जिसे दिमाग से मानो बस वही अपना है
Mind what you think is yours
जी हाँ दोस्तों किसी को अपने पास रखना और किसी के साथ जीना दोनों में बहुत अंतर है. क्यों के कई बार आप किसी के पास रहकर भी दूर होते हैं और बहुत दूर रहकर भी बहुत पास होते हैं. दरअसल, यह नजदीकी व दूरी का सफर तय करता है आपका दिमाग.
आपका दिमाग जिसे पसंद करता है, प्यार करता है और चाहता है, वह सात समंदर पार रहकर भी आपके मन में बसा रहता है. आपको हमेशा ऐसा लगता है के वो आपके पास है. आपके दिल की हर धड़कन में उसके नाम की गूंज आती है और आपकी सांस में उसके वजूद की खुशबू। आपको वो हर जगह दिखाई देता है महसूस होता है.
मगर जो व्यक्ति आपके दिल-दिमाग पर हुकूमत नहीं करता, वह चाहे आपके कितना भी पास क्यों न रहता हो, आपको वह कोसों दूर लगता होगा. कई प्रेमी जोड़े सालो-साल मिलने की आस में खुशी-खुशी अपनी जुदाई को पलक झपकते काट लेते हैं और किसी को एक पल का साथ गुजारना भी वर्षों के वक्त बितने जैसा लगता है. उसके साथ हर मिनिट इतना भारी लगता है जैसे के वक़्त रुक गया हो. आपस में बातें भी बहुत कम हो जाती है. एक दुसरे से मतलब भी धीरे धीरे कम होने लगता है. एक दुसरे को समझना बंद कर देते है. मगर जब दो लोग एक-दूसरे की मजबूरी समझते हैं, साझा करते हैं तो उनमें तमाम कठिनाइयों से मुकाबला करने की अनोखी शक्ति आ जाती है और वही शक्ति हर परिस्थिति से जूझने का हौसला देती है.
जिस रिश्ते में एक-दूसरे को खुशी देने की इच्छा होती है वहां दो घड़ी का साथ भी उन्हें महीनों की दूरी सहन करने की हिम्मत से भर देता है पर जहां प्रेम की वास्तविक धारा न बहती हो सिर्फ साथ रहना एक मजबूरी हो वहां संग-संग रहकर भी कोई अनूठी ताकत नहीं मिलती है. ऐसे संग रहने वाले जोड़े तब ईर्ष्या से भर उठते हैं जब वे अलग रहने वाले प्रेमियों को खुशी-खुशी अपना-अपना जीवन बिताते देखते हैं
ऐसे ही हालात से गुजरते है कई जोड़े. जब उनके घर वाले उनके इस रिश्ते को पसंद नहीं करते. कई बार लड़कियां परिवार से रिश्ता तोड़कर भी अपना प्यार बचाना चाहती हैं, पर लड़कों के प्यार में उतनी ताकत नहीं होती है. वह अपने परिवार के खिलाफ नहीं जाना चाहतें हैं. फिर जब आप इस उमर में रहते हो तो आपके उपर ये एक बड़ी जिम्मेदारी रहती है. जब आप एक दुसर को बहुत पसंद करते हो और आपको लगता है के हम दोनों शादी करके बहुत कुश रहेंगे. लड़कियां की तो मजबूरी होती है के जिधर घर वाले शादी करते हैं वो उधर एडजस्ट हो जाती है.
मगर कई बार लड़का हो या लड़की दोनों को लगता है कि, मां-बाप की पसंद में वह बात नहीं है जो उसकी दोस्त में थी. उसे उसकी तमाम अच्छी आदतें याद आती हैं और ये खयालात उसे चैन से जीने नहीं देते हैं .
अगर आप अपनी पत्नी या पति में अपने पुराने दोस्त को खोजेंगे तो वह कभी आपको अच्छे नहीं लगेगी। हर मनुष्य अपने आपमें अनूठा व मुकम्मल है। उसे उसी के स्वरूप में कबूल करना चाहिए. जब आप किसी को ठुकरा देते हो तो वो फेसला भी आपका अपना ही रहता है.
आपको लगता है आपका दोस्त भाग्यशाली है इसलिए उसे सही साथी मिल गया जिसके साथ वह दूर रहकर भी इतने प्रसन्न है. पर यह केवल खुशकिस्मती की बात नहीं है बल्कि आपका दोस्त खुद भी सच्चा, सही व दयालु है इसलिए उसे प्यार की सच्ची अनुभूति महसूस होती है जिसके कारण वह प्रसन्न व आनंदित है. आपकी सारी तकलीफ इस बात की है कि आपने हिम्मत क्यों नहीं दिखाई.
अब इन सारे बिंदुओं पर सोचने-विचारने का समय निकल गया है. अब जो साथ है उसकी परवाह कीजिए वरना ऐसा न हो कि वह भी मायूस होकर अपना ध्यान हटा ले. आपका रिश्ता नया है. यदि आप अपने साथी की सुध लेना शुरू करेंगे तो हो सकता है, उसके वे गुण सामने आने लगें जिनकी आपको तलाश है। रही बात दोस्त की तो इस रहस्य को जानकर भी आपको कौन सा सुकून मिल जाएगा कि आखिर वह अपने प्यार से दूर रहकर भी कैसे खुश है.
आपके दोस्त ने तो आपकी फिक्र करने व कुढ़ने के बजाय अपनी नगरी फिर से आबाद कर ली क्योंकि वह आपके फैसले का आदर करना जानता है. वह हकीकत को सलाम करता है. पर आप आज भी अपने फैसले को गलत मानकर खुद को माफ नहीं कर रहे हैं। यह सोचकर खुद पर नाज करें कि आपने अपने मां-बाप का दिल रखा.
उस समय जो ठीक व उचित लगा वह आपने किया, फिर मलाल कैसा. अब उनका इतना और सम्मान कर दें कि जो उनकी पसंद को आपने अपनाया है उसे भी उसका अधिकार दें. खुशियां आपके भी कदम चूमेंगी। यह सोचकर गमगीन न हों कि आपके भाग्य में दुख ही लिखा है. इसलिए जो आपके साथ है उसपे धयान देते हुए उसे खुश रखने की कोशिश करें. उसे अपने दिमाग में लेके आओ इसलिए कहते है जिसे दिमाग से मानो बस वही अपना है.