देश की सबसे बड़ी केंद्रीय जांच एजेंसी CBI के प्रमुख की नियुक्ति को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। CBI निदेशक की नियुक्ति को लेकर पीएम मोदी की अगुवाई में सोमवार को बैठक भी हुई। हालांकि बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई। बैठक में पीएम मोदी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना मौजूद थे। इसी बीच ये ख़बर सामने आ रही है, कि वर्तमान CBI डायरेक्टर प्रवीण सूद को सेवा विस्तार दिया गया है ऐसे में प्रवीण सूद अगले एक साल तक CBI निदेशक के पद पर बने रहेंगे।
कैसे होती है CBI निदेशक की नियुक्ति..
CBI निदेशक की नियुक्ति केंद्र सरकार तीन सदस्यीय नियुक्ति समिति की सिफारिश पर करती है। इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं। समिति में लोकसभा में विपक्ष के नेता और देश के मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं। तीनों की सहमति के बाद नए निदेशक के नाम की घोषणा की जाती है। चयन समिति को देश के सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नामों का पैनल और संभावित आईपीएस अधिकारियों के प्रदर्शन रिकॉर्ड उपलब्ध कराए जाते हैं, ताकि वह निर्णय ले सके।
CBI निदेशक पद की दौड़ में संभावित उम्मीदवारों में 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी संजय अरोड़ा, मनोज यादव और कैलाश मकवाना शामिल हैं। संजय अरोड़ा दिल्ली पुलिस कमिश्नर हैं। मनोज यादव रेलवे सुरक्षा बल के प्रमुख हैं। इसके अलावा तीसरे दावेदार कैलाश मकवाना मध्य प्रदेश पुलिस के प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं।
सूत्रों ने बताया कि सोमवार को समिति को सौंपी गई सूची में डीजी एसएसबी अमृत मोहन प्रसाद, डीजी बीएसएफ दलजीत चौधरी, डीजी सीआईएसएफ आरएस भट्टी और डीजी सीआरपीएफ जीपी सिंह भी शामिल हैं।
CBI और प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुखों का कार्यकाल अब अधिकतम पांच साल का हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले शुरुआती नियुक्ति के लिए दो साल का निश्चित कार्यकाल तय किया था, जिसे एक बार में एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, यह अवधि नियुक्ति के लिए गठित समिति की सिफारिश पर ही बढ़ाई जाती है।
सुप्रीम कोर्ट के 2019 के निर्देशों के अनुसार, छह महीने से कम कार्यकाल शेष रहने वाले किसी भी अधिकारी को सीबीआई निदेशक के पद के लिए विचार नहीं किया जा सकता है।अगर नए निदेशक के नाम पर समिति में आम सहमति नहीं बनती है, तो मौजूदा प्रमुख का कार्यकाल बढ़ा दिया जाता है। इसी के चलते CBI निदेशक प्रवीण सूद को एक साल का विस्तार दिया गया है। इसकी वजह यह है कि प्रधानमंत्री मोदी, सीजेआई संजीव खन्ना और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच नए प्रमुख को लेकर आम सहमति नहीं बन पा रही है।
कार्यकाल विस्तार को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। सूद का कार्यकाल 25 मई को खत्म होने वाला था। कर्नाटक कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी सूद अपनी नियुक्ति से पहले राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) थे। उन्होंने 25 मई, 2023 को प्रमुख जांच एजेंसी के निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला।