अमरुद है अमृतफल -दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

Nature has given different fruits for every season, which has a lot of importance in its place. Today Guava has come out. If someone calls it a beeh

कुदरत ने हर मौसम के लिए अलग-अलग फल दिए हैं, जिनका अपनी-अपनी जगह बहुत महत्त्व है. आजकाल अमरूद की बहार आयी हुयी है. इसे कोई बीह कहता है तो कोई जामफल तो कोई इसे किसी और नाम से जानता है. संस्कृत में इसे “अमृतफल” भी कहा गया है. यह स्वादिष्ट फल खट्टे-मीठेपन का मिश्रण है. इसकी तासीर ठंडी है और पचने में कुछ भारी होता है. लेकिन इसमें कफ और पित्तदोष का नाश करने का बहुत अच्छा गुण है. यह पाचनशक्ति को मजबूत करता है दिल के लिए यह बहुत फायदेमंद है. हालाकि “अति सर्वत्र वर्जते” नियम के अनुसार इसे बहुत अधिक भी नहीं खाना चाहिए. इससे वायु, दस्त और बुखार की शिकायत हो सकती है. सर्दी-जुकाम भी हो सकता है.. बहरहाल, अमरूद के मामले में यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि इसके बीज ठीक से चबाकर ही पेट में जाने दिया जाए. इसके लिए एक उपाय यह है कि इसके बीजे हटाकर सिर्फ गूदा ही खाया जाए. बिना चबाये बीज खाने से अपेंडिक्स होने की संभावना होती है. कोई चीज एक साथ लाभदायक और नुकसानदायक हो सकती है. अधिक अमरूद खाने पर जुकाम हो सकता है, तो इसीके अलग तरह से सेवन से जुकाम को दूर भी किया जा सकता है. इसके लिए कहा गया है कि जुकाम होने पर दो-तीन बार अमरूद का गूदा बिना बीज के खाकर एक गिलास पानी पीने से दुजक दूर हो जाता है. लेकिन पानी पीते वक्त नाक से सांस न ली जाए और न छोडी जाए. नाक बंद करके पानी पीया जाए और मुँह से ही सांस बाहर फेंकी जाए. इससे नाक बहने लगेगी, जिसके बाद इसे खाना बंद कर दें. एक-दो दिन में जुकाम झड़  जाएगा. इसके बाद रात को सोते समय पचास ग्राम गुड़ खाकर बिना पानी पिए सो जाया जाए. जुकाम ठीक हो जएगा. खाँसी को ठीक करने में भी अमरूद बहुत गुणकारी होता है. एक पूरे अमरूद को आग की गरम राख (भंबूदर) में दबाकर सेंक लिया जाए. दो-तीन दिन तक रोजाना इसे इस प्रकार से खाने पर कफ ढीला होकर निकल जाता है और खाँसी में आराम हो जाता है. अमरूद के पत्ते भी खाँसी में आराम पहुँचाते हैं. इन्हें पानी से धोकर उबाला जाए. उबलने लगे तब उसमें दूध और शक्कर डालकर छानकर पी लिया जाए. इससे खाँसी में बहुत आराम मिलता है. अमरूद के बीजों को “बहीदाना” कहते हैं. इन बीजों को सुखाकर पीस लिया जाए और थोड़े शहद के साथ इसे सुबह-शाम चाटा जाए. इससे खाँसी ठीक हो जाती है. इस दौरान तेल और खटाई न का सेवन नहीं करना चाहिए. अमरूद के कोमल हरे ताजे पत्ते चबाने से मुँह के छले नरम पड़ने लगते हैं. मसूड़े और दांत मजबूत होते हैं. मुँह की दुर्गन्ध भी दूर होती है. पत्ते चबाने के बाद उन्हें थोड़ा मुँह में इधर-उधर घुमाकर थूंक देना चाहिए. पत्तों को उबालकर इसके पानी से कुल्ला और गरारा करने पर दांत दर्द दूर हो जाता है. मसूड़ों की सूजन भी कम हो जाती है. इसके अलावा भी अमरूद के बहुत से फायदे हैं. इसका सही प्रकार से और उपयुक्त मात्रा में सेवन सेहत के लिए बहुत मुफीद होता है. आखिर इसे संस्कृत में “अमृतफल” वैसे ही तो नहीं कहा जाता है! अमरूद के सही उपयोग के विषय में हमारे बुजुर्ग बहुत अच्छा मार्गदर्शन दे सकते हैं.