सिंधु जल संधि निलंबित करने के निर्णय से पाकिस्तान की सांसें अटक गई हैं. जो देश पहले इस संधि पर बातचीत को तैयार नहीं था, वह अब इसके लिए राजी हो गया है. बाकायदा पाकिस्तान सरकार की ओर से भारत को ऑफीशियल पत्र भेज कर कहा गया है, कि सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले पर पुनर्विचार किया जाए..!!
भारत की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है, कि पाकिस्तान से बातचीत अगर होगी तो केवल आतंकवाद और पाक अधिकृत कश्मीर पर होगी. कूटनीति साफ है, कि जलसंधि पर पाकिस्तान से कोई बात नहीं होगी. इसे निलंबित करने का निर्णय लागू रहेगा. भारत का यही कदम पाकिस्तान की अवाम को आर्मी और वहां की सरकार के खिलाफ खड़े होने के लिए मजबूर करेगा. जब अवाम खड़ा हो जाएगा तो फिर पाक आर्मी और सरकार आतंकवाद प्रायोजित करने का दुस्साहस नहीं कर पाएगी.
युद्ध में तो हर बार भारत पाकिस्तान को सबक सिखाता रहा है. हर बार जीता भी है, लेकिन समझौते में हार जाता है. इस बार भी भारत यही उम्मीद लगाए हुए है कि वर्तमान सरकार अब पाकिस्तान के साथ कोई भी समझौता नहीं करेगी. भारत की वाटर स्ट्राइक पाकिस्तान में आंतरिक विद्रोह का कारण बन गई है. पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में जन आंदोलन खड़ा हो गया है. वहां हालात इतने बिगड़ गए हैं, कि राज्य के गृहमंत्री के पैतृक निवास को जला दिया गया है.
भारत की ओर से सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया गया है, लेकिन पाकिस्तान की सरकार और आर्मी सिंधु का जल पाक पंजाब में दूर तक ले जाने के लिए नहर के नए प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. सिंध के लोग इस प्रोजेक्ट का लंबे समय से विरोध कर रहे हैं. भारत की ओर से जाने वाला पानी वैसे ही कम हो जाएगा और फिर पानी को डाइवर्ट कर पंजाब की ओर ले जाने की कोशिश से सिंध को होने वाले नुकसान को लेकर लोग आंदोलित हैं. वहां बड़ा आंदोलन खड़ा हो गया है खून-खराबा हो रहा है. यहां तक कि सिंध देश नाम से अलग देश बनाने की मांग उठ रही है.
पाकिस्तान की ओर से सिंधु जल रोकने पर भारत के खिलाफ गीदड़ भभकी दी जा रही है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने बीकानेर की पब्लिक स्पीच में साफ कर दिया है, कि सिंधु जल के भारत के हिस्से का पानी पाकिस्तान को नहीं मिलेगा. यह भारत का संकल्प है और इस संकल्प से दुनिया का कोई भी देश भारत को डिगा नहीं सकता है. पीएम ने पाकिस्तान को चुनौती देते हुए कहा कि अगर आतंक का एक्सपोर्ट बंद नहीं किया गया, तो फिर पाकिस्तान पाई-पाई के लिए मोहताज हो जाएगा. इसका इशारा साफ है, कि पानी नहीं मिलेगा, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी.
भारत केवल सिंधु का जल ही नहीं रोक रहा है, बल्कि अफगानिस्तान में डैम बनवाकर पाकिस्तान का पानी रोकने की कूटनीति पर भी काम कर रहा है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ कोई औपचारिक जलसंधि नहीं है, इसलिए अफगानिस्तान द्वारा नदी पर डैम बनाकर अगर पानी रोका जाता है, तो पाकिस्तान कुछ नहीं कर पाएगा. वैसे भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान के बीच में सीमा रेखा का विवाद चल रहा है. खैबरपख्तून में भी विवाद को हवा दी जा रही है. बलूचिस्तान तो अपने आप को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर चुका है. पाकिस्तान टूट के कगार पर खड़ा हुआ है.
