पंजाब को भारत विरोधी ताकतों द्वारा विदेशों से निशाना बनाया जा रहा है..!
एक बार फिर पंजाब देश-विदेश से संचालित आपराधिक गैंगों और आतंकवादियों के निशाने पर आ गया है। संगठित आपराधिक गिरोहों द्वारा आम-खास लोगों को शिकार बनाये जाने की घटनाएं जब-तब सामने आती रहती हैं। हाल ही में एक पृथकतावादी संगठन के सक्रिय आतंकी हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पासिया का अमेरिका से प्रत्यर्पण इस बात की याद दिलाता है कि राज्य में चरमपंथी विचारधारा का साया कितना गहरा बना हुआ है। आरोप है कि करीब चौदह ग्रेनेड हमलों को अभियुक्त ने अंजाम दिया।
पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर काम करने वाले अभियुक्त पासिया की भारत वापसी निस्संदेह आगे की जांच में मददगार साबित होगी। इससे भारत विरोधी गतिविधियों में पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठानों के काले अध्याय फिर सामने आने की भी उम्मीद जगी है। इस प्रकरण के उजागर होने से एक बार फिर स्पष्ट हुआ है कि कैसे पंजाब को भारत विरोधी ताकतों द्वारा विदेशों से निशाना बनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर राज्य में गैंगस्टरों द्वारा की जा रही हिंसा में खतरनाक ढंग से वृद्धि देखी जा रही है। अबोहर के व्यवसायी संजय वर्मा की दिनदहाड़े हुई हत्या और मोगा में अभिनेत्री तानिया के डॉक्टर पिता की उनके क्लीनिक में गोली मारकर की गई निर्मम हत्या ने इस बात को उजागर किया कि संगठित आपराधिक नेटवर्क कितनी आसानी से काम कर रहे हैं।
हमलावरों द्वारा सार्वजनिक रूप से मरीज बनकर डाक्टर को गोली का निशाना बनाना आपराधिक दुस्साहस को ही उजागर करता है। जो बताता है कि अपराधियों में कानून व पुलिस का खौफ नजर नहीं आता। यह समाज वैज्ञानिकों के लिये भी गंभीर मंथन का विषय है कि राज्य का समाज इस गहरी अस्वस्थता का शिकार क्यों है। निश्चित रूप से समाज में आर्थिक विसंगतियां और सामाजिक विद्रूपताएं अपराध की राह खोल रही हैं। वहीं दूसरी ओर, राज्य में शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी, नशे की लत, अशांत बचपन, गरीबी, विषैली राजनीति और रातों-रात अमीर बनने की लालसा कई पंजाबी युवाओं को अपराध की अंधी गली की ओर धकेल रही है।
ऐसा भी नहीं है कि बेरोजगारी व अन्य सामाजिक विसंगतियां देश के अन्य राज्यों में नहीं हैं। नशा एक राष्ट्रीय संकट बनता जा रहा है। सवाल ये कि हमारा शासन-प्रशासन इन अपराधों से किस तरह निबटता है। विडंबना यह भी है कि सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा में गैंगस्टरों का महिमामंडन आग में घी डालने का काम कर रहा है। निस्संदेह, अपराध का रास्ता कई युवाओं को आकर्षित करता है, लेकिन एक हकीकत यह भी है कि इस राह से गुजरने के बाद मुख्यधारा में लौटना असंभव है। अपराधी फिर कभी सामान्य जीवन नहीं जी सकता।
इसके बावजूद शासन-प्रशासन को राज्य में उन सामाजिक-आर्थिक विसंगतियों को प्राथमिकता के आधार पर संबोधित करने की सख्त जरूरत है, जो अपराध को बढ़ावा देते हैं। उन विभागीय काली भेड़ों की भी सख्त निगरानी की जरूरत है जो अपराधियों के अपवित्र गठबंधन में मददगार होती हैं। हालांकि, पंजाब पुलिस ने कुछ गिरफ्तारियां और मुठभेड़ें की हैं, लेकिन ये महज एक प्रतिक्रियात्मक कदम मात्र है। इस बड़े संकट से निपटने के लिये एक निरंतर, व्यवस्थित व कारगर रणनीति बनाने की जरूरत है। वहीं कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मजबूत बनाने की दरकार है। इसके साथ ही शिक्षा प्रयासों का विस्तार करने, पुनर्वास और न्यायिक प्रक्रियाओं को भी तेज करने की आवश्यकता है।
इसके अतिरिक्त केंद्र की एनआईए जैसी एजेंसियों के साथ तालमेल से राज्य की एजेंसियाें को अपराधियों पर शिकंजा कसने में मदद भी मिल सकती है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि पंजाब में अपराधियों व आतंकवादियों का गठजोड़ अब स्थानीय नहीं रह गया है। यह न केवल अंतर्राष्ट्रीय रूप ले चुका है, बल्कि आधुनिक तकनीक व हथियारों की मदद से मारक साबित हो रहा है। इससे बड़ा संकट यह भी है कि ये अपराध वैचारिक रूप से अस्थिर भी हैं। निस्संदेह,यह एक बड़ी चुनौती है और इससे निबटने में जितनी देरी होगी, पंजाब में स्थितियां सामान्य बनाने में उतनी मुश्किल होती जाएगी। अपराधियों से निपटने के लिये मजबूत खुफिया तंत्र और जनसहयोग कारगर सिद्ध हो सकता है।