ऑपरेशन सिंदूर पर प्रेस ब्रीफिंग में सेना ने बताई अंदर की कहानी, जानें कब और कहां क्या हुआ


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स्टोरी हाइलाइट्स

ऑपरेशन सिंदूर पर सेना की प्रेस ब्रीफिंग में बताया गया कि कैसे पहलगाम हमले का बदला लिया गया, विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि भारत ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए पीओके में आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया..!!

पहलगाम आतंकी हमले के 15 दिन बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान में हवाई हमले किए और जम्मू-कश्मीर (पीओके) पर कब्जा कर लिया। सेना के इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया। इस हमले में सेना ने पीओके और पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। ये इलाके लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के गढ़ हैं। भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान डरा हुआ है।

लड़ाई शुरू होने से पहले ही पाकिस्तान ने संघर्ष विराम की घोषणा कर दी। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक टीवी चैनल से कहा कि अगर भारत आगे कोई कार्रवाई नहीं करता है तो हम भी कोई कार्रवाई नहीं करेंगे।

उधर, ऑपरेशन सिंदूर के नाम से सेना द्वारा चलाए जा रहे इस ऑपरेशन को लेकर बुधवार 7 मई को प्रेस कांफ्रेंस हुई। जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिसरी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी ने ऑपरेशन के बारे में पूरी जानकारी दी। सेना की इस कार्रवाई के बाद देश में क्या हो रहा है? आइए आपको सिलसिलेवार बताते हैं।

जैसा कि आप सभी जानते हैं, 22 अप्रैल, 2025 को, लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित पाकिस्तानी और पाकिस्तान-प्रशिक्षित आतंकवादियों ने भारत में जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में भारतीय पर्यटकों पर बर्बरतापूर्ण हमला किया। 25 भारतियों और एक नेपाली नागरिक को कायरता पूर्ण मौत के घाट उतार दिया गया। मुंबई के 26 नवंबर 2008 के हमलों के बाद यह भारत में हुए किसी आतंकवादी हमले में मारे गए आम नागरिकों की संख्या की दृष्टि से सबसे गंभीर घटना है।

पहलगाम का हमला अत्यधिक बर्बरतापूर्ण था, जिसमें वहां मौजूद लोगों को करीब से और उनके परिवारों के सामने सिर पर गोली मारी गई। हत्या के इस तरीके से परिवार के सदस्यों को जानबूझकर आघात पहुंचाया गया, साथ ही उन्हें यह नसीहत भी दी गई कि वे वापस जाकर इस संदेश को पहुँचा दें।

यह हमला स्पष्ट रूप से जम्मू और कश्मीर में बहाल हो रही सामान्य स्थिति को बाधित करने के उद्देश्य से किया गया था। चूंकि पर्यटन फिर से अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बन रहा था, इस हमले का मुख्य उद्देश्य इसे प्रतिकूल रूप से प्रभावित करना था। पिछले वर्ष आप सभी जानते हैं सवा दो करोड़ से अधिक पर्यटक कश्मीर आए थे। इस हमले का मुख्य उद्देश्य इसलिए संभवतः यह था कि इस संघ राज्य क्षेत्र में विकास और प्रगति को नुकसान पहुंचाकर इसे पिछड़ा बनाए रखा जाए और पाकिस्तान से लगातार होने वाले सीमा पार आतंकवाद के लिए उपजाऊ जमीन बनाने में सहायता की जाए।

हमले का यह तरीका जम्मू और कश्मीर और शेष राष्ट्र, दोनों में सांप्रदायिक दंगे भड़काने के उद्देश्य से भी प्रेरित था। इसका श्रेय सरकार और भारत के सभी नागरिकों को दिया जाना चाहिए कि इन प्रयासों को विफल कर दिया गया।

एक समूह ने खुद को रेजिस्टेंस फ्रंट (टी. आर. एफ.) कहते हुए इस हमले की जिम्मेदारी ली है। यह समूह संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित पाकिस्तानी आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है। यह उल्लेखनीय है कि भारत ने मई और नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र की 1267 Committee की Sanctions Monitoring Team को अर्धवार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसमें टी.आर.एफ. के बारे में साफ इनपुट दिए गए थे। इससे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के लिए कवर के रूप में टी.आर.एफ. की भूमिका सामने आई थी। 

इससे पहले भी, दिसंबर 2023 में, भारत ने इस टीम को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के बारे में सूचित किया था जो टी.आर.एफ जैसे छोटे आतंकवादी समूहों के माध्यम से अपनी गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं। इस संबंध में 25 अप्रैल को UN Security Council प्रेस वक्तव्य में टी.आर.एफ. के संदर्भ को हटाने के लिए पाकिस्तान के दबाव पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

पहलगाम आतंकवादी हमले की जांच से पाकिस्तान के साथ आतंकवादियों के संपर्क उजागर हुए हैं। रेजिस्टेंस फ्रंट द्वारा किए गए दावे और लश्कर-ए-तैयबा से ज्ञात सोशल मीडिया हैंडल द्वारा इसको रिपोस्ट किया जाना इसकी पुष्टि करता है। चश्मदीद गवाहों और विभिन्न जाँच एजेंसियों को उपलब्ध अन्य सूचनाओं के आधार पर हमलावरों की पहचान भी हुई है। हमारी इंटैलिजैंस ने इस टीम के योजनाकारों और उनके समर्थकों की जानकारी जुटाई है।

इस हमले की रूपरेखा भारत में सीमा पार आतंकवाद को अंजाम देने के पाकिस्तान के लंबे ट्रैक रिकॉर्ड से भी जुड़ी हुई हैं, जिसके लिखित और स्पष्ट दस्तावेज उपलब्ध हैं। पाकिस्तान दुनिया भर में आतंकवादियों के लिए एक शरण स्थल के रूप में पहचान बना चुका है।

यहाँ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकवादी सजा पाने से बचे रहते हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर विश्व और फाइनेन्सियल ऐक्शन टास्क फोर्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों को जानबूझकर गुमराह करने के लिए भी जाना जाता है। साजिद मीर का मामला, जिसमें इस आतंकवादी को पाकिस्तान ने मृत घोषित कर दिया था और फिर, अंतरराष्ट्रीय दबाव के परिणाम स्वरूप, वह जीवित पाया गया, इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण है।

यह स्वाभाविक है कि पहलगाम में हुए इस हमले से जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ भारत के अन्य भागों में भी आक्रोश देखा गया। हमलों के बाद, भारत सरकार ने स्वाभाविक रूप से पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर कुछ कदम उठाए। आप सभी उन निर्णयों से अवगत हैं जिसकी घोषणा 23 अप्रैल को की गई थी।

तथापि, यह आवश्यक समझा गया कि 22 अप्रैल के हमले के अपराधियों और उनके योजनाकारों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। हमलों के एक पखवाड़े के बाद भी, पाकिस्तान द्वारा अपने क्षेत्र या अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवादियों की इंफ्रास्ट्रक्चर के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया गया है। उल्टे, वो इनकार करने और आरोप लगाने में ही लिप्त रहा है। 

पाकिस्तान-आधारित आतंकवादी मॉड्यूल्स पर हमारी खुफिया निगरानी ने संकेत दिया है कि भारत के विरुद्ध आगे भी हमले हो सकते हैं। अतः इनको रोकना और इनसे निपटना, दोनों को बेहद आवश्यक समझा गया।

जैसा कि आपको ज्ञात होगा, भारत ने इस तरह के सीमा पार हमलों का जवाब देने और उन्हें रोकने तथा उनका प्रतिरोध करने के अपने अधिकार का प्रयोग किया है। यह कार्रवाई नपी-तुली, नॉन-एस्केलेटरी, आनुपातिक और जिम्मेदारी पूर्ण है। यह आतंकवाद की इंफ्रास्ट्रक्चर को समाप्त करने और भारत में भेजे जाने वाले संभावित आतंकवादियों को अक्षम बनाने पर केंद्रित है।

आपको यह भी स्मरण होगा कि 25 अप्रैल 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहलगाम आतंकवादी हमले पर एक प्रेस वकतव्य जारी किया था, जिसमें "आतंकवाद के इस निंदनीय कार्य के अपराधियों, आयोजकों, फाइनेंसरों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के दायरे में लाने की आवश्यकता" पर ज़ोर दिया गया था।

भारत की इस कार्रवाई को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।