भारत हमेशा मानवीय दृष्टि को प्राथमिकता देता है. पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद से भारत को हुए नुकसान के बावजूद सिंधु जल संधि को अब तक स्थागित नहीं किया गया था यहां तक कि पाकिस्तान के साथ जितने युद्ध हुए हैं, उसके बाद भी सिंधु जल संधि को हथियार नहीं बनाया गया. पहलगाम आतंकी हमले ने भारत को इतना विचलित कर दिया है कि अब किसी भी हालत में पाकिस्तान को सबक सिखाना ही भारत का राज धर्म है.
सैन्य कार्रवाई से तो पाकिस्तान को तबाह किया ही जाएगा, लेकिन वाटर स्ट्राइक से पाकिस्तान के अवाम ने वहां की आर्मी और सरकार के खिलाफ विद्रोह को बढ़ाया जाएगा. पानी जीवन की बुनियादी जरूरत है. पानी कोई भी बना नहीं सकता है, कहा जाता है कि थर्ड वर्ल्ड वॉर पानी के लिए ही हो सकता है. पाकिस्तान को पानी तभी मिलेगा, जब वह आतंकवाद का एक्सपोर्ट बंद करेगा. भारत कह रहा है कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते और पाकिस्तान कहता है, कि पानी नहीं तो फिर खून बहेगा.
भारत का सर्वदलीय प्रतिदिन मंडल दुनिया के देशों में जाकर पाकिस्तान के आतंकवाद के प्रमाण के साथ भारत के वाटर स्ट्राइक की जरूरत पर भी अपनी बात रख रहे हैं. सिंधु जल संधि निलंबित है. भारत पहले भी इस संधि पर नए सिरे से नेगोशिएट करने की बात कर रहा था. लेकिन पाकिस्तान इसके लिए तैयार नहीं हुआ. अब जब पाकिस्तान पर दबाव पड़ा तो चर्चा के लिए पाकिस्तान तैयार है.
फिलहाल भारत कोई भी बातचीत इस बारे में नहीं करना चाहता. भारत ने तो अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है, कि पाकिस्तान के साथ अगर बातचीत होगी तो वह पाक अधिकृत कश्मीर खाली करने तथा आतंकवाद पर ही होगी. जब इन दो विषयों पर पाकिस्तान सकारात्मक कदम उठाएगा, उसके बाद ही सिंधु जल संधि पर नेगोशिएशन की संभावना हो सकती है.
इस संधि के मुताबिक अस्सी प्रतिशत जल प्रवाह पाकिस्तान को मिलता है और भारत केवल 20 प्रतिशत का ही उपयोग करने का हकदार है. यह तो निश्चित है कि अब यह संधि इस स्वरूप में लागू नहीं हो सकती. नेगोशिएशन में अगर भारत जाता भी है तो सिंधु जल संधि की पूर्व की शर्तों में बदलाव होगा. भारत अधिक पानी लेने पर ही तैयार होगा. अधिक पानी के भारत में उपयोग के लिए नहरों के बिस्तार पर ऑलरेडी काम चालू हो गया है
सिंधु जल संधि पाकिस्तान के हक में एकतरफा थी. जब से इसे स्थगित किया गया है, तब से संधि के विभिन्न आयामों के बारे में प्रमाण और बातें सामने आ रही हैं, यहां तक कि जम्मू-कश्मीर के राजनेता ही यह सवाल उठा रहे हैं, कि यह संधि भारत के खिलाफ थी.
संधि पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में की गई थी, उसके बाद तो बहुत सारी सरकारें आईं यहां तक कि कांग्रेस के अलावा विपक्षी दल की सरकारें भी रह चुकी हैं. फिर भी इस संधि को इसी रूप में ही कायम रखा गया. अब यह मामला ऐसे मुहाने पर आ गया है, जब संधि को नए सिरे से परिभाषित किया जाना ज़रूरी है. इसका नुकसान हर कीमत में पाकिस्तान को ही होगा.