रहा है कि इस सम्मेलन का पूरा नेतृत्व महिलाएं ही करेंगी. पूरा मंच और  सम्मेलन महिलाओं को समर्पित होगा. मतलब ऑपरेशन सिंदूर का यह भारतीय फेस होगा.

    पीएम मोदी की स्पीच से यह तो साफ हो गया हैकि, कुछ बड़ी प्लानिंग हो रही है. ऑपरेशन सिंदूर का दूसरा फेस कभी भी देखने को मिल सकता है. भारत सरकार की ओर से पाक अधिकृत कश्मीर को खाली करने के लिए पाकिस्तान को खुली चुनौती देना, ऑपरेशन सिंदूर के फ्यूचर प्लान का संकेत है. नसों में बहता सिंदूर यही बता रहा है कि, आतंक के खिलाफ महाभारत होगा.

    सैन्य कार्रवाई रुकने पर जो सवाल खड़े किए जा रहे हैं उनके जवाब भविष्य के गर्भ में है. ऑपरेशन सिंदूर की पूर्णता पर यह सारे जवाब मिल जाएंगे. ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर कमेंट्स कई बार आपत्तिजनक सीमाएं भी क्रॉस कर देते हैं. यह सभी प्लेटफॉर्मस  गलत और सही का मिश्रण बने हुए हैं. जो ट्रोलिंग और ट्रेडिंग होती है वह सब प्लेंड होती है. इसकी कोई राष्ट्रीय सीमाएं नहीं है. कई बार दूसरे देशों से ऐसे कमेंटस प्रायोजित किए जाते हैं.

    वैसे भारत में भी मोदी विरोधियों की कमी नहीं है. राजनीति में विरोध स्वाभाविक है लेकिन अगर यह आचरण दुश्मनी की सीमा तक पहुंच जाए तो फिर ऐसा लगता है कि राजनीतिक कुंठा चरम पर पहुंच गई है. सोशल मीडिया के साथ मुख्य मीडिया भी अनावश्यक बातों और चेहरों को महत्व देकर ऐसी प्रवृत्तियों को एक तरह से प्रोत्साहन देता है. किसी भी पार्टी का नेता होना मात्र ही समाज में उसके प्रतिष्ठा का आधार नहीं हो सकता.

    आजकल पद, प्रतिष्ठा, पावर, पैसा और पब्लिसिटी पाने के लिए अनैतिक तरीके ज्यादा कारगर साबित हो रहे हैं. अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर जिस तरह के कमेंट किए जाते हैं उनको शुरुआत में ही खारिज कर देना चाहिए. लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया उन पर ही अपनी कहानी बढाता है. राजनीति तो ऐसी कहानियों को विभाजन का आधार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती. वैचारिक समर्थन और विरोध का भी मर्यादित आधार होना चाहिए. अगर कोई बात अनैतिक, विभाजनकारी, सांप्रदायिक है तो उसको महत्व देने वाला भी बढ़ाने का ही भागीदार बन जाता है.

    सौभाग्य का प्रतीक सिंदूर अमूल्य होता है. इसी पर आतंकवादियों ने हमला कर भारत को जगा दिया है. स्त्री अपमान पर तो युद्ध से भारत का इतिहास भरा पड़ा है. मोदी जिस तरह की भाषा और लहजे में सिंदूर की रक्षा का संकल्प दुनिया के सामने रख रहे हैं, वह आतंक के खिलाफ बड़े प्रहार का इशारा है.

    मोदी विरोधियों की सबसे बड़ी समस्या यही है कि, उनको समझने में गलती कर देते हैं. इसीलिए उनको लेकर जो भी प्रतिक्रिया देते हैं, वह कालांतर में गलत साबित हो जाती है. ऑपरेशन सिंदूर में भी विपक्षी प्रतिक्रिया का हश्र यही होने वाला है.