MP में प्रचलित ये पहेलियाँ आपका सर घुमा देंगी? ---- -दिनेश मालवीय
स्टोरी हाइलाइट्स
हर के देश , प्रांत और क्षेत्र में बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक पहेलियाँ बहुत प्राचीन काल से प्रचलित रही हैं. हमारे यहाँ चौसठ.पहेलियाँ उत्तर सहित...कठिन पहेलियाँ
MP में प्रचलित ये पहेलियाँ आपका सर घुमा देंगी? ---- -दिनेश मालवीय
मध्य प्रदेश के अंचलों की पहेलियाँ
-दिनेश मालवीय
हर के देश , प्रांत और क्षेत्र में बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक पहेलियाँ बहुत प्राचीन काल से प्रचलित रही हैं. हमारे यहाँ चौसठ कलाओं में पहली बूझने की कला भी शामिल है. पहली बूझने के लिए व्यक्ति को बहुत दिमाग दौड़ाना पड़ता है, जिससे उसका मानसिक व्यायाम तो होता ही है, उसे नयी-नयी बातें सीखने का अवसर भी मिलता है. मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों में हजारों पहेलियाँ न जाने कब से प्रचलित हैं. नयी पीढी को इनका उतना ज्ञान नहीं है, लेकिन कभी यह ज्ञानवर्धक मनोरंजन का बहुत श्रेठ साधन हुआ करती थीं.
‘न्यूजपुराण’ में प्रदेश के अंचलों की प्रमुख पहेलियों की एक श्रंखला शुरू की जा रही है. इसमें सबसे पहले निमाड़ अंचल की पहेलियों को लिया जा रहा है. इनका संकलन निमाड़ी संस्कृति के विशेषज्ञ श्री वसंत निर्गुने ने किया है.
निमाड़ी पहेलियाँ
1. एक फल अर्र, उसका नाम कर्र, सूप पी गये, डली मुर्दे के समान फेंक दी.
2. मंजिल पर मंजिल, मंजिल पर हरी झण्डी.
3. ऊंचा मकान, उसमें ग्यारह दूकान, रस की कोघी, भर-भर पी.
(इन तीनों का अर्थ है गन्ना)
4. दूर दूर से आयी लहर, गाँव में हो गयी खबर
5. हर-हर बादलों की आवाज के साथ मोटी के वर्ण वाली धरती पर वह धरना देती है, लेकिन बाजार, गली, खेत या बाड़ी में नहीं मिलती.
6. ऊपर से पट से गिरि उसका सिर सफैद
7. काले-काले घर में सफैद औरत रहती, धरती पर आते ही किसी को नहीं मिलती.
8. यहाँ नहीं, वहाँ नहीं, लन्दन के बाजार में नहीं, छिलो तो छिलका नहीं.
(इन सबका अर्थ है लोए, गारें, वर्फ)
9. रस से भरा पूरा, पर्वतवासी, नीली टोपी, पीली कमान, रसिया बैठे बड़ी दूकान.
10. आकाश में काटा बकरा, जमीन पर निकाली खाल जा-जा रे लाल, तेरे कलीजे में बाल.
(इन सब का अर्थ है आम)
11. बचपन में हरी-भरी थी. दादाजी के बाग़ में झूले पर झूली थी. घास में सोई थी, पीली चूनर ओढ़ी थी.
12. नीली लकड़ी झूले में बैठी, अंधी अपनी लड़की ले लो.
13. पेड़ पर से तोड़ी और घास में सुलाई
(इन सबका अर्थ है कैरी)
14. हरे मकान की लाल दीवाल, उसमें बैठे काले जवान
15. काँच की दीवार में कचनार की कलि. शरबत का घूँट, मिश्री की डली.
16. हरे मटके का लाल पेट. रस पी लो भर-भर पेट
17. अक्ल की कोठरी में तर्क का खेत. चुनिय की खोपड़ी में पानी का खेत.
(इन सब का अर्थ है तरबूज)
18. कटोरे में कटोरा, बेटा बाप से गोरा.
19. एक खोपड़ी में झोपड़ी और झोपड़ी में पानी.
20. गड़बड़ गोटा (लुडकने वाली कोई चीज) तांबे का लोटा, जो नहीं बूझे वह डाकन का बेटा.
21. छोटा-सा बटवा (पक्षी) बट-बट करे. हाथ-पैर जोड़कर पत्थर से लड़े.
22. पानी है पर मछली नहीं, आकाश है पर तारे नहीं, बाल हैं पर उसमें जूँ नहीं.
(इन सबका अर्थ है नारियल).
23. पैर खम्बे के समान, पत्ते लम्बे, फल खाया, पर बीज नहीं मिला.
24. जा रे जा, बिना बीज का फल ले आ
(इनका अर्थ है केला)
25. एक लड़के का सिर जमीन में, ऊपर पैर.
26. एक लड़का जमीन में सोता, ऊपर पैर करके दिन-रात रोता.
27. हरी-हरी पूँछ, लाल लाह मुँह, जो नहीं बूझे वह भसम कुण्डा.
(इनका अर्थ है गाजर)
28. सफ़ेद घोडा, हरी पूंछ तुझे नहीं आये तेरा बाप से पूछ
29. छोटी-सी गड्डू, उसे देख-देख रडडू
(अर्थ है प्याज)
30. हरी हसूबाई, काली कसूबाई. सफ़ेद रामजी, मुंडली सीताबाई
31. हरा-हरा दादा, नीली कलि हसूबाही. सफ़ेद रामाजी, मुंडली सीताबाई
32. (इनका अर्थ है क्रमश: पान, कत्था, चूना, सुपारी)